
बठिंडा की सासंद ने संसद में कहा कि 2019 में आठ सिख बंदियों को विशेष छूट दी गई थी, लेकिन प्रोफेसर भुल्लर सहित दो अभी भी जेल में बंद
कहा कि केजरीवाल प्रोफेसर भुल्लर को रिहा करने की अनुमति नही दे रहे
चंडीगढ़/04अप्रैल 2022
पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने आज देश की विभिन्न जेलों में बंद सिख बंदियों की जेल की सजा पूरी हो जाने के बाद उन्हे रिहा करने की मांग की है।
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बठिंडा की सांसद ने आज संसद में प्रश्नकाल के दौरान इस मुददे को उठाया, जहां उन्होने सदन के ध्यान में 1984 में इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार द्वारा श्री हरिमंदिर साहिब पर हमले के बाद कई सिखों ने भावनात्मक रूप से प्रभावित होकर कानून को अपने हाथों में ले लिया था।उन्होने कहा कि कुछ बंदी 25 सालों से जेलों में बंद हैं तथा अकाली दल उनकी सजा पूरी हो जाने के बाद रिहाई की मांग कर रहा है।
सरदारनी बादल ने सदन के ध्यान में लाया कि 2019 में श्री गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के दौरान एनडीए सरकार ने आठ सिख कैदियों को विशेष छूट दी थी। उन्होने कहा कि इन कैदियों में प्रोफेसर दविंदरपाल सिंह भुल्लर थे जिनकी मौत की सजा को मार्च 2014 में आजीवनकारावास में बदल दिया गया था , और गुरदीप सिंह खैहरा भी शामिल थे। उन्होने कहा कि इस स्पष्ट आदेश के बावजूद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली की आप सरकार प्रोफेसर भुल्लर की रिहाई की अनुमति नही दे रही है। उन्होने कहा कि इसी तरह गुरदीप सिंह खैहरा को कर्नाटक की एक जेल में बिना पैरोल के 25 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया है।
मौत की सजा पाने वाले कैदी बलवंत सिंह राजोआणा की दया याचिका पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी के बारे में बोलते हुए सरदारनी बादल ने कहा कि अब शीर्ष अदालत ने भी केंद्र को 30 अप्रैल तक राजोआणा की दया याचिका परनिर्णय लेने का निर्देश दिया था। उन्होने कहा कि राजोआणा पिछले 27 सालों से जेल में बंद हैं और उन्हे हाल ही में अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए एक घंटे की पैरोल दी गई थी।
इस मुददे पर सिख भावनाओं के बारे में बोलते हुए सरदारनी बादल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की भावनाएं पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से जुड़ी हुई हैं, जिन्होने श्री हरिमंदिर साहिब पर हमला किया था।उन्होने कहा कि पूरे विश्व में सिख कौम, सिख बंदियों की जल्द रिहाई की कामना कर रही हैं। उन्होने कहा कि यदि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किया जा सकता है तो उन सिख कैदियों के खिलाफ भी भेदभाव नही किया जाना चाहिए, जिन्होने भावनात्मक आवेश में आकर यह काम किया था।

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