अकाली दल के वरिष्ठ नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पर सफेद झूठ बोलने और वन मैन शो आयोजित करने के लिए 30 करोड़ रूपये बर्बाद करने का भी आरोप लगाया
चंडीगढ़/01नवंबर :
शिरोमणी अकाली दल ने आज कहा है कि मुख्यमंत्री भगंवत मान ने यह कहकर सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर पर पंजाब के रूख से समझौता कर राज्य के दरिया के पानी पर राजस्थान और हरियाणा का पूरा अधिकार है, हालांकि उन्होने आरोप लगाया कि उन पर सफेद झूठ बोलने और वन मैन शो जिसका शीर्षक ‘मैं झूठ बोलदा’ होना चाहिए था को आयोजित कर 30 करोड़ रूपये बर्बाद करने का आरोप लगाया है।
यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अकाली नेता बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, डाॅ. दलजीत सिंह चीमा और विरसा सिंह वल्टोहा ने पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल के खिलाफ बदनामी अभियान में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री की निंदा करते हुए कहा कि श्री मान के दावे के विपरीत बानी डिस्ट्रीब्यूटरी जो हरियाणा के 20 गांवों में पानी प्रदान करती है वह 1955 में चालू हुई थी न कि 1998 में चालू हुई थी। नेताओं ने मुख्यमंत्री को साबित करने यां तुरंत माफी मांगने की चुनौती दी है। उन्होने यह भी कहा कि सच्चाई यह है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री देवी लाल ने पंजाब के पानी को हरियाणा तक ले जाने के लिए नहर के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जबकि सरदार परकाश सिंह बादल ने 1979 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 को चुनौती देने वाली याचिका दायर करके इसका विरोध किया था।
नेताओं ने कहा कि श्री भगवंत मान ने उनसे पूछे गए सवालों का जवाब देने से इंकार करके न केवल पंजाबियों का अपमान किया है, बल्कि इसी दिन हुए कत्लेआम के पीड़ितों के साथ सहानुभूति रखने से इंकार करके उनकी भावनाओं को ठेस भी पहुचाई है। उन्होने कहा कि वे पंजाबियों को यह बताने में विफल रहने के अलावा कि राज्य के पानी को कैसे बचाएंगें , मुख्यमंत्री ने किसानों, युवाओं और समाज के गरीब वर्गों के ज्वलंत मुददों के साथ साथ ड्रग्ज के खतरे और कानून व्यवस्था के चरमराने के मुददे को भी संबोधन करने से इंकार कर दिया है।
नेताओं ने आज मुख्यमंत्री को एसवाईएल पर पंजाब के हितों के खिलाफ जाने की बात कहते हुए कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री ने 1955 में पंजाब के कुल पानी का आधा हिस्सा राजस्थान को देने पर चर्चा करने से इंकार कर दिया, क्योंकि वह वहां आगामी चुनावों में आप पार्टी के लिए वोट हासिल करना चाहते हैं’’। उन्होने कहा कि इसी तरह मुख्यमंत्री ने पंजाब और हरियाण के बीच जल वितरण 50ः50 के बजाय 60ः40 होना चाहिए । उन्होने कहा, ‘‘ यह पंजाब के हितों को हरियाणा को बेचने के समान है और रिपेरियन सिद्धांत के खिलाफ है जो पंजाब को अपने नदी हल पर अविभाज्य अधिकार देता है’’। उन्होने उस तरीके पर भी आपत्ति जताई जिसमें मुख्यमंत्री ने राजस्थान और हरियाणा सरकारों को पत्र लिखकर पूछा था कि जल विनियमन बीबीएमबी की जिम्मेदारी है कि उन्हे कितना पानी चाहिए। उन्होने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट है कि यह दिखाने के लिए किया गया कि पंजाब दोनों राज्यों में चुनावों के दौरान पड़ोसी राज्यों को पानी देने के लिए तैयार है’’। उन्होने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि मुख्यमंत्री उन लोगों के साथ खड़े हैं जो पंजाब को लूट रहे हैं।
नेताओं ने कहा कि श्री भगवंत मान ने उन तीन ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र नही किया जिनके कारण एसवाईएल नहर से हरियाणा को पानी छोड़ना बंद कर दिया गया था। उन्होने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 का विरोध , कपूरी मोर्चा और उस जमीन को डिनोटीफाई करने का विरोध शामिल है, जिस पर एसवाईएल नहर खड़ी है तथा यह सब शिरोमणी अकाली दल द्वारा किया गया था। नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि वह पंजाब के सांसद संदीप पाठक की इस गंभीर मांग पर चुप क्यों रहे हैं कि हरियाणा को एसवाईएल से पानी दिया जाना चाहिए। उन्होने कहा, ‘‘ श्री मान ने आप की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष सुशील गुप्ता के उस बयान को खारिज करने से भी इंकार कर यिा कि अगली आप सरकार एसवाईएल से हरियाणा के सभी हिस्सों में पानी उपलब्ध कराएगी यां यह बताएं कि उन्होने उस बंगले से हरियाणा की आप इकाई की मीटिंग क्यों आयोजित की जो उनके मंत्री पद पुल का हिस्सा थी’’।
नेताओं ने मुख्यमंत्री के उस तरीके की भी निंदा कि जिस तरह से उन्होने लुधियाना में लोगों की आजादी प्रतिबंधित कर इमरजेंसी की याद दिला दी। उन्होने कहा कि किसान नेताओं के साथ साथ विभिन्न यूनियनों और संघो का प्रतिनिधित्व करने वालों को भी नजरबंद कर दिया गया है। उन्होने कहा कि ऐसे कठोर कदमों के बावजूद, आप सरकार अपने कार्यकर्ताओं और सरकारी अधिकारियों पर भरोसा करके पीएयू के आॅडिटोरियम को भी भर नही सकी।

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