चंडीगढ़, 20 जून:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार के कृषि से सम्बन्धित आर्डीनैंसों पर राय बनाने के लिए 24 जून को सर्वदलीय मीटिंग बुलाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आर्डीनैंस राज्य के लिए पूरी तरह असहनीय हैं क्योंकि यह किसानों के हितों के विरुद्ध हैं और न्युनतम समर्थन मूल्य के दौर का भी अंत कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने इन आर्डीनैंसों को न्युनतम समर्थन मूल्य का ख़ात्मा करने का आधार बताया जो भारत सरकार करना चाहती है। उन्होंने कहा कि मीटिंग के दौरान पैदा हुई सहमति के आधार पर एक पत्र भारत सरकार को भेज कर यह आर्डीनैंस तुरंत वापस लेने की माँग की जायेगी।
फेसबुक के लाइव प्रोग्राम ‘कैप्टन को सवाल ’ की 7वीं कड़ी के दौरान लोगों को रूबरू होते हुये मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की तरफ से जारी किये किसान विरोधी आर्डीनैंसों पर तुरंत विचार करने का न्योता दिया। उन्होंने भरोसा ज़ाहिर किया कि पंजाब की सभी राजसी पार्टियाँ इन आर्डीनैंसों के रद्द होने के लिए एकमत होंगी क्योंकि यह आर्डीनैंस जहाँ किसानों को न्युनतम समर्थन के सहयोग का ख़ात्मा करेंगे, वहीं मंडी बोर्ड को भी प्रभावहीन बना कर रख देंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के एक आर्डीनैंस के द्वारा मंडी कृषि उत्पाद मंडी कमेटी (ए.पी.एम.सी) के एकाधिकार को ख़त्म करने के कदम से मंडी बोर्ड को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचेगा, जिसको मौजूदा समय मार्केट फीस और ग्रामीण विकास फंड (आर.डी.एफ) के रूप में 3500 से 3600 करोड़ रुपए की आय होती है। उन्होंने कहा कि आय वसूली में होने वाली यह कमी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बुरी तरह प्रभावित करेगी क्योंकि यह पैसा बोर्ड की तरफ से सडक़ेेंं और लिंक सडक़ें विकसित करने और अन्य बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्टों पर ख़र्च किया जाता है जिसका उद्देश्य किसानों के जीवन को बेहतर बनाना है।
उन्होंने ज़ोर देते हुये कहा कि पंजाब के किसानों ने भारत की खाद्य सुरक्षा में बहुत अहम योगदान डाला है और किसानों के हितों के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता।
यह जि़क्रयोग्य है कि इस सप्ताह की शुरुआत में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर इन आर्डीनैंसों पर फिर से गौर करने की माँग की थी। इन आर्डीनैंसों के मुताबिक ए.पी.एम.सी. एक्ट के अंतर्गत स्थापित की कृषि मंडियों की निर्धारित सीमाओं से बाहर कृषि उत्पाद बेचने की इजाज़त देना, ज़रूरी वस्तुएँ एक्ट के अधीन बन्दिशों में ढील देना और कांट्रेक्ट फार्मिंग को आसान बनाना शामिल हैं।

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