विभिन्न विभागों द्वारा वर्तमान में 100 कैंटीन चलाई जा रही हैं
मुख्य सचिव ने की हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की कार्यकारी समिति की 8वीं बैठक की अध्यक्षता
बैठक में वर्ष 2022-23 की कार्य योजना को दी गई मंजूरी, योजनाओं पर खर्च होंगे लगभग 220 करोड़ रुपये
चंडीगढ़, 6 जुलाई – हरियाणा में विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही कम्युनिटी किचन गरीबों व जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इन कैंटीन के माध्यम से लोगों को किफायती दर पर भरपेट भोजन मिल रहा है। इस समय राज्य में भिन्न-भिन्न विभागों द्वारा 100 कैंटीन चलाई जा रही हैं। इन कैंटीन का संचालन हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बनाए गए स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। अब सरकार ने राज्य में और अधिक स्थानों पर ऐसी कैंटीन खोलने की योजना बनाई है।
यह जानकारी मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एचएसआरएलएम) की कार्यकारी समिति की 8वीं बैठक में दी गई। बैठक में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, दीनदयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना और स्वरोजगार प्रशिक्षिण संस्थान (आरसेटी) की वर्ष 2022-23 की कार्ययोजना को मंजूरी प्रदान की गई, जिस पर लगभग 220 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का विज़न है कि हरियाणा में कोई गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति भूखा नहीं रहना चाहिए और कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों के लिए करनाल से अटल किसान-मजदूर कैंटीन की शुरुआत की गई थी। आमजन इन कैंटीन का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए इन कैंटीनों की संख्या और अधिक बढ़ाई जाए।
बैठक में बताया गया कि हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड द्वारा किसानों व मजदूरों को किफायती भोजन उपलब्ध करवाने के लिए लगभग 25 स्थानों पर अटल किसान-मजदूर कैंटीन चलाई जा रही है, जहां किसानों और मजदूरों को मात्र 10 रुपए में भरपेट भोजन मिल रहा है। इसके अलावा, 3 राजकीय कॉलेजों, 5 लघु सचिवालयों, 5 चीनी मिलों, 9 सरकारी कार्यालयों और 26 बीडीपीओ कार्यालयों तथा श्रम विभाग द्वारा 9 स्थानों पर इस प्रकार की कैंटीन चलाई जा रही हैं। इनके अतिरिक्त, स्वास्थ्य विभाग द्वारा 9 कैंटीन चलाई जा रही हैं, जहां मरीजों एवं उनके परिजनों के लिए भोजन दिया जा रहा है।
बैठक में बताया गया कि एचएसआरएलएम दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इस वर्ष 15 हजार स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों का नामांकन करवाने, एग्री-न्यूटरी गार्डन तैयार करने और स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम के तहत 5000 एंटरप्राईज की स्थापना करने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में बताया गया कि स्वरोजगार प्रशिक्षिण संस्थान (आरसेटी) योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों के 1889 सदस्यों को भारतीय बैंकिंग एवं वित्त संस्थान के माध्यम से प्रशिक्षण दिलवाया गया है और विभिन्न बैंकों द्वारा इन्हें नियुक्त किया जा रहा है। इसके अलावा, 9663 स्वयं सहायता समूहों को एक अलग एंटरप्राईज के तौर पर विकसित किया गया है, जो विभिन्न कार्यों के माध्यम से आज 8 हजार से 12 हजार प्रति माह आजीविका कमा रहे हैं।
बैठक में बताया गया कि आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को 5.41 करोड़ रुपये के ब्याज फ्री ऋण के माध्यम से 149 व्यावसायिक वाहन प्रदान किए गए हैं। इन वहानों की सहायता से समूहों की आय में वृद्धि हो रही है और वे 10 हजार से 18 हजार रुपये प्रति माह तक आय अर्जित कर रहे हैं।
बैठक में जानकारी दी गई कि स्वरोजगार प्रशिक्षिण संस्थान (आरसेटी) के तहत उद्योग की मांग के अनुरूप ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस वर्ष 768 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है और 545 को रोजगार मुहैया करवाया गया है। इसके अलावा, 1931 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा, श्रम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजा शेखर वुंडरू, महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. जी. अनुपमा, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सिचव श्री विजेंद्र कुमार, रोजगार विभाग के निदेशक श्री अंशज सिंह, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक श्री धीरेंद्र खडगटा, हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अमरिंद्र कौर सहित अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष मौजूद रहे।

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