‘आप’, बसपा, सीपीआई व सीपीएम ने संयुक्त बयान के द्वारा मुख्यमंत्री को सर्वदलीय बैठक के वायदे करवाए याद
कहा, कैप्टन बताएं पंजाब और पंजाब के किसानों के साथ हैं या फिर बादलों की तरह मोदी के साथ जा मिले?
चण्डीगढ़, 29 जुलाई 2020
तथाकथित कृषि संशोधन की आड़ में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पास किए गए 3 कृषि विरोधी व पंजाब विरोधी अध्यादेशों के मुद्दे पर प्रदेश की चार राजनैतिक दलों ने एकजुट हो कर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की कथनी और करनी पर सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री को मुखातिब होते आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) (सीपीएम) ने पूछा है कि उन्होंने कृषि विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ प्रदेश की ओर से जरुरी कदम क्यूं नहीं उठाया, जबकि अपनी तानाशाही लागू करने के लिए मोदी सरकार नोटीफिकेशनें जारी कर चुकी है।
बुधवार को ‘आप’ के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद भगवंत मान, बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष जसबीर सिंह गढ़ी, सीपीआई के प्रदेश सचिव बंत सिंह बराड़ और सीपीएम के प्रदेश सचिव सुखमिन्दर सिंह सेखों ने संयुक्त बयान के द्वारा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह 24 जून को हुई सर्वदलीय बैठक का कृषि अध्यादेशों के विरुद्ध प्रधान मंत्री को मिलने का वायदा याद करवाया और पूछा कि इतने गंभीर और ज्वलंत मुद्दे को वह (मुख्यमंत्री) ऐसे बीच में कैसे छोड़ सकते हैं? जबकि पंजाब की सभी प्रमुख राजनैतिक दलों समेत किसान, मजदूर जत्थेबंदियां, कृषि और आर्थिक माहिरों और बुद्धिजीवी वर्गों ने इन पंजाब और कृषि विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ अपने-अपने स्तर पर आंदोलन शुरु किए हुए हैं।
इन चारों राजनैतिक पार्टियों के नेताओं ने केंद्र सरकार के इन कृषि विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ रोष प्रदर्शन कर रहे राजनैतिक दलों के नेताओं, वर्करों-वलंटियरों और किसान-मजदूर संगठनों के नेताओं के खिलाफ पंजाब पुलिस की ओर से कोरोना महामारी के दिशा-निर्देशों की आड़ में दर्ज किए जा रहे अंधाधुन्ध मामलों का सख्त नोटिस लेते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को पूछा कि वह (कैप्टन) इन अध्यादेशों के मुद्दे पर पंजाब के लोगों और किसानों-मजदूरों की तरफ हैं या फिर बादलों की तरह निजी कॉर्पोरेट घरानों के दबाव या किसी राजनैतिक बेबसी के कारण प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी के समक्ष घुटने टेक चुके हैं?
‘आप’, बसपा, सीपीआई और सीपीएम के प्रदेश प्रमुखों ने अध्यादेशओं के खिलाफ धरने प्रदर्शन कर रहे किसानों या राजनैतिक-सामाजिक नेताओं पर अब तक पंजाब पुलिस की ओर से दर्ज किए सभी मुकदमे खारिज करने की मांग करते मुख्यमंत्री को कहा कि वह किसी भी तरीके से प्रधान मंत्री के साथ सर्वदलयी बैठक का प्रबंध करें और इन तीनों अध्यादेशों समेत केंद्रीय बिजली (संशोधन) बिल -2020 को पंजाब विधान-सभा के विशेष सत्र के द्वारा रद्द करने की पहलकदमी दिखाएं।

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