यूटी प्रशासक से चंडीगढ़  में अलग विधानसभा स्थापित करने के लिए हरियाणा के जमीन अदला-बदली के प्रस्ताव को अुनमति देने की इंकार करने की अपील की: सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया

Majithia
ਗਾਂਧੀ ਪਰਿਵਾਰ 1984 ਦੇ ਸਿੱਖ ਕਤਲੇਆਮ  ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਸੀਨੀਅਰ ਆਗੂਆਂ ਨੂੰ ਸਿਖ਼ਰਲੀਆਂ ਪੋਸਟਾਂ ’ਤੇ ਲਾਉਣ ਲਈ ਪੱਬਾਂ ਭਾਰ  : ਬਿਕਰਮ ਸਿੰਘ ਮਜੀਠੀਆ

कहा कि आवेदन में संवैधानिक औचित्य का अभाव , क्योंकि यूटी में हरियाणा को जमीन देने का निर्णय मूल राज्य की सहमति के बिना नही लिया जा सकता

कहा कि  यह मुददा एसवाईएल के मामले  की तरह भावनाएं  भड़क सकता हैं और कहा कि अकाली दल पंजाबियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इसका विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है

चंडीगढ़/20नवंबर: पूर्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने आज चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित से केंद्र शासित प्रदेश में एक अलग विधानसभा स्थापित करने के लिए हरियाणा के जमीन अदला-बदली के प्रस्ताव को अनुमति देने से इंकार करने की अपील  की है तथा कहा कि यह प्रस्ताव संवैधानिक औचित्य के खिलाफ है।

हरियाणा विधानसभा स्पीकर द्वारा यूटी प्रशासक को दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अकाली नेता ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न हिस्सा है और हरियाणा सरकार मूल राज्य पंजाब की सहमति के बिना जमीन की अदला-बदली के लिए आवेदन नही कर सकती है।  उन्होने कहा कि ‘‘ अगर इस तरह के अनुरोधों पर विचार किया जाता है तो इससे अराजकता पैदा होगी, क्येांकि पंजाब और हिमाचल सरकार को जमीन की अदला-बदली के लिए अनुरोध करने से कोई नही रोक सकता है। उन्हेाने कहा कि यह आवेदन संविधान की धारा 3 के खिलाफ भी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि केवल संसद ही राष्ट्रपति की सहमति से किसी राज्य की सीमाओं को बदल सकती है’’।

अकाली नेता ने गर्वनर को यह भी अवगत कराया कि यह मुददा पंजाबियों की भावनाओं से जुड़ा है, जो सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) मामले की तरह ही भड़क सकता है। पंजाब संघर्ष के दौर से गुजरा है और ऐसा कुछ भी नही किया जाना चाहिए जिससे क्षेत्र का माहौल खराब हो। उन्होने कहा कि हरियाणा को लगता है कि अलग विधानसभा बनाकर वह चंडीगढ़ में अपना पक्ष मजबूत कर लेगा, लेकिन वह आग से खेल रहा है। अकाली दल पंजाबियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस कपटपूर्ण एजेंडें का सख्ती से विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है जो इस प्रस्ताव को असहनीय और अस्वीकार्य पाते हैं’’।

सरदार मजीठिया  ने प्रशासक को यह भी सूचित किया कि हरियाणा सरकार का आवेदन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966, राजीव लोगोंवाल समझौते का उल्ल्ंघन है,और संघवाद की भावना के भी खिलाफ है, क्योंकि इस अनुरोध पर एकतरफा निर्णय पंजाब के प्रति भेदभावपूर्ण होगा।

 पंजाब के बारे अन्य जानकारी देते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि खरड़ तहसील के 22 पंजाबी भाषी गांवों को उखाड़कर चंडीगढ़ बनाया गया था। उन्होने कहा, ‘‘ यह पंजाब को चंडीगढ़ पर एक प्राकृतिक अधिकार देता है ओर एक ऐसा तथ्य है जो केंद्र यां यहां तक कि हरियाणा द्वारा भी कभी विवाद नही किया गया है। उन्होने यह भी जोर देकर कहा कि यह एक अच्छी तरह से स्थापित मिसाल है कि जब भी किसी राज्य को विभाजित किया जाता है तो राजधानी मूल राज्य के रूप में ही विकसित होती है। उन्होने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम,1966 और 1970 में केंद्र सरकार द्वारा की गई घोषणा ने यह स्पष्ट कर दिया था कि चंडीगढ़ पंजाब में चला जाएगा। उन्होने कहा, ‘‘ हरियाणा को चंडीगढ़ में अस्थायी कार्यालय और आवासीय आवास तब तक दिया गया जब तक कि उसेन अपनी राजधानी स्थापित नही की ।  राजीव-लोंगोवाल समझौते से इन गारंटियों को और मजबूती मिली , जिसने पंजाब को चंडीगढ़ पर एक विशेष अधिकार दिया और संसद द्वारा समझौते की पुष्टि की गई थी’’।

सरदार मजीठिया ने चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को कम करने के लिए समय समय पर किए गए विभिन्न उपायों को भी रिकॉर्ड में लाए और यूटी प्रशासक से स्थिति को ठीक करने का अनुरोध किया। उन्होने कहा कि राज्य के पुनर्गठन के बाद से चंडीगढ़ में अधिकारियों को क्रमशः पंजाब और हरियाणा के बीच 60ः40 के अनुपात से तैनात किया गया है। उन्होने कहा, ‘‘ इसे एक अलग यूटी कैडर का निर्माण के साथ और एजीएमयूटी और डीएएनआईपीएस के अधिकारी प्रमुख पदों पर तैनात कर इसे कमजोर किया गया है। उन्होने कहा कि हाल ही में यूटी प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों से पंजाब के कैडर के अधिकारियों को हटाकर दरकिनार किए जाने की घटना हुई थी। उन्होने कहा कि चंडीगढ़ में केंद्रीय वेतनमान लागू करने का कदम भी संघीय सिद्धांत के विपरीत है और इसे यूटी पर पंजाब के अधिकार को कम करने के एक और कदम के रूप में देखा जा रहा है। उन्होने प्रशासक से हरियाणा के अनुरोध को अस्वीकार करने के साथ ही चंडीगढ़ के तत्काल स्थानातरंण का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘ वह हरियाणा के अनुरोध को अस्वीकार करें तथा साथ ही  चंडीगड़ को तुरंत पंजाब के हवाले करने की सिफारिश करें’’।

 

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