मुख्यमंत्री को अपने शीर्ष अधिकारियों के साथ पूर्ववर्ती अकाली दल की अगुवाई वाली सरकार द्वारा स्थापित मेरिटोरियस और आदर्श  स्कूलों का दौरा करना चाहिए: शिरोमणी अकाली दल

Maheshinder Singh Grewal
ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਆਪਣੇ ਅਫਸਰਾਂ ਨਾਲ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਾਲੀ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਬਣਾਏ ਮੈਰੀਟੋਰੀਅਸ ਅਤੇ ਆਦਰਸ਼ ਸਕੂਲਾਂ ਦਾ ਦੌਰਾ ਕਰਨ : ਅਕਾਲੀ ਦਲ
कहा कि मुख्यमंत्री को  विदेशी मॉडल को लागू करने से पहले राज्य के शिक्षा मॉडल को समझने की जरूरत  है , जिसके कारण पंजाब स्कूल शिक्षा  राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे स्थान पर पहंुच गया: सरदार महेशइंदर सिंह ग्रेवाल

कहा कि मुख्यमंत्री को प्राइवेट विश्वविद्यालयों के कामकाज की निगरानी करें जोकि आप पार्टी की सरकार में अधिकार होने का फायदा उठा रहे

चंडीगढ़ 15 अप्रैल 2022

शिरोमणी अकाली दल ने आज मुख्यमंत्री भगवंत मान  को पूर्ववर्ती अकाली दल के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा स्थापित मेरिटोरियस और आदर्श स्कूलों का दौरा करने को कहा, जिन्होने अन्य मॉडलों का अंधाधुंध पालन करने के बजाय स्कूली शिक्षा को राष्ट्रीय सर्वेक्षण में नंबर दो पर पहंुचा दिया है।

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यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल के वरिष्ठ नेता महेशइंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि यह राज्य के लिए अच्छा होगा यदि मुख्यमंत्री अपने अधिकारियों को उन्हे स्थापित करने के महत्व को समझने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल द्वारा स्थापित किए मेरिटोरियस और आदर्श स्कूलों में लेकर जाएं।  ‘‘ पंजाब को विदेशी मॉडल को लागू करने के बजाया अपनी गुणवत्ता को बढ़ाने की जरूरत है। आप पार्टी की सरकार को  कांग्रेस सरकार की पिछली नीति  इन संस्थानों को धन और गुणवत्ता  वाले शिक्षकों से वंचित करने की नीति के विपरीत चलना चाहिए। वास्तव में इसके पीछे के मूल दर्शन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए इस अवधारणा का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि समाज के वंचित  वर्गों के ग्रामीण छात्रों को भारत और दुनिया में सर्वक्षेष्ठ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके’’।

सरदार ग्रेवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा पंजाब के इन संस्थानों का अपने शीर्ष अधिकारियों के साथ  दौरा करने से पिछले पांच सालों में आई स्तर में गिरावट पर रोक लगा देगा।  ‘‘ मुख्यमंत्री को एक पूर्ववर्ती अकाली दल की अगुवाई वाली सरकार की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहल का विचार मिलेगा, जिसे अन्य राज्यों में फैलाने की आवश्यकता है’’।

सरदार ग्रेवाल ने कहा कि स्कूल यूनिफॉर्म के प्रावधान और प्राइवेट स्कूलों की फीस ढ़ांचे को विनियमित करने की जरूरत है, लेकिन सरकार को प्राइवेट विश्वविद्यालयों के कामकाज पर भी ध्यान देना चाहिए, जो किसी न किसी तरह से छात्रों को ठग रहे हैं। ‘‘ ये संस्थान न केवल पाठयक्रम में बदलाव कर रहे हैं, बल्कि दूसरें पाठयक्रमों में छात्रों की संख्या को कम कम रहे हैं, जिसका राज्य के अकादमिक वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा यह भी धारण बन गई है कि इन विश्वविद्यालयों के मालिकों को वर्तमान सरकार में एक अधिकार प्राप्त है, और अब वे अपनी जैसा चाहें वैसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस धारणा को यह सुनिश्चित करके ठीक किया जाना चाहिए कि प्राइवेट विश्वविद्यालय सभी मानदंडों का पालन करें और किसी भी तरह से छात्रों को न लूटें’’।