चंडीगढ़, 8 दिसंबर 2021
कालबेलिया लोक नृत्य की प्रस्तुति देकर लोक कलाकारों ने राजस्थान संस्कृति के अहम पहलुओं को याद कराने का काम किया। इन लोक कलाकारों ने कालबेलिया व चकरी नृत्य के माध्यम से भगवान की आराधना के साथ-साथ अन्य राजस्थानी त्योहारों पर महिलाओं के मन में उठने वाली उमंग को दर्शाने का काम किया। इस लोक नृत्य को देखकर कुरुक्षेत्र उत्सव में आए दर्शक गदगद हो गए।
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महोत्सव के 7वें दिन बुधवार को ब्रह्मसरोवर के तट पर दोपहर के समय पर्यटकों का मनोरंजन करने के लिए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के कलाकारों ने अपना मंच जमाया। इस मंच पर सबसे पहली प्रस्तुति राजस्थान से आए लोक कलाकारों के नए ग्रुप ने दी।
राजस्थान से इस ग्रुप के कलाकार विशेष तौर पर कालबेलिया और चकरी लोक नृत्य को लेकर आए इन कलाकारों ने लोक नृत्य को प्रस्तुत कर सभी दर्शकों का मन अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। कलाकारों ने अपने पांव पर परम्परागत आभूषण बांधकर और हाथों में राजस्थानी परम्परा के अनुसार चूड़ा पहन कर जबरदस्त प्रस्तुती दी।
इस प्रस्तुति को देखकर दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इन कलाकारों ने अपने इस लोक नृत्य के माध्यम से तीज त्योहारों के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले नृत्य की प्रस्तुत देकर सबको भार विभोर कर दिया। जैसे ही इन कलाकारों की प्रस्तुति सम्पन्न हुई तो ब्रहमसरोवर का घाट तालियों से गूंज उठा। इस प्रस्तुति के बाद इस उत्सव में अन्य राज्यों के कलाकारों ने लोक नृत्य की प्रस्तुती दी।
हिमाचल के लोक कलाकारों ने कुल्लू नाटी व गद्दी नाटी नृत्य के माध्यम से पर्यटकों का खूब मनोरंजन किया और हिमाचल का ग्रामीण जीवन स्तर भी दर्शाने का प्रयास किया। इन लोक नृत्यों के द्वारा हिमाचल के चम्बा जिले से गद्दी और पंजाब का भांगड़ा व जिंदवा तथा उत्तराखंड का छबेली नृत्य भी लोगों ने पसंद किया। इस कार्यक्रम के मंच का संचालन जरनैल सिंह ने किया। एनजेडसीसी के अधिकारी महिन्द्र ने बताया कि विभिन्न प्रदेशों के कलाकार अपनी प्रस्तुती दे रहे है, यह कलाकार 19 दिसम्बर तक अपनी प्रस्तुती देंगे और इसके बाद विभिन्न प्रदेशों के नए कलाकार अपनी प्रस्तुती देने के लिए पहुंचेंगे।

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