झज्जर के गांव ढाकला में नहीं करेंगे किसान अब धान की खेती, हाल में लगाई धान की फसल भी कर दी नष्ट, बीते वर्ष खेड़े के 3000 एकड़ रकबे में हुई थी धान की खेती
-किसान बोले, धान की बजाए अन्य फसल लगाने पर पैसा और पानी दोनों की बचत
-अन्य फसल लगाने पर किसान को मिलेंगे प्रति एकड़ सात हजार, एग्रो फोरेस्ट्री अपनाने पर तीन साल तक 10000 रुपए प्रति एकड़ का प्रोत्साहन
चण्डीगढ़, 11 जून – हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण व फसल विविधीकरण के प्रोत्साहन के लिए बीते वर्ष चलाई गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की दूरदर्शी सोच पर आरंभ इस महत्वपूर्ण योजना के तहत 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि व जल संरक्षण के प्रति जागरुकता का ही नतीजा है कि आज किसान स्वयं भी आगे आकर अधिक जल की खपत वाली धान की परंपरागत फसल से किनारा करने लगे हैं।
झज्जर जिला में गांव ढाकला के किसानों ने इस बार सामूहिक रूप से अपने खेड़े की 3445 एकड़ भूमि में धान की खेती नहीं करने का निर्णय लिया है। जबकि बीते वर्ष गांव के तीन हजार एकड़ रकबे में धान लगाई गई थी। इस बार तो दो किसानों ने स्वयं अपनी फसल स्वयं नष्ट करते हुए कम पानी वाली फसल अपनाने की पहल भी कर दी है। गांव के किसानों का मानना है कि धान में पानी की अधिक खपत से फसल की लागत तो बढ़ती ही है, साथ ही भूजल का भी अत्यधिक दोहन होता है। जबकि अन्य फसलों में कम लागत होने व सरकार की प्रोत्साहन राशि से पैसा और पानी दोनों की बचत होगी।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने गांव ढाकला के किसानों द्वारा लिए गए इस निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस उद्देश्य को लेकर बीते वर्ष ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना आरंभ की गई थी, उसमें सफलता मिलनी आरंभ हो चुकी है। इस वर्ष राज्य में दो लाख एकड़ भूमि को इस योजना के अधीन लाने का लक्ष्य है। गिरते भूजल स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री का कहना है कि आज हरियाणा के 36 खण्ड डार्क जोन में आ चुके हैं। अगर जल संरक्षण के प्रति आज सजगता नहीं बरती गई तो भविष्य में स्थिति भयावह हो सकती है। बीते वर्ष भी राज्य की 95 हजार एकड़ भूमि में धान की बजाए कम पानी से होने वाली फसलों की खेती की गई थी। प्रदेश में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत एक लाख 13 हजार 885 किसान अब तक एक लाख 26 हजार 928 हैक्टेयर में धान की बजाए अन्य कम लागत वाली फसलों की खेती कर रहे हैं।
पूर्व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री ओमप्रकाश धनखड़ के गांव ढाकला में धान की फसल नष्ट करने वाले किसान श्री संतराम व श्री जयपाल ने पंचायत की जमीन पट्टे पर लेकर इस बार धान लगाई थी लेकिन जल संरक्षण के प्रति गांव में बनी जागरुकता व हरियाणा सरकार की ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना से उन्होंने अपनी फसल नष्ट करने का निर्णय लिया। इन किसानों के इस कदम की न केवल आस-पास के गांवों में बल्कि राज्य स्तर पर भी चर्चा हो रही है। गांव ढाकला के ही अन्य किसान श्री सुरेंद्र व श्री रामरतन ने बताया कि बीते वर्ष धान की खेती करने वालों में इस बार ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के पोर्टल पर पंजीकरण कराने में तेजी भी नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार ने किसानों की ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के लिए पंजीकरण कराने की अंतिम तिथि 25 जून, 2021 कर दी है। इस योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी में उगने वाली फसलें जैसे मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां आदि की खेती करने वालों को प्रति एकड़ सात हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इतना ही नहीं इस वर्ष इस योजना में एग्रो फोरेस्ट्री को भी जोड़ा गया है, जिसके तहत धान की बजाए प्रति एकड़ 400 पेड़ लगाने पर हरियाणा सरकार किसान को प्रति वर्ष 10,000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करेगी।

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