पंजाब सरकार ने ठेके पर ज़मीन देने वाले मालिकों को अपने खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए कहा

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डिप्टी कमिश्नरों को नोडल अधिकारियों के द्वारा ज़मीन मालिकों की सूची तैयार करने और उनके साथ संपर्क बनाने के आदेश

ज़मीन मालिकों को भी अपनी बनती जि़म्मेदारी निभाने के लिए कहा

चंडीगढ़, 13 अक्तूबर:

पंजाब सरकार ने ठेके  पर ज़मीन देने वाले ज़मीन मालिकों को कहा कि वह अपने खेतों में पराली जलाने की कोई भी घटना न घटने देने को यकीनी बनाएं।

कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि पंजाब में कृषि ज़मीन का लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्रफल एन.आर.आई. पंजाबियों या शहरी क्षेत्रों में रहते लोगों के स्वामित्तव वाला है और यह लोग प्रति एकड़ 40,000 से लेकर 55,000 रुपए ठेका ले रहे हैं। इस कारण इन लोगों की अपने खेतों में पराली जलाने से रोकने की बराबर की जि़म्मेदारी बनती है।

श्री पन्नू ने कहा कि यदि इन लोगों के खेतों में आग लगने की घटना घटती है तो इसको सीधे तौर पर सरकार के आदेशों का उल्लंघन मानते हुए ज़मीन मालिकों के विरुद्ध कानून के मुताबिक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने ज़मीन मालिकों से अपील की कि उनकी ज़मीन ठेके पर जोतने वाले काश्तकारों के लिए ठेके की रकम कुछ कम करने और उनको पराली जलाने की बजाय खेतों में मिला देने के लिए प्रेरित करें जिससे ज़मीन की सेहत में सुधार होने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाया जा सकेगा।

गौरतलब है कि वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) एक्ट -1981 की धारा 19 (5) के अंतर्गत राज्य भर में पराली जलाने पर मुकम्मल पाबंदी है। इसी तरह जि़ला मैजिस्ट्रेटों द्वारा भी सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के अंतर्गत जि़ला स्तर पर पराली जलाने पर पहले ही रोक लगाई हुई है।

कृषि सचिव ने बताया कि पराली जलाने की समस्या पर रोक लगाने के लिए डिप्टी कमिश्नरों को अपने सम्बन्धित जिलों में गाँव स्तर पर तैनात नोडल अफसरों के द्वारा ज़मीन मालिकों की सूची तैयार करने के लिए कहा गया है। इन नोडल अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि वह ठेके पर ज़मीन देने वाले व्यक्तियों के साथ संपर्क करके उनको पराली न जलाने सम्बन्धी जारी हिदायतों की पालना करने के लिए ज़ोर डालें। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह यकीनी बनाना है कि उनके खेतों में पराली जलाने की कोई घटना न घटे क्योंकि पराली जलने से बड़े स्तर पर प्रदूषण होता है, जो पर्यावरण के साथ साथ दूसरे जीवित प्राणियों के लिए बेहद ख़तरनाक है।

कृषि सचिव ने आगे बताया कि सभी राजस्व पटवारियों को उस कृषि ज़मीन, जिसमें पराली जलाने की कोई घटना घटती है, की गिरदावरी में ‘रैड्ड एंट्री ’ दर्ज करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं।

यहां यह भी बताने योग्य है कि धान की पराली जलाने से मिट्टी, कुदरती पर्यावरण और मानवीय स्वास्थ्य पर पड़ते दुष्प्रभावों के मद्देनजऱ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने भी सर्वसम्मति के साथ प्रस्ताव पास करके किसानों को कुदरती साधनों के संरक्षण संबंधी श्री गुरु नानक देव जी के फलसफे को अपना कर पराली जलाने के रुझान को ख़त्म करने की अपील की है।

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