पीयू में स्वामी दयानन्द की वैचारिक क्रान्ति पर व्याख्यान आयोजित

पंजाब विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने ‘स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रवर्तित वैचारिक क्रान्ति’ शीर्षक वाले एक व्याख्यान का आज 3.11.23 को आयोजन किया। इस व्याख्यान के वक्ता थे विभाग के अध्यापक डॉ. विक्रम। इस व्याख्यान का आयोजन स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200वीं जन्मजयन्ती के उपलक्ष्य में किया गया। इस व्याख्यान में विभाग के अध्यापक, शोधछात्र व छात्र उपस्थित रहे।

डॉ. विक्रम ने सबसे पहले स्वामी दयानन्द द्वारा रचित ग्रन्थों का परिचय प्रतिभागियों को दिया। उन्होंने कहा, “स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश, व्यवहार भानु आदि विविध पुस्तकों की रचना की, जिनके द्वारा वैदिक संस्कृति का ज्ञान और राष्ट्रवाद के क्रान्तिकारी विचार भी फैले।” डॉ. विक्रम ने बताया कि कैसे स्वामी दयानन्द जातिवाद, सती प्रथा आदि तब के भारतीय समाज की कुरीतियों के विरुद्ध लड़े। उन्होंने आगे कहा, “स्वामी जी स्त्रियों व दलितों के अधिकार के लिए लड़े।”

विभाग के अध्यापक डॉ. विजय भारद्वाज ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा बताया कि कैसे स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित वेदभाष्यों के आने पर उनके खण्डन व मण्डन के लिए अनेकों ग्रन्थ लिखे गए, जिनसे अधिक लोगों तक उनका सन्देश गया।