कहा, गन्ना समेत सभी परिवर्तनीय फसलों के बारे में प्रदेश स्तरीय कृषि नीति समय की जरूरत
राणा गुरजीत जैसे शुगर मिल माफिया के हाथों गन्ना उत्पादकों का भविष्य तय करवाना ख़तरनाक, इस्तीफ़ा दें सुखी रंधावा
‘आप’ ने गन्ना उत्पादक किसानों के संघर्ष की हिमायत की
चंडीगढ़, 22 अगस्त 2021
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर व नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने विधान सभा के आगामी सत्र के दौरान कम से कम 2 दिन कृषि को समर्पित करने की मांग की है जिससे गन्ना समेत सभी परिवर्तनीय फसलों के मुनाफेदार मूल्य और यकीनी मंडीकरन के बारे में एक दूरंदेश ‘रोड मैप’ (नीति) तैयार की जा सके। इसके साथ ही ‘आप’ नेता ने गन्ने के प्रदेश स्तरीय मूल्य (एस.ए.पी.) में किए मामूली वृद्धि और शुगर मिलों की ओर बकाया 160 करोड़ रुपए की राशि को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस की तीखी आलोचना की।
चीमा के मुताबिक़ किसानी को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी और प्रदेश की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में कोई फर्क नहीं, दोनों सरकारें किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थकी हैं। जिस कारण किसान केंद्र और पंजाब सरकार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हुए हैं।
रविवार को पार्टी हेडक्वाटर से जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बतौर नेता प्रतिपक्ष आम आदमी पार्टी लम्बे समय से कृषि पर विशेष सत्र की मांग करती आ रही है, परंतु सत्ताधारी कांग्रेस इस मुद्दे पर सकारात्मक विचार-चर्चा से भाग जाती है। जबकि कृषि प्रधान के मद्देनजर पंजाब के लिए एक दूरंदेशी कृषि नीति समय की अहम जरूरत है।
हरपाल सिंह चीमा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में अब तक राज करती आ रही अकाली-भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने कृषि क्षेत्र के बारे में कभी भी गंभीरता के साथ नहीं सोचा, जिस कारण आज प्रदेश का समूचा कृषि क्षेत्र सीधा केंद्र सरकार के घातक पंजे के नीचे आ गया। नतीजे के तौर पर किसानों-मज़दूरों समेत कृषि पर निर्भर सभी वर्गों को एक तरफ़ दिल्ली जा कर मोदी के खिलाफ स्थाई मोर्चा लगाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ कांग्रेस की कैप्टन सरकार के विरुद्ध जालंधर हाईवे जाम करना पड़ रहा है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चंद चहेते कॉर्पोरेट घरानों के लिए पंजाब और देश के अंनदाता की कुर्बानी देने पर तुले हैं, ठीक उसी तरह कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के गन्ना उत्पादकों को तबाह करने पर तुली हुई है। चीमा ने कहा कि 2017-18 के बाद अब 2021-22 के लिए सरकार की तरफ से गन्ने की प्रदेश स्तरीय कीमत में केवल 15 रुपए प्रति क्विंटल विस्तार करके गन्ना उत्पादकों के साथ बेहद भद्दा मजाक किया गया है। इतना ही नहीं किसानों की तरफ से प्रदेश की सहकारी और निजी मिलों की तरफ खड़े अरबों रुपए के पुराने बकाए के लिए समय समय पर धरने लगाए और मांग पत्र कांग्रेसियों को सौंपे गए, परंतु निजी शुगर मिल माफिया के दबाव में कैप्टन सरकार ने किसानों की एक नहीं सुनी। उल्टा शुगर मिल माफिया के प्रमुख और राणा शूगरज के मालिक कांग्रेसी विधायक राणा गुरजीत सिंह को गन्ना विकास बोर्ड में शामिल करके मूल्य तय करने वाली मीटिंगों में बिठा लिया।
कांग्रेस सरकार की ऐसी अनदेखी और ज़्यादती से दुखी और निराश अंनदाता के दिल्ली बॉर्डर पर धरने और जालंधर हाईवे जाम करने का आम आदमी पार्टी सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों पक्षों से पूरा समर्थन करती है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बिना संदेह ऐसे रोष प्रदर्शनों के से आम लोगों और राहगीरों-मुसाफिऱों को भारी परेशानियां आतीं हैं, परन्तु इसके लिए सरकार जिम्मेदार है, जिस को अंनदाता की गुहार सुनाई नहीं दे रही। चीमा ने प्रदेश सरकार से गन्ना उत्पादकों की मांग के अनुसार 400 रुपए प्रति क्विंटल लाभदायक मूल्य घोषित करने और शुगर मिलों की ओर किसानों का बकाया खड़ी 160 करोड़ रुपए की राशि के तुरंत भुगतान की मांग की। इस बकाया राशी में 106 करोड़ कांग्रेसियों, अकालियों और सियासी प्रभाव वाले नेताओं की निजी शुगर मिलों की तरह हैं।
इसके साथ ही चीमा ने सहकारी मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से इस्तीफा मांगा और कहा कि अगर वह राणा गुरजीत सिंह जैसे शुगर मिल माफिया को गन्ने का मूल्य तय करने वाली समिति का हिस्सा बना कर किसानों का शोषण करवा रहे हैं तो उनको मंत्री बने रहने का कोई हक नहीं। चीमा ने कहा कि विधान सभा सत्र मौके कांग्रेस, कैप्टन और सुखी रंधावा समेत बादलों से इस के बारे में जवाब मांगा जायेगा, क्योंकि फगवाड़ा शुगर मिल का मालिक बादलों की आंखों का तारा और सीनियर अकाली नेता है।

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