हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने बताया कि राज्य विश्वविद्यालय स्वायत्त निकाय हैं, जो उनके संबंधित अधिनियमों के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं

चंडीगढ़, 17 दिसंबर 2021

हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने बताया कि राज्य विश्वविद्यालय स्वायत्त निकाय हैं, जो उनके संबंधित अधिनियमों के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं । ये अधिनियम विश्वविद्यालयों को प्रशासन और शिक्षा के मामलों में पर्याप्त स्वायत्तता प्रदान करते हैं । राज्य सरकार राज्य के विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक और प्रशासनिक मामलों में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करती है। विश्वविद्यालयों के मामलों में पूरी पारदर्शिता है।

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श्री कंवर पाल आज यहां हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे।

उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा संस्थानों की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण कारक इसके शिक्षकों की गुणवत्ता और वचनबद्धता है। उच्च शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की महत्ता को स्वीकार करते हुए भर्ती और कैरियर की प्रगति को व्यवस्थित करने और शिक्षकों की भर्ती में विभिन्न समूहों से समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए पिछले कई वर्षों में विभिन्न पहल शुरू की गई हैं। सरकार उच्च शिक्षा संस्थानों में सर्वश्रेष्ठ आशावान और सक्षम शिक्षक प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि अब से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन कर्मचारियों की भर्ती में ही प्रमुख रूप से कार्यरत रहा है और शैक्षणिक सुधार और अनुसंधान पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया था। किसी संस्था के निर्माण में संकाय का अत्यधिक महत्व होता है। महाविद्यालय या विश्वविद्यालय का मूल इसके संकाय अर्थात शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ है। महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में निर्धारित संख्या में संकाय उपलब्ध करवाना राज्य सरकार की प्रमुख प्रतिबद्धता है । राज्य सरकार द्वारा गत 8 नवंबर को जारी निर्देश स्वयं व्याख्यात्मक हैं और किसी भी तरह से विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित नहीं करते। यह कदम विश्वविद्यालय को चयन प्रक्रिया में शामिल पेचीदगियों से राहत प्रदान करेगा। वहीं चयन में विश्वविद्यालय की भूमिका को भी कम महत्वपूर्ण नहीं बनाया गया है ।

उन्होंने बताया कि इन निर्देशों में स्पष्टï है कि चयन की सभी प्रक्रियाओं में कुलपति शामिल हैं। वह चयन समिति की अध्यक्षता करेंगे और समितियों को अधिक व्यापक बनाया गया है। यहां तक कि कुल सचिव, वित्त अधिकारी, परीक्षा नियंत्रक और पुस्तकालयाध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सर्च कम सिलेक्शन कमेटी में भी कुलपति की अध्यक्षता का सुझाव दिया गया है। हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग, जहां भी आवश्यक होगा, लिखित परीक्षा आयोजित करेंगे और चयन समिति की अध्यक्षता कुलपति करेंगे। संबंधित क्षेत्र के दो शैक्षणिक विशेषज्ञ हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा नामित किए जाएंगे, एक शैक्षणिक विशेषज्ञ हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद द्वारा नामित किया जाएगा और एक विशेषज्ञ कुलाधिपति द्वारा मनोनीत किया जाएगा।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह निर्णय लेते समय सभी कुलपतियों से विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा, राज्य सरकार स्वयं चयन नहीं करेगी बल्कि यह कार्य हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को सौंपा जाएगा जो स्वायत्त संवैधानिक निकाय भी हैं। इस निर्णय से यूजीसी द्वारा निर्धारित आवश्यक योग्यता और मानदंडों को प्रभावित नहीं होंगे। इसके अलावा यूजीसी ने सिफारिश की है कि कुलपति चयन समिति के अध्यक्ष होंगे।

राज्य सरकार ने कुलपति को चयन समितियों का अध्यक्ष भी बनाया है। इसके अलावा, समय पर विज्ञापन दिया जाएगा और पारदर्शिता और गतिशील चयन प्रक्रिया अपनाई जाएगी और रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरा जाएगा। यह प्रक्रिया एक आवेदक के लिए भी अनुकूल होगी जो विभिन्न विश्वविद्यालयों में एक ही पद के लिए कई आवेदन करता था। नियुक्ति को केंद्रीकृत करने से अब अभ्यर्थी केवल एक ही आवेदन कर सकेंगे। इस प्रकार राज्य सरकार का निर्णय सुविचारित और भविष्यवादी है और राज्य विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित नहीं करेगा।

राज्य सरकार और उच्च शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता प्रदान करने और उन्हें अपने कामकाज और प्रशासनिक मामलों में स्वतंत्र बनाने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके अलावा, उच्च शिक्षा के बजट में भी पिछले 5 वर्षों में 125 प्रतिशत वृद्धि हुई है जो हरियाणा में शैक्षिक परिदृश्य को सुधारने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है ।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा में क्षमता और गुणवत्ता के विस्तार और सुधार के लिए कई उपाय किए हैं। प्रदेश में कुल 173 सरकारी महाविद्यालयों में से 6 महाविद्यालय विशेष रूप से लड़कियों के लिए हैं। इसके अलावा, 97 राजकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय हैं, जिनमें से 35 महाविद्यालय लड़कियों के लिए हैं।

राज्य सरकार की 20 किलोमीटर के दायरे में कम से कम एक महाविद्यालय की नीति है। हरियाणा सरकार ने सरकारी स्वामित्व वाले डिग्री महाविद्यालयों और राज्य विश्वविद्यालयों के व्यापक बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारी संसाधनों का निवेश किया है। साथ-साथ राज्य के सक्रिय हस्तक्षेप ने निजी क्षेत्र को हमारे सभी नागरिकों तक शिक्षा पहुंचाने में हमारा भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया है। राज्य के राजकीय विश्वविद्यालय राज्य विधानसभा द्वारा पारित अधिनियमों के तहत स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा 22 राजकीय विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। जाट-पाली, महेंद्रगढ़ में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। इसके अलावा, 23 निजी विश्वविद्यालय, 01 प्रतिष्ठित संस्थान और 9 डीम्ड विश्वविद्यालय हैं।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि वर्ष 2020 हरियाणा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन के लिए मील का पत्थर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक क्रांतिकारी नीति है, जो देश में उच्च शिक्षा का चेहरा और परिदृश्य बदल देगी । हरियाणा इस शिक्षा नीति को लागू करने में अग्रणी राज्य रहा है। यह नीति विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को उत्कृष्टता के केंद्रों के रूप में विकसित करने के लिए सशक्त बनाने की परिकल्पना करती है। एनईपी को 2030 तक लागू किया जाना है, लेकिन हरियाणा सरकार ने इसे 2025 तक ही लागू करने का फैसला किया है और इस संबंध में कई बड़ी पहल पहले ही की जा चुकी हैं।