कपास की खेती अधीन 12.5 लाख एकड़ क्षेत्रफल लाने का निश्चित किया गया लक्ष्य पूरा होने के करीब, अब तक 10 लाख एकड़ से अधिक ज़मीन में हुई बीजाई-विसवाजीत खन्ना

पंजाब के किसानों द्वारा फसल विविधीकरण प्रोग्राम का भरपूर समर्थन
चंडीगढ़, 26 मई: 
राज्य के कृषि विभाग द्वारा व्यापक स्तर पर आरभ किए गए फसल विविधीकरण प्रोग्राम को किसानों ने भारी समर्थन दिया है। साल 2020 में कपास की खेती अधीन 12.5 लाख क्षेत्रफल लाने का लक्ष्य लगभग पूरा होने के करीब है, जबकि पिछले साल यह आकड़ा 9.7 लाख एकड़ था। किसानों को धान की जगह अन्य फसलों की तरफ मोडऩे से राज्य के पानी जैसे बहुमूल्य संसाधन को बचाने, ज़मीन की उपजाऊ शक्ति में सुधार लाने, सर्दियों में पराली जलाने की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद मिलेगी, जिससे वातावरण में सुधार होगा।
यह जानकारी देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास विसवाजीत खन्ना ने बताया कि इन जि़लों में अब तक 10 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में कपास की बीजाई की जा चुकी है और निर्धारित लक्ष्य बहुत जल्द पूरा का लिया जाएगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि कोविड-19 के कारण कफ्र्य़ू / तालाबन्दी के मद्देनजऱ कृषि विभाग ने बीटी कॉटन के बीज और खादों आदि का समय पर प्रबंध कर लिया था, जिससे कपास की बीजाई में कोई रुकावट नहीं आई। उन्होंने बताया कि पंजाब के दक्षिण पश्चिम जि़लों में कपास, खरी$फ की फ़सल की दूसरी बड़ी रिवायती फ़सल है, जिस कारण राज्य का यह इलाका ‘कपास पट्टी’ के नाम से मशहूर है।
उन्होंने बताया कि मालवा पट्टी के इन जि़लों में पिछले साल 9.80 लाख एकड़ (3.92 लाख हेक्टेयर) क्षेत्रफल में कपास की बिजाई हुई और सरकार ने इस साल 12.5 लाख एकड़ (5 लाख हेक्टेयर) क्षेत्रफल इस फ़सल अधीन लाने का लक्ष्य निश्चित किया हुआ है, जो जून के पहले हफ़्ते तक पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पिछले सालों में मई महीने के आखिर तक बीजाई लगभग मुकम्मल हो जाती थी, परन्तु इस बार गेहूँ की कटाई 15 दिन देरी से 15 मई को शुरू होने से बीजाई का काम कुछ दिन आगे करना पड़ा है।
जि़लों में कपास की बीजाई संबंधी जानकारी देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि बठिंडा जि़ले में कपास की खेती अधीन सबसे अधिक क्षेत्रफल आया है, जहाँ 3.39 लाख एकड़ क्षेत्रफल में बीजाई हो चुकी है। इसके बाद फाजि़ल्का में 2.38 लाख एकड़, मानसा में 2.10 लाख एकड़, श्री मुक्तसर साहिब 2.02 लाख एकड़, संगरूर में 7800 एकड़, फऱीदकोट में 5800 एकड़, बरनाला में 1870 एकड़ और मोगा में 1257 एकड़ क्षेत्रफल में कपास की बीजाई हो चुकी है।
बताने योग्य है कि साल 2018 के दौरान 6.62 लाख एकड़ क्षेत्रफल कपास की खेती अधीन लाया गया था, जिसके बाद साल 2019 में इस क्षेत्रफल को बढ़ाकर 9.7 लाख एकड़ तक लाया गया। इसी तरह कृषि विभाग ने मौजूदा साल में कपास की खेती अधीन क्षेत्रफल 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने की योजना बनाई थी, जो सफलतापूर्वक मुकम्मल होने के करीब है।
कृषि विभाग ने किसानों से बीते सीजन की बाकी बची कपास की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए भारतीय कपास कॉर्पोरेशन (सीसीआई) के साथ तालमेल किया था और कॉर्पोरेशन ने कपास पट्टी की 19 मंडियां चालू करके फ़सल की खरीद कर ली थी। यहाँ तक कि सी.सी.आई. ने अगले सीज़न के दौरान कपास की खरीद करने के लिए अपने समर्थन का भरोसा भी दिया है।
श्री खन्ना ने आगे बताया कि कृषि विभाग ने सम्बन्धित विभागों की सहायता के साथ खाली प्लॉटों, सडक़ों के किनारे, खुले मैदान से खरपतवार (जहाँ अक्सर सफ़ेद मक्खी जमा होती है) हटाने के लिए भी ज़ोरदार मुहिम चलाई हुई है। राज्य भर के मुख्य कृषि अफसरों को भी इस कार्य को मिशन के तौर पर मुकम्मल करने के हुक्म दिए गए हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने आगे बताया कि राज्य में नकली बीजों की तस्करी रोकने के लिए मुख्य कृषि अफसरों और स्टाफ को सख़्त हिदायतें जारी की गई थीं, क्योंकि यह बीज रस चूसने वाले कीड़ों को आकर्षित करता है, जिससे फ़सल को भारी नुकसान होता है।
इसी दौरान कृषि विभाग के डायरैक्टर सुतंतर कुमार ऐरी ने बताया कि फ़सल विविधीकरण प्रोग्राम को और ज्य़ादा कामयाब बनाने के लिए उन्होंने कपास पट्टी के जि़लों के दौरे करके सम्बन्धित मुख्य कृषि अफसरों और फील्ड स्टाफ के साथ मीटिंगें की गई और यह यकीनी बनाने के लिए कहा कि कपास की बिजाई के मौके पर कपास उत्पादकों को किसी किस्म की मुश्किल पेश न आए।