स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर 38 वां राष्ट्रीय युवा दिवस मनाते हुए, मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ के दर्शनशास्त्र विभाग ने कॉलेज की एनएसएस इकाई और यंग कम्युनिकेटर्स क्लब के सहयोग से भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित ‘ए फ्रेंड रिक्वेस्ट फ्रॉम विवेकानंद’ शीर्षक से व्याख्यान का आयोजन किया। इस व्याख्यान के लिए प्रमुख वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र और विवेकानंद अध्ययन विभाग, यूएसओएल, के कोऑर्डिनेटर श्री सुधीर बावेजा थे।
व्याख्यान का उद्घाटन करते हुए, प्रधानाचार्या डॉ निशा भार्गव ने स्वामी विवेकानंद को सुधार आंदोलनों में एक प्रमुख शक्ति के रूप में सम्मानित किया, वेदांत दर्शन के संदेश को फैलाने और भारत के विकास के लिए विदेशी सहायता और तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने के उनके प्रयासों पर प्रकाश डाला। भारत माता के इस प्रतिष्ठित सपूत को श्रद्धांजलि देते हुए, डॉ. भार्गव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का दर्शन जीवन को बदलने वाला है और उनकी जीवन यात्रा इतनी प्रेरणादायक है कि छात्र उनसे बहुत कुछ मूल्यवान सीख सकते हैं। अपने व्याख्यान में श्री सुधीर बावेजा ने कहा कि यदि आप लोहे की मांसपेशियों और स्टील की नसों वाले व्यक्ति बनना चाहते हैं, तो स्वामी विवेकानंद के प्रेरक व्यक्तित्व को अपनाना ज़रूरी है। उन्होंने युवाओं को उनके लेखन को पढ़कर और अपने जीवन में उनका अनुकरण करके विवेकानंद से मित्रता करने के लिए प्रेरित किया। विवेकानंद को शाश्वत युवा प्रतीक के रूप में संदर्भित करते हुए, श्री बावेजा ने स्वामीजी के टूलकिट को साझा किया जो किसी को भी एक सुंदर व्यक्ति में बदल सकता है और उसे जीवन में सच्ची सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है। उन्होंने सफलता के लिए स्वामीजी के टूलकिट पर विस्तार से बताया जिसमें कमजोरियों के आगेे ना झुकना, ‘श्रद्धा’ (आत्मविश्वास), अच्छाई की शक्ति में विश्वास, ईर्ष्या और संदेह की अनुपस्थिति, अच्छा करने की कोशिश करने वालों की मदद करना, सकारात्मकता, चरित्र निर्माण जैसे उनके गुणों एवं जीवन के प्रति प्रेरक दृष्टिकोण पर बात की । व्याख्यान एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ समाप्त हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने प्रश्नों को विशेषज्ञ के सामने रखा।
व्याख्यान का उद्घाटन करते हुए, प्रधानाचार्या डॉ निशा भार्गव ने स्वामी विवेकानंद को सुधार आंदोलनों में एक प्रमुख शक्ति के रूप में सम्मानित किया, वेदांत दर्शन के संदेश को फैलाने और भारत के विकास के लिए विदेशी सहायता और तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने के उनके प्रयासों पर प्रकाश डाला। भारत माता के इस प्रतिष्ठित सपूत को श्रद्धांजलि देते हुए, डॉ. भार्गव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का दर्शन जीवन को बदलने वाला है और उनकी जीवन यात्रा इतनी प्रेरणादायक है कि छात्र उनसे बहुत कुछ मूल्यवान सीख सकते हैं। अपने व्याख्यान में श्री सुधीर बावेजा ने कहा कि यदि आप लोहे की मांसपेशियों और स्टील की नसों वाले व्यक्ति बनना चाहते हैं, तो स्वामी विवेकानंद के प्रेरक व्यक्तित्व को अपनाना ज़रूरी है। उन्होंने युवाओं को उनके लेखन को पढ़कर और अपने जीवन में उनका अनुकरण करके विवेकानंद से मित्रता करने के लिए प्रेरित किया। विवेकानंद को शाश्वत युवा प्रतीक के रूप में संदर्भित करते हुए, श्री बावेजा ने स्वामीजी के टूलकिट को साझा किया जो किसी को भी एक सुंदर व्यक्ति में बदल सकता है और उसे जीवन में सच्ची सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है। उन्होंने सफलता के लिए स्वामीजी के टूलकिट पर विस्तार से बताया जिसमें कमजोरियों के आगेे ना झुकना, ‘श्रद्धा’ (आत्मविश्वास), अच्छाई की शक्ति में विश्वास, ईर्ष्या और संदेह की अनुपस्थिति, अच्छा करने की कोशिश करने वालों की मदद करना, सकारात्मकता, चरित्र निर्माण जैसे उनके गुणों एवं जीवन के प्रति प्रेरक दृष्टिकोण पर बात की । व्याख्यान एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ समाप्त हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने प्रश्नों को विशेषज्ञ के सामने रखा।

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