एमसीएम ने राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया

_National Youth Day
एमसीएम ने राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया
चंडीगढ़, 12 जनवरी 2024
मेहर चंद महाजन डीएवी महिला महाविद्यालय, चंडीगढ़ की एनएसएस इकाइयों और दर्शनशास्त्र विभाग ने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों व विचारों को आत्मसात करने के संकल्प के साथ राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया। एनएसएस इकाइयों ने महाराष्ट्र के नासिक में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव के उद्घाटन के लाइव प्रसारण की स्क्रीनिंग का आयोजन किया। एनएसएस स्वयंसेवकों व विद्यार्थियों ने श्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र के युवाओं को संबोधित करते हुए उत्सुकता से देखा व सुना। कॉलेज के दर्शन विभाग द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस पर व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के दर्शनशास्त्र विभाग से श्री लल्लन सिंह बघेल बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए ।
यह व्याख्यान दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर) के तहत प्रायोजित विश्व दर्शन दिवस व्याख्यान श्रृंखला के तहत आयोजित किया गया था। व्याख्यान के उद्घाटन सत्र में प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने युवाओं के लिए एक ऊर्जावान संदेश दिया है उन्होंने कहा कि सारी शक्ति युवाओं के भीतर है। स्वामीजी को एक क्रांतिकारी विचारक के रूप में याद करते हुए, डॉ. भार्गव ने साझा किया कि उन्होंने भारतीय वैराग्यवाद और मानवतावाद के साथ पश्चिमी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संयोजन का समर्थन किया और ऐसी शिक्षा को बढ़ावा दिया जिससे व्यक्ति का समग्र विकास संभव हो ।
अपने ज्ञानवर्धक व्याख्यान में श्री. लल्लन सिंह बघेल ने स्वामी विवेकानन्द को भारतीय पद्धति के प्रारंभिक दार्शनिकों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक व्यवस्था के दौर में स्वामीजी ने आंतरिक मंथन द्वारा ऐसी चेतना का निर्माण किया जो भौतिकवाद को चुनौती दे और औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत में भ्रातृत्व भाव पैदा कर सके ।  श्री बघेल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वामीजी का दर्शन स्वयं को दूसरे के साथ जुड़ने का अवसर देते हुए जनभागीदारी की भावना को उन्नत करता है। श्री बघेल ने जोर देते हुए कहा कि यह दिन केवल जिज्ञासा के भाव को बढ़ाने और जश्न मनाने को समर्पित नहीं हैं बल्कि युवाओं को स्वामी विवेकानन्द को समझने का भी अवसर प्रदान करता है । श्री बघेल ने यह भी कहा कि हमें ‘अविद्या’ से ‘विद्या’ की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। व्याख्यान के बाद एक इंटरैक्टिव सत्र हुआ जिसमें विशेषज्ञ ने दर्शकों के सवालों के जवाब दिए।