कहा – मरीज की हालत में तेजी से सुधार हुआ, जो अब निगरानी अधीन हैं
उप-कुलपति ने कोविड से स्वस्थ हुए अधिक से अधिक लोगों को इस नेक कार्य के लिए आगे आने के लिए कहा
चंडीगढ़, 12 जूनः
कोविड-19 की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के तौर पर गुरू गोबिन्द सिंह चिकित्सा काॅलेज और हस्पताल फरीदकोट द्वारा इलाज के नए तौर-तरीकों के हिस्से के तौर पर राज्य की पहली प्लाज्मा थैरेपी की गई है।
इस कदम की प्रशंसा करते हुए पंजाब के चिकित्सा शिक्षा एंव अनुसंधान मंत्री श्री ओ.पी. सोनी ने कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह चिकित्सा काॅलेज और हस्पताल फरीदकोट में डाॅक्टरों की टीम द्वारा कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीज को यह थैरेपी दी गई है। मंत्री ने कहा कि यह हस्पताल आईसीएमआर (इंडियन कौंसिल आॅफ मैडिकल रिर्सच) अधीन नेशनल क्लिनीकल ट्रायल के हिस्से के तौर पर इस थैरेपी की शुरुआत करने वाला देश का एक अग्रणी संस्थान बन गया है।
श्री सोनी ने बताया कि पंजाब में कोविड-19 के एक मरीज को दी गई यह पहली थैरेपी है। उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य के लिए कुछ दिन पहले जी.जी.एस. चिकित्सा काॅलेज फरीदकोट में कोविड से स्वस्थ हुए मरीज का प्लाज्मा लेकर स्टोर किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि यह प्लाजा इस वायरस से गंभीर रूप से पीड़ित व्यक्ति को दिया गया। प्लाज्मा थैरेपी के बाद मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है और वह निगरानी अधीन है।
श्री सोनी ने कोविड-19 से स्वस्थ हुए अधिक से अधिक लोगों को इस नेक कार्य के लिए आगे आने की अपील की है।
जी.जी.एस. चिकित्सा काॅलेज और हस्पताल की उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान श्री डी. के. तिवारी ने बताया कि जी.एम.सी. पटियाला भी जल्द ही प्लाज्मा थैरेपी शुरू करने जा रहा है और जी.एम.सी. अमृतसर के लिए स्वीकृति प्रक्रिया अधीन है।
इस दौरान संस्था की इस बड़ी उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आॅफ हैल्थ साईंसिज (बीएफयूएचएस) के वाइस चांसलर डाॅ. राज बहादुर ने कहा कि कोनवालेसैंट प्लाज्मा कोविड-19 के लक्षणों वाले ठीक हुए किसी भी मरीज से लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार जब मरीज की रिपोर्ट (आरटी-पीसीआर) नेगेटिव हो जाती है तो वह 14 दिनों के बाद अपना प्लाज्मा दान कर सकता है क्योंकि उसके खून में ऐंटीबाॅडीज होते हैं, जो बीमारी को ठीक करने में सहायता कर सकतें हैं।
प्रिंसिपल डाॅ. दीपक जाॅन भट्टी और चिकित्सा सुपरिडेंट डाॅ. राजीव जोशी ने इस थैरेपी को कोविड-19 महामारी से पीड़ित लोगों के इलाज में मील का पत्थर बताया।
टीम में शामिल डाॅ. रवीन्द्र गर्ग (मैडिसिन विभाग), डाॅ. नीतू कुकर (ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग), डाॅ. नीरजा जिन्दल (माईक्रोबायोलाॅजी विभाग) और डाॅ. दिव्या कविता (क्रिटीकल केयर विभाग) ने इस चुनौती को सफल बनाने में निरंतर सहायता और मार्ग दर्शन के लिए राज्य सरकार का धन्यवाद किया।

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