
कहा कि सिखों को किसी से भी देशभक्ति का प्रमाण पत्र नही चाहिए। सरकार साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और चुनावी लाभ के लिए हमें निशाना बना रही
आम आदमी पार्टी की कठपुतली सरकार पंजाब में दमन का रास्ता अपना रही
चंडीगढ़/20मार्च: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब में अघोषित आपातकाल, दमन और आंतक के शासन के लिए कठपुतली बनी आप पार्टी की सरकार की कड़ी निंदा की। अकाली दल अध्यक्ष ने सरकार को साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और चुनावी लाभ के लिए देशभक्त सिख समुदाय को बदनाम करने की खतरनाक साजिश रचने के खिलाफ भी चेतावनी दी। उन्होने कहा कि ऐसी ही साजिश कांग्रेस ने पहले भी रची और लागू की थी और अब वर्तमान शासन पंजाब को आग लगाने के लिए उनके नक्शेकदम पर चल रही है।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि सरदार परकाश सिंह बादल की अगुवाई वाली सरकार ने राज्य को आतंक और दमन के खूनी चक्र से बाहर निकालकर शांति और प्रगति के युग की शुरूआत की थी । उन्होने कहा, ‘‘ लेकिन बाद की सरकारों ने राज्य को असुरक्षा और दमन के युग में वापिस धकेल दिया है, जो अस्सी के दशक के अंधेरे और दुखद युग की याद दिलाता है’’।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ इमरजेंसी मीटिंग के बाद एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि सिख सबसे अधिक देशभक्त लोग हैं और उन्होने भारत की स्वतंत्रता , एकता और अखंडता को सुरक्षित और सरंक्षित करने के लिए बहुत बड़े बलिदान दिए है, और जब भी देश को इसकी आवश्यकता होगी, हम फिर से तैयार हैं। उन्होने कहा ‘‘ यह हमारा देश है और सिखों को अपनी देशभक्ति पर किसी के प्रमाण पत्र की जरूरत नही है’’। उन्होने पंजाब के लोगों को आश्वासन दिया कि अकाली दल यहां शांति और सदभाव को बिगाड़ने वाली सभी ताकतों से लड़ेगा। उन्होेने कहा कि अकाली दल राज्य के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने में चैम्पियन ,शांति को सुनिश्चित करने और सरबत का भला में विश्वास रखता है।
सरदार बादल ने आम आदमी पार्टी की सरकार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बेगुनाह सिख नौजवानों खासकर अमृतधारी युवाओं की महज शक के आधार पर अंसवैधानिक तरीको ंका सहारा लेकर अंधाधुंध गिरफ्तारी करने पर कड़ी निंदा करते हुए इस जारी कार्रवाई में सभी गिरफ्तार बेगुनाहों की तत्काल रिहाई की मांग की है।
सरदार बादल ने कहा कि अकाली दल का मतलब न्याय और संघीय ढ़ांचे के भीतर पंजाबियों और विशेष रूप से सिखों के अधिकारों की रक्षा करना है, जिसमें राज्य को अधिक शक्तियां देना शामिल है और यह मांग अब अन्य राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी उठाई गई है।

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