मत्तेवाड़ा वन भूमि पर कोई औद्योगिक पार्क स्थापित नहीं की जाएगी, पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया

प्रस्तावित प्रोजैक्ट के लिए सिफऱ् सरकारी और पंचायती ज़मीन इस्तेमाल की जाएगी
सतलुज के साथ लगती 6- लेन उच्च स्तरीय सडक़ बाढ़ों को रोकने के लिए बाँध का काम करेगी और नदी को प्रदूषित होने से रोकेगी
चंडीगढ़, 13 जुलाई:
पंजाब सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि मत्तेवाड़ा वन भूमि (जि़ला लुधियाना) पर कोई औद्योगिक पार्क स्थापित नहीं किया जाएगा और राज्य में ज़रुरी औद्योगिक विकास के लिए सिफऱ् सरकारी और पंचायती ज़मीनों का प्रयोग किया जाएगा।
इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मत्तेवाड़ा के 2300 एकड़ वन क्षेत्र का कोई भी हिस्सा प्रस्तावित 1000 एकड़ के विकास के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित औद्योगिक / मिक्स्ड लैंड यूज एस्टेट के लिए गाँव हैदर नगर, सेखोवाल, सलेमपुर, सैलक्याना और मछीया-कलां की सरकारी और पंचायती ज़मीनों का प्रयोग किया जा रहा है और ज़मीन मालिकों को उपयुक्त मुआवज़ा दिया जाएगा।
सरकार सतलुज समेत सभी नदियों को साफ़ रखने की महत्ता से भली-भाँति अवगत है। उन्होंने कहा कि मत्तेवाड़ा औद्योगिक पार्क के साथ लगती सतलुज नदी के साथ-साथ एक 6-लेन उच्च स्तरीय सडक़ बाढ़ों के विरुद्ध बाँध का काम करने के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि किसी की तरफ से भी कोई दूषित तत्व नदी में न फेंका जाए। इसके साथ ही यह भी योजना है कि नदी के सामने सिफऱ् प्रदूषण रहित यूनिट, कार्यालय, मनोरंजन गतिविधियां, काम करने वालों की रिहायशें और होटल बनाए जाएंगे।
हालाँकि राज्य का ओद्योगिक हॅब होने के नाते लुधियाना की औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार और कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य की सहायता के लिए योजनाबद्ध जगह की ज़रूरत है। बाहर से निवेश तभी संभव है अगर उचित दरों पर तैयार योजनाबद्ध जगह उपलब्ध हो, जहाँ चीन या किसी अन्य जगह से शिफ्ट करने के इच्छुक या स्थानीय उद्यमी बिना किसी रुकावट के कारोबार / इकाई स्थापित कर सकते हैं।
काबिलेगौर है कि मीडिया के एक हिस्से में ऐसी रिपोर्टें थीं कि पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा हाल ही में मंज़ूर की गई 1000 एकड़ औद्योगिक / मिक्स्ड लैंड यूज़ डिवैपमैंट के साथ लगते मत्तेवाड़ा के वन क्षेत्र और सतलुज नदी को ख़तरा होगा, परन्तु पंजाब सरकार द्वारा अब इस स्पष्टीकरण से सारा मामला स्पष्ट हो गया है।