कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल द्वारा वित्त कमीशन की ग्रांटों और अन्य स्कीमों के साथ स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे पड़ाव को लागू करने की मंजूरी

चंडीगढ़, 27 मई:
पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा एक अहम फ़ैसले के अंतर्गत राज्य में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे पड़ाव को लागू करने की मंजूरी दे दी गई है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग के दौरान यह फ़ैसला लिया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे पड़ाव को 15वें वित्त आयोग से प्राप्त ग्रांटें, मगनरेगा और अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार की तरफ से स्पांसर स्कीमों को मिला कर लागू किया जायेगा। इस के साथ ही जल जीवन मिशन के अंतर्गत समूचे ग्रामीण क्षेत्र में हर घर को जल कनैक्शन देने के लिए वित्त आयोग के अनुदान बरतने की मंजूरी भी दे दी गई।
इसके अलावा मंत्रीमंडल ने मार्च, 2022 तक एस.बी.एम.-जी और ग्रामीण क्षेत्र में 100 प्रतिशत घरों को जल कनैक्शन देने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आर.डी.एफ., आर. आई. डी. एफ और राज्य सरकार की अन्य स्कीमों के अंतर्गत प्रवानित प्रोजेक्टों को फंडों की कमी के कारण लागू करने में किसी किस्म की दिक्कत को दूर करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से मैचिंग अनुदान का प्रबंध करने को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे पड़ाव के अंतर्गत समाज की हिस्सेदारी को यकीनी बनाते हुए प्रोजैक्ट को लागू करने में सहयोग प्राप्त किया जायेगा।
इस योजना के अंतर्गत फंडों की बाँट संबंधी बोलते हुये प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय सहायता प्राप्त इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार 60 और 40 प्रतिशत के अनुपात के साथ हिस्सा देंगी। प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार के पंचायती राज्य मंत्रालय की तरफ से मार्च, 2020 को लिखे पत्र के द्वारा अवगत करवाया गया है कि 15वें वित्त आयोग की तरफ से अपनी अंतरिम रिपोर्ट के द्वारा वित्तीय साल 2020 -2021 के दौरान देश भर में पंचायती संस्थाओं को ग्रांटें जारी करने के लिए 60,750 करोड़ रुपए जारी किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस अनुदान को दो हिस्सों में बँाटा जायेगा जिसके अंतर्गत 50 प्रतिशत हिस्सा क्षेत्र अधारित ज़रूरतों, वेतन, संस्थाओं के ख़र्च आदि के लिए होगा जबकि बाकी 50 प्रतिशत के साथ सेनिटेशन और अन्य प्राथमिक सहूलतें, खुले में शौच मुक्त व्यवस्था को बरकरार रखने, पीने वाले पानी की सप्लाई, बारिश के पानी की संभाल और पानी को रिचार्ज करने के लिए किया जायेगी।
उन्होंने कहा कि वित्तीय साल 2020 -21 के दौरान ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग की तरफ से लगभग 260 करोड़ रुपए केवल ग्रामीण क्षेत्रों में सेनिटेशन के कामों के लिए जारी किये जाएंगे। यह सफ़ाई गतिविधियांं पंचायती राज्य मंत्रालय,भारत सरकार के 15 वें वित्त आयोग की ग्रांटों का प्रयोग करने सम्बन्धी जारी दिशा निर्देशों की पालना करते हुये गाँवों की पंचायतों में चलाईं जाएंगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार को साल 2020 -21 से 2024 -25 के दरमियान प्रोजैक्ट लागू करने के बारे में योजना रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा साल 2020 -21 के लिए सालाना योजना संबंधी भी निर्देश दिए गए हैं जिससे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे पड़ाव के अंतर्गत अनुदान जारी किया जा सके।
उन्होंन बताया कि दूसरे पड़ाव को 2020 -21 से 2024 -25 के दरमियान लागू किया जायेगा जिसका मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्र में रहन -सहन को बेहतर किया जा सके। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्त (ओ.डी.एफ.) सिस्टम को बरकरार रखने क ेसाथ-साथ अवशेष के प्रबंधन संबंधी सिस्टम को और मज़बूत करना है।
जि़क्रयोग्य है कि केंद्र सरकार ने वित्तीय साल 2020 -21 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों की नुहार बदलने के लिए 15वें वित्त आयोग की तरफ से सिफ़ारिश की ग्रांटों की प्राप्ति के लिए कुछ क्षेत्रों की पहचान की है जिनको पहल दी जानी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में 100प्रतिशत एफएचटीसी को पूरा करने के लिए 660 करोड़ रुपए के फंडों की ज़रूरत है क्योंकि जे.जे.एम स्कीम 50:50 की हिस्सेदारी पर आधारित है। जे.जे.एम. फंडों में से 330 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे और राज्य का हिस्सा 330 करोड़ होगा। राज्य के हिस्के 330 करोड़ रुपए में से 150 करोड़ रुपए विश्व बैंक से फंड प्राप्त पंजाब जल सप्पलाई और सैनीटेशन इम्परूवमैंट प्रोजैक्ट (पी.आर.डब्ल्यू.एस. एस.आई. पी.) के अधीन मार्च, 31 मार्च तक उपलब्ध हैं। अगले दो सालों में राज्य के स्रोतों से 180 करोड़ रुपए की ज्यादा ज़रूरत होगी, जिसको 15वें वित्त आयोग की ग्रांटों (पानी की सप्लाई के लिए रखे फंडों में से) के साथ और इसके अलावा, नाबार्ड या आरडीएफ से आरआईडीएफ अधीन फंडों की माँग करके पूरा किया जा सकता है।
15वें वित्त आयोग के अधीन पी.आर.आई. को जारी किये जाने वाले अनुदान पंचायती राज्य मंत्रालय, भारत सरकार की तरफ से 6 मार्च, 2020 के अपने पत्र के अनुसार, पानी के साथ सम्बन्धित गतिविधियों के लिए 25प्रतिशत की हद तक बाँध दी गई है, हालाँकि रहते एफएचटीसीज़ की कवरेज समेत पानी से सम्बन्धित गतिविधियों को पूरा करने के लिए अवांछित फंडों (50प्रतिशत) के प्रयोग की कोई सीमा नहीं है।
ज़मीनी पानी के प्रोजेक्टों की वित्तीय ज़रूरतों के लिए जेजे एम / डब्ल्यू बी / नाबार्ड के फंडों में से 1264 करोड़ रुपए की फंडिग पहले ही तय की जा चुकी है, जिसमें से 80प्रतिशत मार्च 2022 तक खर्च किए जाएंगे। वाटर क्वालिटी हैबीटेशनस में रीटरो फिटिंग और थोड़े समय के निपटारे के उपाय करने के लिए जल सप्लाई और सैनीटेशन विभाग (डीडब्ल्यूएसएस) को 116 करोड़ रुपए की ज़रूरत होगी, जिसमें से 61 करोड़ रुपए राज्य के हिस्से के तौर पर सरकार द्वारा मुहैया करवाए जाने हैं।
विभाग का उद्देश्य मार्च, 2022 तक हर घर पानी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मौजूदा स्कीमों और प्रोजेक्टों के अंतर्गत सभी उपलब्ध फंड जुटाना है और आरआईडीएफ और आरडीएफ के अधीन राज्य का बकाया हिस्सा लेने का इरादा है, इसलिए लागू करने के उचित समय पर वित्त, ग्रामीण विकास और कृषि विभागों को अपना विशेष प्रस्ताव पेश करेगा।
जल सप्पलाई और सेनिटेशन विभाग (डीडब्ल्यूएसएस) पहले ही 11399 गाँवों (94.75प्रतिशत) में भूमिगत पानी की सप्लाई मुहैया करवा चुका है और 50प्रतिशत घरों को एफएचटीसीज़ के साथ कवर किया गया है। बाकी रहते 17.59 लाख घरों में , यह माना जाता है कि उनमें से बहुत से पहले ही अपने घरों में पानी की सप्लाई प्राप्त कर रहे हैं। विभाग की भूमिगत जल सप्लाई स्कीमों हैं, चाहे वह नियमित नहीं हैं या उनमें से कुछ ने अपने स्रोत विकसित किये हैं (निजी या आम सबमर्सीबल पंप)। बाकी रहते 17.59 लाख घरों को कवर करने के लिए जल सप्लाई व सेनिटेशन विभाग ने 2020 -21 और 2021 -22 में इन बचे घरों को एफएचटीसी के अधीन कवर करने के लिए एक योजना बनाई है।