
पंजाब में कोविड प्रतिबंध हटाए जाने के बावजूद , पंजाब सरकार कैदियों से मिलने के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाकर दोहरे मापदंड अपना रही
कहा कि राज्य सरकार कैदियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही
चंडीगढ़ 09 मार्च 2022
पूर्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने आज पंजाब सरकार से सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में कोविड प्रतिबंध हटाए जाने को ध्यान में रखते हुए राज्य की जेलों में दोषियों और विचाराधीन कैदियों के लिए जेल में मिलने वालों पर लगी रोक को हटाने का अनुरोध किया है।
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पूर्व मंत्री ने इस संबंध में राज्य की जेलों के चीफ सैक्रेटरी के साथ साथ प्रमुख सचिव एवं ए.डी.जी.पी को एक पत्र लिखा है।पत्र में अकाली दल के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि कांग्रेस सरकार द्वारा एक झूठी और राजनीति से प्रेरित एफ.आई.आर के कारण पटियाला जेल में न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान उन्हे इस बात का पता चला कि दो साल से कोविड महामारी की शुरूआत के बाद से दोषियों के साथ साथ विचाराधीन कैदियों को भी मुलाकात के अधिकारों से वंचित कर दिया गया था। उन्होने कहा यह इस तथ्य के बावजूद कि पंजाब में सभी कोविड प्रतिबंध हटा दिए गए है और यहां तक कि जिम, थियेटर और रेस्तरां सभी को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जा चुकी है ।
यह कहते हुए कि यह मुददा कैदियों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है, सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि तामिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे सभी राज्यों में भी , जिनमें पंजाब की तुलना में कोविड महामारी ज्यादा फैली थी , ने भी जेल में मुलाकात करने को शुरू कर दिया गया है।उन्होने कहा कि पंजाब में अब भी कैदियों को आमने सामने मुलाकात की अनुमति नही दी जा रही है, उन्हे ऑनलाइन मुलाकात के लिए मजबूर किया जाता है , तथा उन्हे दूर से भी अपने परिवार के सदस्यों से दूर से भी मिलने की इजाजत नही दी जा रही है।
सामान्य मुलाकात के अधिकारों को तुरंत फिर से शुरू करने का अनुरोध करते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि जेलों पर अलग से नियम नही लागू किए जाने चाहिए।उन्होने कहा कि कैदियों को मुलाकात के अधिकारों से इंकार करना दोहरा मानंदडों को अपनाने के समान है और इससे उनके मानसिक और भावनात्मक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होने कहा कि यह कैदियों को उनके परिवारों से मिलने, उनके परिवारों से मुलाकात करने के मामले के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है।
एक निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में वह जेल के कैदियों के साथ हो रहे भेदभाव को देखकर अपनी आंखे और कान बंदनही रख सकते, कहते हुए अकाली नेता ने कहा कई कैदी छोटे बच्चों वाली महिलाएं हैं। ‘‘ कुछ कैदियो ने अपने नवजात बच्चों को देखा नही है, कई वृद्ध हैं जो पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं, जबकि कई अन्य के बुढ़े माता-पिता हैं , जो उनसे मिलना चाहते हैं’’।
सरदार मजीठिया ने पंजाब सरकार के अधिकारियों के ध्यान में लाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनील बतरा बनाम दिल्ली प्रशासक केस में यह स्पष्ट कर दिया था कि ‘‘ परिवार और दोस्तों से मुलाकात करके मन शांत होता है, और केवल एक अमान्वीय प्रणाली ही जेल के कैदियों को इस मानवीय रिश्तों से वंचित करने के सुख से वंचित कर सकती है’’। उन्होने कहा कि नियम 549, अध्याय गअ , पंजाब जेल मैनुअल में कैदियों के परिवार के सदस्यों और दोस्तों द्वारा जेल में मुलाकात करने का प्रावधान दिया गया है। उन्होने कहा कि इसके अलावा मॉडल जेल अधिनियम, 2016 में परिवार के सदस्यों , रिश्तेदारों , दोस्तों और कानूनी सलाहकारों के साथ मिलने यां बातचीत करने के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध करवाने की सुविधा प्रदान की गई है।
सरदार मजीठिया ने कहा कि लोगों से मिलना एक बुनियादी मानवीय जरूरत है और इससे आर्टिकल 21 से वंचित कर मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन होता है।‘‘पारिवार से मुलाकात करना एक मौलिक अधिकार है, विशेषाधिकार नही है , और उन्हे संविधान और जेल नियमों के तहत छोटे अधिकार से प्रदान किए गए हैं उन्हे इससे वंचित करने से बहुत पीड़ा का सामना करना पड़ता है’’। उन्होने शीर्ष अधिकारियों से इसमें तुरंत सुधार करने का आग्रह किया।

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