सरना ने वीर बाल दिवस का नाम बदलकर साहिबजादे शहादत दिवस रखने की मांग का समर्थन किया

चंडीगढ़/25 दिसंबर 2025

शिरोमणी अकाली दल की दिल्ली ईकाई के अध्यक्ष स.परमजीत सिंह सरना ने कहा है कि वीर बाल दिवस का नाम बदलकर साहिबजादे शहादत दिवस रखने की मांग ऐतिहासिक स्पष्टता, नैतिक तर्क और पार्टी के कई सालों पुराने रूख पर आधारित है।

सरना ने याद किया कि 2019 में शिरोमणी अकाली दल ने रस्मी तौर पर जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन पर मनाए जाते बाल दिवस की जगह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का समर्थन किया था।

उन्होने कहा कि ‘‘यह कोई विसंगति नही है, जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है ,पार्टी ने हमेशा कहा है कि साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह एवं साहिबजादा बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को राष्ट्रीय मान्यता दी जानी चाहिए। उन्होने कहा कि यादगार से जुड़ा नाम महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाषा इतिहास को समझने का साधन होती है।’’

सरना ने कहा कि वीर बाल शब्द भावनात्मक रूप होने के बावजूद व्यापक और अशुद्ध इसीलिए है क्योंकि इससे उस विशेष ऐतिहासिक घटना को अस्पष्ट होने का खतरा पैदा हो सकता है। उन्होने कहा,‘‘  यह बचपन के साहस का साधारण त्यौहार नही है। यह एक दर्ज की गई शहादत की याद दिलाता है, जिसमें साहिबजादों को अपने विश्वास को छोड़ने से इंकार करनेे के लिए जिंदा नींवों में शहीद किया गया था। ‘साहिबजादे शहादत दिवस’ शब्द इस असलियत को प्रत्यक्ष रूप से दर्शाता है।’’

सरना ने उन सुझावों को खारिज कर दिया कि यह मांग राजनीतिक तौर पर प्रेरित थी यां सरकार के फैसले को कमजोर करन के लिए थी। ‘‘साहिबजादों को याद करना किसी एक पार्टी यां सरकार से संबंधित नही है। अकाली दल ने विभिन्न राजनीतिक मंचों पर एक ही विचार रखा है। यदि राष्ट्र उनकी शहादत को मनाता है तो इसे इस तरीके से किया जाना चाहिए जो सिख ऐतिहासिक समझ को दर्शाता हो।’’ उन्होने कहा कि बीबा हरसिमरत कौर बादल द्वारा बयान किए गए साहिबजादा शहादत दिवस की शब्दावली से राष्ट्रीय त्यौहार को जोड़ने से जनता की धारणा कमजोर होने के बजाय मजबूती मिलेगी।

इस आलोचना का जवाब देते हुए कि दिन का नाम बदलने से तय किए गए फैसलों को दोबारा बदला जा सकता है, सरना ने कहा कि यादगारी समागम प्रबंधकी अभ्यास नही बल्कि सामूहिक अभिव्यक्ति है। उन्होने कहा,‘‘ जब मकसद शहादत का सम्मान करना है तो उस तथ्य को दर्शाने के लिए भाषा को परिष्कृत करना संशोधवाद नही है। यह इतिहास की एक जिम्मेदार सांझ का प्रतीक है।’’

उन्होने कहा कि बीबा हरसिमरत कौर बादल के बयान को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए । ‘‘ उन्होने वही बात दोहराई है जो पार्टी 2019 से लगातार कहती आ रही  है। बुनियादी बात वही है कि राष्ट्र को साबिजादों को शहीदों के रूप में याद रखना चाहिए, जिनकी शहादत सिख इतिहास में विशेष स्थान रखती है।’’