चंडीगढ़/12अक्टूबर:
शिरोमणी अकाली दल ने आज कहा है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के कहने पर सुप्रीम कोर्ट में पंजाब के हितों से समझौता करने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान अब एसवाईएल नहर के माध्यम से रावी-ब्यास का पानी हरियाणा को देने के लिए केंद्रीय सर्वेक्षण के सफल संचालन के लिए अब कांग्रेस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अकाली दल के वरिष्ठ नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ऐसा लगता है कि आप पार्टी की सरकार कांग्रेस पार्टी द्वारा पंजाब के साथ किए गए सभी ऐतिहासिक अन्यायों को भूल गई है, चाहे वह 1955 में अपनी नदियों का आधा पानी राजस्थान को देना हो यां बाकी बचे पानी का आधा हिस्सा हरियाणा को देने का निर्णय देने का मामला हो यां 1981,1982 में एसवाईएल की खुदाई का निर्माण और उदघाटन का निर्णय हो। उन्होने कहा, ‘‘ इन अन्यायों का जिक्र करने के साथ साथ पंजाबियों को यह बताने के बजाय कि वह सुप्रीम कोट में राज्य के मामले का बचाव करने में क्यों विफल रही, आप पार्टी की सरकार ने अकाली दल के खिलाफ दुष्प्रचार शुरू कर दिया है। यह राज्य के हित में नही है, क्योंकि यह पंजाब विरोधी पार्टियों के हाथों में खेलने के समान है जो हमारी नदियों के पानी को छीनना चाहते हैं’’।
डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने अकाली दल को बदनाम करने के लिए विधानसभा में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल के भाषणा के एक पेज का दस्तावेज का उपयोग करने की भी आप पार्टी की निंदा की। उन्होने कहा कि भाषणा, जो हरियाणा के विधायकों के लिए दिया गया था उसमें केवल भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 के तहत तीन गांवों में जमीन अधिग्रहण करने की पंजाब सरकार की मंाा के बारे में बात की गई थी। उन्होने कहा, ‘‘ आप सरकार भूल गई कि एसवाईएल 122 किलोमीटर में बनाई गई थी और इसके लिए प्रशासनिक मंजूरी 1977 में ज्ञानी जैल सिंह ने दी थी और इस अवधि के दौरान ज्ञानी जैल सिंह को हरियाणा से एक करोड़ रूपये भी मिले थे’’।वरिष्ठ अकाली प्रवक्ता ने कहा कि इस स्थिति के बावजूद 1978 में सत्ता संभालने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 को चुनौती दी, जो केंद्र को पंजाब और हरियाणा के बीच नदी जल आवंटित करने की शक्ति देती थी। बादल साहिब ने भी अपने मुख्यमंत्री वाले काल में एसवाईएल नहर का निर्माण नही होने दिया तथा 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा परियोजना के काम का उदघाटन करने के बाद उन्होने कपूरी गांव में एसवाईढल के निर्माण को रोकने के लिए एक मोर्चा भी शुरू किया, यह सब रिकाॅर्ड का हिस्सा है और स्पष्ट होता है कि सरदार बादल दरिया के पानी के असली रक्षक थे’’।आम आदमी पार्टी से इस संवेदनशील मुददे पर राजनीति नही करने की अपील करते हुए डाॅ. चीमा ने कहा कि पंजाबी इस बात से परेशान हैं कि आप वास्तव में एसवाईएल नहर के निर्माण और पंजाब का पानी हरियाणा को देने के पक्ष में है। उन्होने कहा, ‘‘ आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं’’। उन्होने कहा कि आप ने हरियाणा में भी गारंटी दी है कि अगर पार्टी 2024 में राज्य में सत्ता में आती है तो वह एसवाईएल का पानी राज्य के हर कोने तक पहुंचना सुनिश्चित करेगी’’।
डाॅ. चीमा ने कहा यह राजनीति करने का समय नही है। उन्होने कहा, ‘‘ एसवाईएल नहर पर सभी पार्टियों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाना चाहिए ’’। उन्होने कहा कि अब भी सरकार को एसवाईएल और जल बंटवारा समझौते को लेकर पंजाब के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के लिए एक केंद्रीय कानून लाया जाना चाहिए’’।

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