सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को हस्तांतरित करने की स्वीकृति प्रदान

chief minister haryana Manohar lal khattar

चंडीगढ़ 13 अगस्त- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भारत सरकार, जहां एक जल संसाधन मंत्रालय है, जिसे समेकित जल संसाधन प्रबंधन के उद्देश्य के लिए जल शक्ति मंत्रालय कहा जाता है, की तर्ज पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से ‘लघु सिंचाई एवं भूजल’ विषय को सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को हस्तांतरित करने की स्वीकृति प्रदान की गई।

         यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के साथ पानी से संबंधित सभी विषयों को समेकित किया जा सके।

         हरियाणा सरकार (आबंटन) नियम 1974 में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की क्रम संख्या 18 में सूचीबद्घ ‘लघु सिंचाई योजना’ को सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को इसलिए हस्तांतरित किया गया ताकि सिंचाई के साथ-साथ सरफेज़ एवं सब-सरफेज़ पानी से संबंधित सभी मामलों को एक ही विभाग के तहत लाया जा सके जोकि जल क्षेत्र के व्यापक परिप्रेक्ष्य के लिए उचित है।

         हरियाणा राज्य में उपलब्ध ताजा पानी राज्य की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुश्किल से पर्याप्त है और सतहीपानी, जो कि सिंचाई विभाग द्वारा प्रबंधित है और जिसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है, केवल सिंचाई के पानी की आवश्यकता का लगभग 40 प्रतिशत पूरा कर पाता है। परिणामस्वरूप लगभग 60 प्रतिशत पानी की आवश्यकता को वर्षा से या भूजल के माध्यम से पूरा किया जाता है। यह भी एक तथ्य है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा हरियाणा के लगभग 75 प्रतिशत क्षेत्र को डार्क जोन घोषित किया गया है।

         हरियाणा, विशेषकर दक्षिणी हरियाणा में भूजल की गहराई 800 से 1000 फीट तक नीचे है, इसलिए एकीकृत जल संसाधन के उद्देश्य से सतही पानी के साथ-साथ भूजल का प्रबंधन एक एजेंसी और एक विभाग के साथ होना चाहिए। इस तरह की व्यवस्था राज्य को एकीकृत तरीके से अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से जल संसाधनों का प्रबंधन करने में सक्षम बनाएगी। इसके मद्देनजर, वर्तमान में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधीन मौजूद ‘लघु सिंचाई योजना’ को परिसंपत्ति, वर्तमान काडर, स्टाफ और बजट के साथ सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा।