एचएसवीपी पर सख़्त हुआ हरियाणा आरटीएस आयोग, शिकायतकर्ता को 5,000 रुपये मुआवजा देने के दिए निर्देश

चंडीगढ़ , 02 दिसंबर 2025

हरियाणा राइट टू सर्विस आयोग ने एचएसवीपी से संबंधित एक लंबित मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद इस प्रकरण का निपटारा करने में अत्यधिक देरी की गई, जिसके कारण शिकायतकर्ता को अनावश्यक उत्पीड़न झेलना पड़ा। आयोग ने मामले में हुई देरी को ‘अनुचित’ और ‘अकारण’ बताते हुए संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर टिप्पणी की है। आयोग ने एचएसवीपी को निर्देश दिया है कि प्रकरण से जुड़े दोषपूर्ण एवं लापरवाहीपूर्ण आचरण की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों से राशि वसूलते हुए शिकायतकर्ता को 5,000 रुपये के मुआवजे का भुगतान किया जाए।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2018 से जुड़े इस मामले में त्रुटिपूर्ण दस्तावेज़ अपडेट, बायोमेट्रिक उपस्थिति से संबंधित अनावश्यक औपचारिकताएँ और अधिकारियों की उदासीनता के कारण शिकायतकर्ता को लगभग पाँच वर्षों तक न्यायालय की डिक्री लागू कराने के लिए बार-बार एचएसवीपी कार्यालय के चक्कर लगाने पड़े। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि एचएसवीपी द्वारा यह तर्क देना कि वह न्यायालयीन डिक्री में पक्षकार नहीं था, स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि न्यायालय के आदेशों को लागू करने की जिम्मेदारी निहित रूप से एचएसवीपी की ही है।

आयोग ने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2023 में न्यायालय की डिक्री पंजीकृत होने के बाद भी आवश्यक सिस्टम परिवर्तन समय पर नहीं किए गए। मामले पर विचार करने के बाद आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता के पक्ष में न्यायालय का आदेश स्पष्ट था तथा सार्वजनिक नोटिस जारी होने के बाद किसी भी वारिस द्वारा आपत्ति न आने के बावजूद अधिकारियों ने समाधान की दिशा में आवश्यक तत्परता नहीं दिखाई।

आयोग ने शिकायतकर्ता से बैंक विवरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है ताकि मुआवजा राशि समयबद्ध रूप से भेजी जा सके। साथ ही, सीए-एचएसवीपी को आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 22 दिसंबर 2025 तक आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।