82 वर्षीय हृदय रोगी को फोर्टिस अस्पताल में नवीनतम तकनीक से मिला नया जीवनदान
फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर में एक 82 वर्षीय पुरुष को मिनिमली इन्वेज़िव माईट्रल वाल्व रिपेयर द्वारा दूसरा जीवन मिला
जम्मू, 9 नवंबर, 2022: फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर के प्रतिष्ठित कार्डियोलॉजिस्ट्स की एक टीम ने डॉ. अरुण चोपड़ा, डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉट्र्स हॉस्पिटल, अमृतसर के मार्गदर्शन में एक 82 वर्षीय पुरुष की पहली माईट्राक्लिप सर्जरी सफलतापूर्वक की। यह सर्जरी चंडीगढ़, पंजाब और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में पहली बार की गई है। माईट्राक्लिप प्रक्रिया डॉ. अरुण चोपड़ा द्वारा फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर के अन्य डॉक्टरों- डॉ. दीपक कपिला – डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, डॉ. अरुण वेद गुप्ता, डॉ. मनिंदर सिद्धू, डॉ. ऋषि गोयन्का और डॉ. सुनीला कपिला की मदद से लेटेस्ट जी4 डिवाईस (सेंट ज्यूड मेडिकल, अब एबट) द्वारा की गई।
इस मरीज को फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर में हार्ट फेल हो जाने और डायबिटीज़ मेलिटस तथा क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ की शिकायत के साथ लाया गया था। 2010 में डाईलेटेड कार्डियोमायोपैथी के कारण मरीज की सीआरटी डिवाईस/पेसमेकर प्रक्रिया की गई थी, और 2017 में पेसमेकर को बेहतर नियंत्रण के लिए बदला गया था। कुछ दिनों से मरीज अपनी दैनिक गतिविधियाँ नहीं कर पा रहा था, और उसे बार-बार अस्पताल आना पड़ रहा था। 2डी और 3डी ईको द्वारा मरीज की विस्तृत जाँच करने पर पता चला कि उसे माईट्रल वाल्व रिगर्गिटेशन (दिल की एक बीमारी, जिसमें हृदय के बाएं चैंबर के बीच स्थित वाल्व पूरी तरह से बंद नहीं होता है, और खून वाल्व में पीछे की ओर रिसने लगता है) के कारण हार्ट फेल और हार्ट की क्षमता में कमी के साथ डाईलेटेड हार्ट की समस्या है। फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर में डॉक्टरों की टीम ने माईट्राक्लिप प्रक्रिया करने का निर्णय लिया, क्योंकि यह मरीज विभिन्न सहरुग्णताओं, हार्ट फेल की बढ़ती स्थिति और वृद्धावस्था के कारण एक हाई रिस्क मरीज था।
मिनिमली इन्वेसिव प्रक्रिया के बारे में बताते हुए डॉ. अरुण चोपड़ा, डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉट्र्स हॉस्पिटल, अमृतसर ने कहा, कि माईट्राक्लिप माईट्रल वाल्व सर्जरी के मुकाबले कम इन्वेज़िव है, और कम जोखिम के साथ एक सरल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में हाई-रिस्क मरीजों को अस्पताल में कम समय तक रुकना पड़ता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक पतले ट्यूब (कैथरर) के साथ माईट्रल वाल्व की जाँच करते हैं, जिसे जाँघ की नस से अंदर डालकर हृदय तक पहुंचाया जाता है। माईट्रल वाल्व की दो लीफलेट्स को छोटे से इंप्लांटेबल क्लिप से बंद किया जाता है, जिससे खून का रिसना बंद हो जाता है। इससे हृदय की खून को आगे पंप करने की क्षमता में सुधार होता है और हार्ट फेल होने या बीमारी के कारण बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है। इस प्रक्रिया के लिए मरीज का अच्छा चयन और क्लिप का सटीक प्लेसमेंट जरूरी होता है, जिसका निर्देशन फ्लोरोस्कोपी और 3डी ट्रांस ईसोफेजय़िल ईको (टीईई) द्वारा अच्छी क्वालिटी की इमेजिंग द्वारा होता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में 1.5 घंटे का समय लगा। समय पर इलाज ने इस मरीज की जान बचा ली, जिसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।
डॉ. एच. पी. सिंह, डायरेक्टर नॉन-इन्वेज़िव कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर ने कहा, च्च्फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर में विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर्स हैं। हम पंजाब और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में मरीजों को अत्याधुनिक टेक्नॉलॉजी प्रदान करने में अग्रणी हैं, ताकि इस मरीजों को अत्याधुनिक मेडिकल टेक्नॉलॉजी के लिए दिल्ली या फिर विदेशों में न जाना पड़े।
डॉ. डी एम सैनी, डायरेक्टर, कार्डियेक सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर ने कहा कि अत्यधिक जोखिम वाले मरीजों में सफल माईट्राक्लिप प्रक्रिया प्रेसिजऩ मेडिसीन और टेक्नॉलॉजी के साथ सभी मरीजों को विस्तृत केयर प्रदान करने की फोर्टिस एस्कॉट्र्स अमृतसर की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। सेवेयर माईट्रल वाल्व रिगर्गिटेशन के लिए ओपन हार्ट सर्जरी जरूरी होती है, जिसके लिए 7 से 10 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है। इस मरीज को अत्यधिक दर्द और पोस्ट-ऑपरेटिव जटिलताएं हुईं। ये समस्याएं उन मरीजों में बढ़ जाती हैं, जो वृद्ध होते हैं, जिन्हें गंभीर एलवी डिस्फंक्शन, एवं अन्य सहरुग्णताएं होती हैं। इस मरीज को भी ऐसी ही समस्याएं थीं। मिनिमली इन्वेज़िव माईट्राक्लिप प्रक्रिया के ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में कम साईड इफेक्ट्स के साथ बेहतर क्लिनिकल परिणाम मिलते हैं।

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