मोदी सरकार का क्षेत्रीय भाषा विरोधी बिल अल्पसंख्यकों के हितों पर एक और डाका-चन्नी
चंडीगढ़, 3 सितम्बर:
पंजाब के कैबिनेट मंत्री श्री चरनजीत सिंह चन्नी ने आज यहाँ से जारी बयान में केंद्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जम्मू-कश्मीर के सरकारी भाषाएं बिल में से पंजाबी को बाहर रखने को देश के संघीय ढांचे पर एक और हमला करार देते हुए केंद्र की कड़ी निंदा की है।
कैबिनेट मंत्री ने ‘अल्पसंख्यक विरोधी इस कदम संबंधी कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के साथ-साथ अकाली दल जो एनडीए सरकार की सहयोगी है भी क्षेत्रीय भाषाओं के विरुद्ध उठाए गए इस कदम के लिए बराबर का दोषी है। श्री चन्नी ने इस मुद्दे पर सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्रीमंडल ने बिल को मंजूरी दे दी, जिसके अंतर्गत कश्मीरी, डोगरी और हिंदी के अलावा उर्दू और अंग्रेजी केंद्र शासित प्रदेश में अधिकृत भाषाएं होंगी। उन्होंने कहा कि धारा 370 की धाराओं को रद्द करने से पहले पंजाबी भाषा जम्मू और कशमीर का अटूट अंग थी और इसको जम्मू और कशमीर के संविधान की तरफ से एक मान्यता प्राप्त भाषा का दर्जा प्राप्त था।
मंत्री ने कहा कि जम्मू-कशमीर की बड़ी आबादी की पंजाबी भाषा से काफी गहरी सांझ है, परन्तु इस कदम से जम्मू-कशमीर के पंजाबी बोलने वाले लाखों लोगों की भावनाओं को भारी ठेस पहुँची है। पंजाबी भाषा को सरकारी भाषाओं संबंधी बिल से बाहर रखकर भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा गलत कदम उठाया है, जिस कारण न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही बल्कि पूरे देश के पंजाबी बोलने वाले लोगों में नाराजगी और गुस्से की लहर पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा न सिर्फ पंजाब की ही मुख्य भाषा है, बल्कि इसके साथ लगते सभी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में भी लाखों लोगों द्वारा बोली और पढ़ी जाती है।
मंत्री ने आगे कहा कि पंजाबी भाषा को कनाडा और यू.के. जैसे देशों ने भी अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी है, परन्तु इसके अपने मूल देश में, भाजपा के नेतृत्व वाली एन.डी.ए सरकार ने यह शर्मनाक काम किया है।
मंत्री ने शिरोमणि अकाली दल पर बरसते हुए कहा कि बादल परिवार हरसिमरत बादल के मंत्री पद को बचाने के लिए भाजपा के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया है। उन्होंने भाजपा द्वारा देश के अल्पसंख्यकों को कुचलने के लिए उठाए जा रहे ऐसे सभी कदमों के लिए अकाली दल को बराबर का जिम्मेदार ठहराया है।
स. चन्नी ने कहा कि केंद्र सरकार को अल्पसंख्यकों और खासकर क्षेत्रीय भाषाओं के खिलाफ लिए जा रहे तानाशाही फैसलों के गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में विरोध प्रदर्शन पहले ही शुरू हो चुका है और लोग ऐसे तानाशाही फैसलों के खिलाफ सडक़ों पर उतर आए हैं। मंत्री ने अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध इस पक्षपाती कदम की समीक्षा करने की अपील करते हुए माँग की कि पंजाबी भाषा को शामिल करने के लिए बिल में संशोधन किया जाये।

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