चंडीगढ़, 19 दिसंबर:
मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल 2020 के दूसरे दिन के आखिरी सैशन के दौरान भारतीयों में देशभक्ति का जोश भरने में बॉलीवुड की भूमिका को उजागर किया गया। ‘बालीवुड एंड शेपिंग द नेशन’ सैशन का संचालन प्रसिद्ध पत्रकार निरुपमा सुब्रमण्यम द्वारा किया गया और माहिर पैनलिस्टों में फि़ल्म आलोचक सुभ्रा गुप्ता, प्रसिद्ध कलाकार मेजर बिक्रमजीत कंवरपाल और आई.आई.ए.एस, शिमला के डायरैक्टर प्रोफ़ैसर मकरनन्द आर. परांजपे शामिल थे।
हकीकत, मदर इंडिया, शौर्य और बॉर्डर जैसी कुछ फिल्मों पर रौशनी डालते हुए पैनेलिस्टों ने दावा किया कि सिनेमा लोगों तक भावनाएं पहुँचाने का सबसे शक्तिशाली माध्यम है। प्रोफ़ैसर मकरनन्द आर. परांजपे ने कहा कि पैनल का शीर्षक बेहद अहम विषय है और समाज में घटने वाली घटनाओं के साथ सिनेमा का बहुत नज़दीकी सम्बन्ध है क्योंकि यह समाज के आईने का काम करता है। उन्होंने आगे कहा कि बॉलीवुड हमेशा सैनिकों का सत्कार करता है क्योंकि वह राजनीति से दूर रहते हैं।
इसी दौरान, मेजर बिक्रमजीत कंवरपाल ने कहा कि कट्टरपंथी समेत कई कारकों के बावजूद सिनेमा इनके प्रभाव से दूर रहा है और यह लोगों को लगातार प्रभावित कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सिनेमा समाज में घटने वाली घटनाओं का फिल्मी रूपांतरण करता है और अलग-अलग समय में घटी घटनाओं पर कई फिल्में रिलीज हुई हैं।
सुभ्रा गुप्ता ने कहा कि फि़ल्म निर्माता हमारे जैसे लोग हैं और वह रोज़मर्रा की घटने वाली घटनाओं से विचार लेते हैं। उन्होंने अपने तजुर्बे साझा करते हुए कहा कि बहुत से फि़ल्म निर्माताओं ने उनको बताया था कि उनको अखबारों की सुर्खियों से फि़ल्म बनाने का विचार आया था और आस-पास घट रही घटनाएँ फि़ल्म का विषय बनीं।

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