छह प्रतिष्ठित लेखकों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया
साहित्य अकादमी द्वारा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती के अवसर पर आयोजित “दलित चेतना” कार्यक्रम में छह प्रतिष्ठित लेखकों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। महेंद्र सिंह बेनीवाल, ममता जयंत, नामदेव और नीलम ने कविताएं सुनाई तथा पूरन सिंह और टेकचंद ने लघु कथाएं पढ़ीं। अपनी प्रस्तुतियों में, सभी ने डॉ. आंबेडकर की बुनियादी शिक्षाओं और उनके उस विजन पर प्रकाश डाला, जिसकी सहायता से एक भेदभाव, मुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है। सबसे पहले, ममता जयंत ने अपनी पांच कविताएं प्रस्तुत कीं, जिनके शीर्षक थे ‘सभी ने छुआ था’, ‘जीवित इमारतें’, ‘ईश्वर’, ‘नहीं चाहिए’ और ‘बहेलियों के नाम’। नामदेव ने अपनी कविताएं ‘बाबा भीम’, ‘गाड़ीवान’, ‘कुआं’ और ‘पहचान’ पढ़ीं, जो डॉ. आंबेडकर के सपनों की वर्तमान स्थिति को दर्शाती हैं। नीलम की कविताओं के शीर्षक थे ‘सबसे बुरी लड़की’, ‘नई दुनिया के रचयिता’, ‘तुम्हारी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे हम’ और ‘उठो संघर्ष करो’। कविता ‘सबसे बुरी लड़की’ ने महिलाओं के अधिकारों और समानता के संघर्ष को प्रेरित किया। महेंद्र सिंह बेनीवाल ने ‘तस्वीर’, ‘और कब तक मारे जाओगे’, ‘भेड़िया’ और ‘आग’ शीर्षक वाली कविताएं पढ़ीं, जिन्होंने आधुनिक समाज की दोहरी मानसिकता को बहुत ही सटीक रूप से सामने रखा। टेकचंद द्वारा प्रस्तुत कहानी का शीर्षक ‘गुबार’ था। इसमें दलितों के कुछ समुदायों के बीच अज्ञानता की गहरी जड़ों को बहुत ही सरल तरीके से दिखाया गया। पूरन सिंह ने अपनी कहानी ‘हवा का रुख’ पढ़ी, जो विभिन्न दबावों के परिणामस्वरूप एक लेखक द्वारा किए जाने वाले समझौते की विडंबना पर केंद्रित थी। इस कार्यक्रम का संचालन संपादक (हिंदी) श्री अनुपम तिवारी ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लेखक, पत्रकार और छात्र उपस्थित थे।

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