चंडीगढ़/11अगस्त 2021 पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने आज कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने संसद में किसानों की आवाज उठाने से इंकार कर तथा कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए मजबूर करने की बजाय भाजपा सरकार के साथ मिलीभगत साबित हो गई है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि कांग्रेस पार्टी ने संसद के बाहर किसानों के समर्थन में नकली विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन संसद में इस मुददे को उठाने से इंकार कर दिया । ‘‘ कांग्रेस पार्टी ने पैगासर स्पाइवेयर मुददे पर चर्चा के लिए मजबूर करने के लिए संसद में रोजमर्रा के आधार पर विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन कृषि कानूनों के समर्थन में ऐसा करने से इंकार कर दिया’’।
सरदारनी बादल ने कहा कि भाजपा के साथ कांग्रेस पार्टी की मिलीभगत को इस तथ्य से भी देखा जा सकता है कि जब सरकार ने 127वें संशोधन को पारित कराने के लिए अपना सहयोग मांगा था, तब भी कांग्रेस बिना शर्त समर्थन के लिए राजी हो गई, यह मांग करने की बजाया कि खेती कानूनों पर पहले चर्चा की जानी चाहिए’’। कल भी सभापीठ ने राज्यसभा ने कृषि कानूनों पर चर्चा की अनुमति दी थी, लेकिन कांग्रेस के सदस्यों ने एनडीए सरकार की किसान विरोधी नीतियों को उजागर करने के बजाय प्रक्रिया के मुददे का विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होने कहा कि कांग्रेसियों ने सदन की कार्यवाही स्थगित करवाने का खेल खेलकर भाजपा के हाथों की कठपुतली बन गई है।
सरदारनी बादल ने कहा कि जब से संसद में कृषि विधेयकों को मंजूरी के लिए रखा गया, तबसे कांग्रेस पार्टी इस गेम प्लान का पालन कर रही है। उन्होने कहा कि राहुल गांधी देश से बाहर की यात्रा करके लोकसभा में स्वयं अनुपस्थित रहे। बठिंडा की सांसद ने कहा कि राज्यसभा में बड़ी संख्या में कांग्रेस के सांसद थे, वहीं सत्ताधारी दल के पास बहुत कम मत थे, जब विधेयकों को रखा गया तो वे आसानी से पास हो गए।
सरदारनी बादल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने खेती कानूनों को रदद करवाने के लिए एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन नही किया। उन्होने कहा कि पार्टी के पास केवल 52 सांसद थे, लेकिन पिछले तीन दिनों से केवल चार यां पांच सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया। शिअद-बसपा गठबंधन के सांसदों ने पूरे सत्र के दौरान निरंतर विरोध किया। उन्होने यह भी घोषणा की कि शिअद-बसपा गठबंधन खेती कानूनों के खिलाफ तब तक अपना विरोध जारी रखेगा जब तक उन्हे निरस्त नही किया जाता।

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