एमसीएम आईआईसी ने नवाचार विकास, टीआरएल और टेक-ट्रांसफर पर वार्ता का आयोजन किया

मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ की इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) ने ‘प्रोसेस ऑफ इनोवेशन डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल (टीआरएल) एंड कमर्शलिज़म ऑफ लैब टेक्नोलॉजीज एंड टेक-ट्रांसफर’ विषय पर एक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन किया। वार्ता के लिए प्रमुख वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी विभाग के संस्थापक अध्यक्ष, और आईपीआर-चेयर प्रोफेसर, रूपिंदर तिवारी थे। इस कार्यक्रम में कुल 127 छात्रों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया। यह सत्र प्रतिभागियों को इंटेलेक्चूअल प्रॉपर्टी राइट्स(आईपीआर) और उनके व्यावसायीकरण से परिचित कराने का एक प्रयास था। विभिन्न प्रकार के आईपीआर जैसे पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन, भौगोलिक संकेत, आदि, आईपीआर का इतिहास और उनके महत्व को प्रमुख वक्ता द्वारा विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से विस्तार से समझाया गया । सत्र के दौरान नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में आईपीआर की भूमिका, और आर्थिक मूल्य जोड़ने और विचार संरक्षण सुनिश्चित करने पर भी चर्चा की गई। अंत में, विशेषज्ञ ने कई प्रमुख नवीन अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया। प्रतिभागियों ने सत्र को बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक पाया।
प्राचार्या डॉ. निशा भार्गव ने छात्रों के बीच नवाचार की संस्कृति को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा देने की दिशा में एमसीएम आईआईसी के निरंतर प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक मजबूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का विकास आवश्यक है।