मंडियों में  शेलर मालिकों की हड़ताल होने के कारण धान की खरीद प्रभावित हो रही, किसानों को  नुकसान न हो इसीलिए मुख्यमंत्री तत्काल हस्तक्षेप कर  उनकी परेशानी का समाधान करें: डाॅ. दलजीत सिंह चीमा

— कहा कि अगर मुख्यमंत्री बहस के बारे गंभीर होते तो वे राज्यपाल द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते

चंडीगढ़/16अक्टूबर:

शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने आज मुख्यमी से यह सुनिश्चित करने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की कि राज्य में शेलर मालिकों की हड़ताल के कारण मंडियां बंद है और धान की खरीद प्रभावित होने के कारण  किसानों को नुकसान नही होने देना चाहिए।

पार्टी प्रवक्ता अर्शदीप कलेर के साथ डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा ,‘‘ यह बेहद निंदनीय है कि मुख्यमंत्री ने इस मुददे को केंद्र सरकार के समक्ष नही उठाया है और शेलर की चल रही हड़ताल के कारण राज्य के किसानों को परेशान होने दे रहे हैं’’। नेताओं ने कहा, ‘‘ केंद्र को इस बात से अवगत होना चाहिए कि शेलर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा अनुमोदित मिलों से चावल में मिलाने के लिए सामग्री ले रहे हैं और इसीलिए उन्हे किसी भी कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया नही जा सकता’’।

डाॅ. चीमा ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य सरकार केा चावल में नमी की मात्रा में छूट के मुददे को तुरंत केंद्र के साथ उठाना चाहिए। उन्होने कहा कि पिछले दो दिनों के दौरान हुई बारिश के कारण चावल में नमी की मात्रा में वृद्धि हुई है और इसके लिए किसानों को दंडित नही किया जाना चाहिए।
एक सवाल का जवाब देते हुए अकाली नेता ने कहा मुख्यमंत्री बहस की आड़ में पंजाबियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को वास्तव में बहस में दिलचस्पी होती तो वह राज्य के संवैधानिक  प्रमुख राज्यपाल द्वारा उनसे पूछे गए सवालों का जवाब देते। उन्होने कहा, ‘‘ इससे एक बहस शुरू हो जाती और सभी मुददों पर गहन चर्चा की जा सकती थी’’। डाॅ. चीमा ने कहा,‘‘ ऐसा करने के बजाय, मुख्यमंत्री ने उसे पूछे गए सवालों का जवाब देने से इंकार कर दिया, जिसमें सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार, पक्षपात और भाई-भतीजावाद, उत्पाद शुल्क नीति घोटाला, कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारूचक के खिलाफ कार्रवाई करने से इंकार करना और  ड्रग माफिया को संरक्षण देने और अवैध खनन सहित सभी सवालों को जवाब देने से इंकार  दिया जाना शामिल  है’’।  उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनकी सरकार द्वारा लिए गए 50 हजार करोड़ रूपये के कजर् पर केवल एक पत्र का जवाब दिया और स्वीकार किया कि यह कर्ज पर ब्याज का भुगतान करने के लिए किया गया और आप सरकार वादा किए गए राजस्व को जुटाने में विफल रही है’’।


यह कहते हुए कि मुख्यमंत्री ने ई-पोर्टल पर निर्देश देकर केंद्रीय सर्वेक्षण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बहस का मुददा उठाया है, डाॅ. चीमा ने कहा,‘‘ यह स्पष्ट है कि यह सब आप के निर्देशों पर किया जा रहा है, जिन्होने भगवंत मान को एसवाईएल का पानी हरियाणा को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया है’’। अकाली नेता ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री वास्तव में पंजाब के पानी के अधिकारों की रक्षा के प्रति गंभीर हैं तो उन्हे केजरीवाल से हरियाणा और दिल्ली के लिए एसवाईएल का पानी जारी करने की मांग करने वाला अपना हलफनामा वापिस लेने के लिए कहना चाहिए था। उन्होने यह भी बताया कि कैसे हाल ही में दिल्ली सरकार ने एसवाईएल नहर पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा का पक्ष लिया था।

अकाली दल के लीगल सेल के अध्यक्ष अर्शदीप कलेर ने बताया कि कैसे पंजाब सरकार ने एडवोकेट जनरल आॅफिस में 143 वकीलों में से एक को भी सुप्रीम कोर्ट में  नही उतारा, जबकि पंजाब का प्रतिनिधितव करने वाले दिल्ली के एडवोकेटस ने दलील दी कि राज्य एसवाईएल के निर्माण के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष के दबाव के साथ साथ पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल द्वारा जमीन के मूल मालिकों को वापिस लौटाने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।