एमसीएम ने हिंदी उत्सव मनाया

चंडीगढ़  09 सितम्बर 2021 
भारतेंदु हरिश्चंद्र जयंती के अवसर पर, मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग ने हिंदी उत्सव मनाया। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, चंडीगढ़ और शुरुआत समिति के सहयोग से आयोजित यह उत्सव भारतेंदु हरिश्चंद्र से डॉ विरेंद्र मेहंदीरत्ता तक हिंदी साहित्य की यात्रा को समर्पित था। इस समारोह में संयुक्त परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा), हरियाणा, से श्री निर्मल नागर, पंजाब विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग, डॉ. गुरमीत सिंह, और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में राजभाषा अधिकारी, श्री आशुतोष, उपस्थित थे। समारोह का उद्घाटन करते हुए प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने हिंदी साहित्य में भारतेंदु हरिश्चंद्र के अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की सादगी पर जोर देकर हिंदी को जनभाषा के रूप में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के अलावा, भारतेन्दु जी ने ब्रिटिश शासन के दौरान आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावनाओं को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. भार्गव ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में काम करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने एक स्व-रचित कविता ‘जीना उन्हीं का है’ के पाठ के साथ अपनी बात समाप्त की।
भारतेंदु हरिश्चंद्र को श्रद्धांजलि देते हुए, विभाग के छात्रों ने उनके नाटक ‘अंधेर नगरी’ का प्रदर्शन किया, जिसने दर्शकों की गड़गड़ाहट भरी तालियाँ बटोरीं। इस अवसर पर नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा हिंदी पुस्तकों पर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई और कुछ प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया जिनमें कविता गायन, पसंदीदा लेखक की जीवनी प्रस्तुति, पसंदीदा लेखक का पोर्ट्रेट बनाना, और पसंदीदा लेखक के काम पर आधारित पेंटिंग बनाना शामिल था । कार्यक्रम का समापन गणमान्य व्यक्तियों द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित करने के साथ हुआ।विभिन्न प्रतियोगिताओं के परिणाम इस प्रकार हैं:
पोर्ट्रेट बनाने में
प्रथम : अनुभा, द्वितीय: तान्या पुरी, तृतीय : समीक्षा:
कविता गायन:
प्रथम : आम्रपाली महाजन, द्वितीय : इशमित कौर, तृतीय : दृष्टि
चित्र के माध्यम से कहानी प्रस्तुति में :
प्रथम : खुशी, द्वितीय : अस्मिता, तृतीय : आंचल
जीवनी पठन में :
प्रथम : कनुप्रिया, द्वितीय : अखिलेश, तृतीय : रागिनी