भारत के सबसे अधिक प्रदूषण वाले पहले 10 शहरों में हरियाणा के कई शहरों के नाम, परन्तु पंजाब का कोई शहर शामिल नहीं
केंद्र सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए पंजाब पर प्रदूषण फैलाने के दोष लगा कर राजनीति कर रही है
हरियाणा के मुख्यमंत्री और दिल्ली के लैफ्टिनैंट गवर्नर की तरफ से भी केंद्र सरकार के इशारे पर पराली के मामले में राजनैतिक बयानबाज़ी की जा रही है
चंडीगढ़, 4 नवंबर :-
केंद्र सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए पंजाब के सिर पराली को जला कर प्रदूषण फैलाने के दोष लगा रही है। आज यहाँ पंजाब भवन में पत्रकार सम्मेलन के दौरान पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों कुलदीप सिंह धालीवाल और गुरमीत सिंह मीत हेयर ने पराली के मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि गुजरात में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना से लोगों का ध्यान हटाने के लिए केंद्र सरकार पराली जलाने के मुद्दे को आगे ला रही है।
दोनों मंत्रियों ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री की तरफ से भा्रमक प्रचार किया जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार पंजाब की हवा हरियाणा की अपेक्षा बेहतर है। उन्होंने कहा कि कि आज तक के डाटा अनुसार हरियाणा के कई शहर भारत के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में पहले 10 शहरों में शामिल हैं, जिनमें हिसार, फरीदाबाद, सिरसा, रोहतक, सोनीपत और भिवानी आदि शामिल हैं, जबकि पंजाब का कोई भी शहर इस लिस्ट अनुसार पहले 10 में शामिल नहीं। जिससे साफ़ पता चलता है कि पंजाब से हरियाणा में पराली को आग ज़्यादा लगाई जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पराली के मुद्दे पर दिल्ली का लैफ्टिनैंट गवर्नर भी बी. जे. पी के इशारे पर राजनीति कर रहा है और बिना किसी अधिकार के पंजाब के मुख्यमंत्री को इस मामले पर चिट्ठियां लिख रहा है।
कुलदीप धालीवाल और मीत हेयर ने कहा कि पराली की संभाल उत्तर भारत के कई राज्यों का सांझा मुद्दा है, परन्तु केंद्र सरकार इस मामले में पंजाब का साथ देने की बजाय राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब और दिल्ली सरकार ने पराली की संभांल के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि किसानों को 2500 रुपए प्रति एकड़ सहायता दी जाये, जिसमें 500 रुपए पंजाब सरकार, 500 रुपए दिल्ली सरकार योगदान डालेगी और 1500 केंद्र सरकार योगदान डाले, परन्तु केंद्र सरकार ने यह प्रस्ताव को रद्द कर दिया।
मंत्रियों ने कहा कि पंजाब ऐसा राज्य है जिसने अपना पवन, पानी और धरती ख़राब करके देश को आत्म निर्भर बनाया, परन्तु अब जब पंजाब की बाज़ू थामने की ज़रूरत थी तो केंद्र किनारा कर गया। उल्टा पंजाब पर प्रदूषण फैलाने के दोष केंद्र की तरफ से मढ़े जा रहे हैं।
कृषि मंत्री कुलदीप धालीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार के यत्नों स्वरूप पहले से पराली जलाने को काफ़ी रोक लगी पड़ी है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बने को अभी कुछ महीने ही हुए हैं, परन्तु इसके बावजूद भगवंत मान सरकार ने अब तक 42342 पराली सँभालने के लिए सब्सिडी वाली मशीनें किसानों को जारी की है। इसके इलावा ब्लॉक स्तर पर कृषि विभाग की तरफ से छोटे किसानों को पराली की संभाल के लिए मशीनें मुफ़्त बरतने के लिए दीं गई हैं। मौजूदा सरकार के यत्नों स्वरूप इस साल 2 मिलियन टन पराली की बेलिंग हो चुकी है जबकि पिछले साल यह 1.2 मिलियन था।
राज्य के वातावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने जानकारी सांझा करते हुये बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से पराली की संभाल के लिए कोई मदद न करने के बावजूद केंद्र की तरफ से पराली की संभाल के लिए पंजाब को दिए लक्ष्य को अपने स्तर पर 100 प्रतिशत पूरा किया जा रहा है। उन्होंने साथ ही कहा कि आने वाले एक-दो सालों में पराली की समस्या पर पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया जायेगा।
मीत हेयर ने बताया कि सैटेलाईट सिस्टम में भी पराली के मामले दिखाने में कुछ ख़ामियाँ हैं जबकि असली हकीकत कुछ और है। पंजाब में इस साल पहले से पराली को आग लाने के मामलों में बहुत कमी आई है, जबकि वे मामले ज़्यादा हैं जहाँ बेलिंग करने के बाद थोड़े बहुत अवशेषों को आग लगाई गई है, जिससे कोई ख़ास प्रदूषण नहीं हुआ।
इसके इलावा उन्होंने कहा कि चाहे पंजाब में धान की फ़सल काटने और गेहूँ की बुवाई में सिर्फ़ 10 ही दिनों का समय होता है, इसलिए पराली खेत में जलाने के लिए डी-कम्पोज़र घोल का सभी स्थानों पर इस्तेमाल करना कारगर नहीं है। परन्तु इसके बावजूद जहाँ संभव हो सका राज्य में लगभग 5000 एकड़ में डी-कम्पोज़र के घोल का छिड़काव किया जा रहा है।

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