मृदा और जल संरक्षण विभाग में डिजाइन, गुणवत्ता नियंत्रण, निगरानी और मूल्यांकन विंग स्थापित करने को दी मंजूरी

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पहलकदमी का मुख्य उद्देश्य पारदर्शी ढंग से सार्वजनिक कामों को योजनाबद्ध ढंग से लागू करने को यकीनी बनाना
चंडीगढ़, 1जनवरीः
सार्वजनिक कामों को पारदर्शी और जवाबदेह ढंग से लागू करने के अलावा सटीक योजनाबंदी, डिजाइनिंग, अनुमान को यकीनी बनाने के लिए पंजाब कैबिनेट ने मृदा और जल संरक्षण विभाग में डिजाइन, गुणवत्ता नियंत्रण, निगरानी और मूल्यांकन विंग की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
इस सम्बन्धी फैसला आज शाम पंजाब भवन में पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता अधीन हुई कैबिनेट की मीटिंग के दौरान लिया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार मृदा और जल संरक्षण विभाग के मुख्यालय में डिजाइन, गुणवत्ता नियंत्रण, निगरानी और मूल्यांकन विंग की स्थापना की जा रही है। इस विंग को बनाने से कोई अतिरिक्त सरकारी खर्च नहीं आऐगा परन्तु विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों की जवाबदेही बढ़ाने के साथ-साथ सही योजनाबंदी, डिजाइनिंग और अनुमान लागू करके जनता के पैसों की बचत करने में मदद मिलेगी। यह किसान भाईचारे विशेषतः छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी मददगार होगा जो अक्सर सरकारी लाभों से वंचित रहते हैं, क्योंकि योग्य नियमबद्ध योजनाबंदी और डिजाइनिंग के कारण कोई भी किसान सरकारी प्रोजेक्टों से वंचित नहीं रहेगा।
जिक्रयोग्य है कि मृदा और जल संरक्षण विभाग की तरफ से सिंचाई के पानी का प्रयोग की कुशलता बढ़ाने के मद्दनजर भूमिगत पाईपलाईनों, बूंद और स्प्रिंकलर प्रणाली बिछाने के लिए अलग-अलग सरकारी प्रोग्रामों को लागू किया जा रहा है। इसके अलावा भूजल को बढ़ाने के लिए वाटर हारवैस्टिंग ढांचे, छतों के ऊपर बारिश के पानी के संरक्षण वाले ढांचे, चेक डैम आदि की निर्माण किया जा रहा है। इन सभी कामों के लिए सही डिजाइनिंग, अनुमान की जरूरत होती है जिससे सरकारी फंडों को सुयोग्य तरीके से खर्च किया जा सके और इन प्रोजेक्टों का लाभ एक अनुकूल तरीके से प्राप्त किया जा सके। इस समय विभाग के पास सार्वजनिक कामों को लागू करने वाले राज्य और केंद्र सरकार के विभागों की तर्ज पर समर्पित डिजाइन और गुणवत्ता निंयत्रण विंग मौजूद नहीं है।
मृदा और जल संरक्षण विभाग में उचित सिंचाई प्रणाली के लिए एमआई -एसपीवी की स्थापना को मंजूरी
एक समर्पित और केंद्रित पहुँच की तरफ कदम बढ़ाते हुये कैबिनेट ने राज्य में उचित सिंचाई प्रणालियों को उत्साहित करने के लिए मृदा और जल संरक्षण विभाग में माईक्रो इरीगेशन (एमआई)-स्पैशल पर्पज़ व्हीकल (एसपीवी) स्थापित करने के लिये भी हरी झंडी दे दी है।
प्रवक्ता ने कहा कि बड़े सार्वजनिक हितों में इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभाग में संगठनात्मक तबदीलियों की जरूरत है और माईक्रो इरीगेशन क्षेत्र में अपेक्षित योग्यता और तजुर्बा रखने वाले व्यक्ति को मृदा और जल संरक्षण विभाग में नामांकन/अतिरिक्त चार्ज के रूप में नियुक्त किया जायेगा। जो इस एसवीपी का प्रमुख होगा और राज्य में माईक्रो सिंचाई प्रोग्राम को लागू करने के लिए इस समर्पित विंग के जरुरी संगठनात्मक ढांचे की स्थापना करेगा।
जिक्रयोग्य है कि पंजाब पिछले 15 सालों से माईक्रो सिंचाई प्रोग्राम को लागू कर रहा है और इन प्रणालियों के लिए किसानों को 80-90 प्रतिशत सब्सिडी देने के बावजूद, इन प्रणालियों को अपनाने की स्थिति संतोषजनक नहीं है और सिर्फ 1.2 प्रतिशत क्षेत्रफल ही इस सिंचाई प्रणाली के अधीन आता है।
गौरतलब है कि भूजल के स्तर को बढ़ाने संबंधी पंजाब विधान सभा कमेटी ने राज्य में इंटैलीजैंट सिंचाई प्रणालियों जैसे कि बूंद और स्पिरिंकल सिंचाई प्रणालियों को उत्साहित करने के लिए मृदा और जल संरक्षण विभाग अधीन एसवीपी गठित करने की सिफारिश की है। देश के कई अन्य राज्यों में माईक्रो सिंचाई को लागू करने के लिए समर्पित पहुँच अपनाये जाने के कारण किसानों की तरफ से माईक्रो सिंचाई प्रणालियों को अपनाने में बड़ा विस्तार देखा गया है।
उप-तहसीलों टांडा और आदमपुर को तहसीलों/सब-डिवीजनों के तौर पर अपग्रेड करने को मंजूरी
होशियारपुर जिले की सब-तहसील टांडा और जालंधर जिले की सब-तहसील आदमपुर के लोगों को उनकी रिहायश के नजदीक के क्षेत्रों में ही निर्विघ्न नागरिक सेवाएं प्रदान करने के लिए मंत्रीमंडल ने इनको तहसील/सब-डिविजन के तौर पर अपग्रेड करने की मंजूरी दे दी है।
नयी अपग्रेड की गई तहसील/सब-डिविजन टांडा में पाँच कानूनगो सर्कल, 47 पटवार सर्कल और 133 गाँव होंगे जबकि आदमपुर में छह कानूगो सर्कल, 60 पटवार सर्कल और 161 गाँव शामिल होंगे।
पंजाब डैंटल एजुकेशन (ग्रुप -ए) सेवा (संशोधन) नियमों, 2021 को भी मंजूरी
पंजाब कैबिनेट ने डैंटल कौंसिल आफ इंडिया, नयी दिल्ली के नियमों अनुसार पंजाब डैंटल ऐजूकेशन (ग्रुप -ए) सर्विस (संशोधन) नियम, 2021 को भी मंजूरी दे दी है। यह फैसला राज्य भर के सरकारी डैंटल कालेजों में मैडीकल फेकल्टी की खाली पड़े पदों को भरने में सहायक सिद्ध होगा जिससे विद्यार्थियों को मानक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ मरीजों को दाँतों का बढ़िया इलाज मुहैया करवाया जा सके।