बिक्रम सिंह मजीठिया और पवन कुमार टीनू ने कहा कि मंत्री ने पंजाब के दलित बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है
कहा कि मुख्यमंत्री धर्मसोत को बर्खास्त करें और राज्य के खजाने से लूटे गए पैसे वसूल करें यां आंदोलन का सामना करें
चंडीगढ़/27अगस्त: शिरोमणी अकाली दल ने विभाग के मुख्य सचिव द्वारा 63.91करोड़ रूपये के एससी घोटाले में अभियोग के बाद अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और बर्खास्त करने की मांग की है तथा घोटाले की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए वरिष्ठ नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया तथा पवन कुमार टीनू ने कहा कि साधु धर्मसोत ने प्रदेश के दलित बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही किया जा सकता। ‘यदि मुख्यमंत्री उन्हे तत्काल बर्खास्त नही करते हैं और राज्य के खजाने से लूटे गए धन की वसूली के लिए आवश्यक कदम नही उठाएंगे तो शिरोमणी अकाली दल इस मुददे पर आंदोलन शुरू करने पर विवश होगा।
सरदार मजीठिया तथा श्री टीनू ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि धर्मसोत को अनुसूचित जाति के छात्रों को अपात्र प्राईवेट संस्थानों को छात्रवृृत्ति देने के कारण केंद्र से प्राप्त 39 करोड़ रूपये वितरित करने का दोषी पाया गया है। उन्होने कहा कि प्रमुख मुख्य सचिव कृपा शंकर सरोज द्वारा तैयार की रिपोर्ट में यह भी विस्तार से बताया गया है कि कैसे अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए बने इस केंद्रीय कोष से 24.91करोड़ रूपये अवैध रिऑडिट के बाद प्राईवेट संस्थानों को दिए गए थे।
इस बात की अन्य जानकारी देते हुए नेताओं ने कहा कि सिर्फ इतना ही नही ‘मंत्री ने विभागीय प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए फाइलों पर हस्ताक्षर किए और यहां तक कि प्रमुख सचिव द्वारा की आपत्तियों को भी फाइल से हटा दिया गया। वरिष्ठ अफसरशाह ने इस मामले में डिप्टी डायरेक्टर के साथ मंत्री के बारे में इशारा किया था। डिप्टी डायरेक्टर परमिंदर सिंह गिल को पिछले साल भी अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति के वितरण में विसंगतियों के मामले में निलंबित कर दिया गया था लेकिन धर्मसोत के कहने पर उनका निलंबन रद्द कर दिया गया था।
सरदार मजीठिया और श्री टीनू ने कहा कि मुक्तसर में एक अयोग्य संस्थानों को 39 करोड़ रूपये वितरित किए गए, जिन्हे एक अदालत द्वारा अनुसूचित छात्रवृत्ति योजना के तहत धन वितरित करने पर रोक लगा दी गई। वरिष्ठ अफसरशाह ने इसे रिकॉड में लिखा है कि पिक एंड चुज पॉलिसी का पालन किया गया था और केवल मंत्री और डिप्टी डॉयरेक्टर द्वारा धन वितरण करने की अनुमति दी गई थी। उन्होने कहा कि रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया गया कि मंत्री और डिप्टी डॉयरेक्टर ने विभागीय प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए सीधे फाइलों पर हस्ताक्षर किए गए। ‘ यह अपने आप में इस बात का सबूत है कि धर्मसोत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त है और इसे बर्खास्त किया जाना चाहिए और उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
अकाली नेताओं ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया गया था कि प्राईवेट शिक्षण संस्थानों के विभागीय ऑडिट के बाद उनसे 8 करोड़ रूपये की राशि वसूल की गई। हालांकि एक नए ऑडिट के बाद उन्ही शिक्षण संस्थानों को16.91 करोड़ रूपये वितरित किए गए, जिनके बास कोई आधिकारिक मंजूरी नही थी’ उन्होने कहा कि इससे राजस्व को 24.91 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ।
नेताओं ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी नोट किया गया था कि दो महीने से इस धोखाधड़ी के बारे नोटिस जारी किए जाने के बावजूद संबधित अधिकारी की और से कोई जवाब नही आया, जिससे संकेत मिला कि इस पूरे घोटाले में मंत्री का संरक्षण प्राप्त था। उन्होने कहा कि हालांकि अब तक केवल 63.91 लाख रूपये की धोखाधड़ी का पता चला है, लेकिन घोटाले का दायरा बहुत बड़ा है और केवल स्वतंत्र जांच ही इस मामले की सच्चाई को सामने ला सकती है।

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