तारीख़- मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ के हिस्ट्री एसोसिएशन ने ‘द मेमोरी एंड सिंबोलिज़्म इन मुगल टॉम्स’ विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया। कला और वास्तुकला इतिहासकार डॉ. मेहरीन चिदा- रज़वी, लंदन विश्वविद्यालय स्थित एसओएएस में रिसर्च एसोसिएट, इस्लामिक आर्ट के नासिर डी खलीली संग्रह में डिप्टी क्यूरेटर, इस्लामिक आर्किटेक्चर के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल के सहायक सम्पादक इस ज्ञानवर्धक व्याख्यान के लिए प्रमुख वक्ता रहें । डॉ. चिदा- रज़वी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे मध्यकालीन भारतीय शासकों ने सत्ता और संप्रभुता को प्रदर्शित करने के लिएअंत्येष्टि स्थलों का उपयोग किया। उन्होंने विशेष रूप से मुगल मकबरों की स्थापत्य परंपराओं पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे मुगलों द्वारा निर्मित मकबरे शाही शक्ति, वंशवादी स्मृति और वंश के प्रतीक थे, जबकि दिल्ली सल्तनत के शासकों द्वारा बनाए गए स्थापत्य उनके सामने बौने प्रतीत होने लगे। व्याख्यान में 130 से अधिक छात्रों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया। इसके बाद एक संवादात्मक चर्चा हुई जिसमें छात्रों और संकाय दोनों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।
प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने छात्रों को वास्तुकला और स्मृति के बीच संबंधों के बारे में शिक्षित करने के लिए कॉलेज के इतिहास विभाग की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास की बेहतर समझ के लिए हमारी स्थापत्य परंपरा में निहित प्रतीकवाद की समझ महत्वपूर्ण है।
प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने छात्रों को वास्तुकला और स्मृति के बीच संबंधों के बारे में शिक्षित करने के लिए कॉलेज के इतिहास विभाग की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास की बेहतर समझ के लिए हमारी स्थापत्य परंपरा में निहित प्रतीकवाद की समझ महत्वपूर्ण है।

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