
भारत के राष्ट्रऩतत
श्री राम नाथ कोविन्द
ऱखनऊ, 29 जून, 2021-
इसे भैंअऩना सौबाग्म भानता ह ूं कि भझु ेआज डॉक्टय बीभयाव आूंफेडिय साूंस्िृतति िेंद्र िा
शिरान्मास ियने िा अवसय प्राप्त हुआ। स्वस्स्त वाचन तथा शबऺुओूं द्वाया प्रस्ततु गामन एवूं
ऩाठ िे प्रबाव से महाूं एि वविेष आध्मास्मभि वातावयण फना है। मह बी भेया सौबाग्म है कि
दो ददन ऩहरे 27 ज न िो बी अऩनी जन्भस्थरी ऩयौंख भें फाफासाहफ िी प्रततभा ऩय ऩषुऩाूंजशर
अवऩित ियने िा िबु अवसय भझु ेशभरा था।
इस रखनऊ िहय से फाफासाहफ आूंफेडिय िा बी एि खास सूंफूंध यहा है, स्जसिे िायण
रखनऊ िो फाफा साहफ िी ‘स्नेह-ब शभ’ बी िहा जाता है । फाफासाहफ िे शरए गरुु-सभान,
फोधानन्द जी औय उन्हें दीऺा प्रदान ियने वारे बदूंत प्रऻानन्द जी, दोनों िा तनवास रखनऊ
भें ही था। ददसूंफय 2017 भें भझु े रखनऊ स्स्थत फाफासाहफ बीभयाव आूंफेडिय ववश्वववद्मारम
िे दीऺाूंत सभायोह भें बाग रेने िा सअु वसय शभरा था। अऩनी उस रखनऊ मात्रा िे दौयान
भैंने बदूंत प्रऻानन्द जी िी ऩण्ुमस्थरी ऩय जािय, उनिी स्भतृतमों िो सादय नभन किमा था।
फाफासाहफ िी स्भतृतमों से जुड़े सबी स्थर बायतवाशसमों िे शरए वविेष भहमव यखते हैं। बायत
सयिाय द्वाया फाफासाहफ से जुड़े भहमवऩ णि स्थानों िो तीथि-स्थरों िे रूऩ भें वविशसत किमा
गमा है। भह भें उनिी जन्भ-ब शभ, नागऩयु भें दीऺा-ब शभ, ददल्री भें ऩरयतनवािण-स्थर, भूंफुई भें
चैमम-ब शभ तथा रूंदन भें ‘आूंफेडिय भेभोरयमर होभ’ िो तीथि-स्थरों िी श्रेणी भें यखा गमा है।
साथ ही ददसूंफय 2017 से, ददल्री भें ‘आूंफेडिय इन्टयनेिनर सेंटय’ िी स्थाऩना से देि-ववदेि
भें फाफासाहफ िे ववचायों िे प्रचाय-प्रसाय िा एि भहमवऩ णि भूंच याषरीम याजधानी भें बी
उऩरब्ध है।
फाफासाहफ िी स्नेह-ब शभ रखनऊ भें उनिे स्भायि िे रूऩ भें साूंस्िृतति िेंद्र िा तनभािण ियने
िी उमतय प्रदेि सयिाय िी ऩहर सयाहनीम है। िुछ देय ऩहरे हभने इस साूंस्िृतति िेंद्र िी
अनेि सवुवधाओूं िे फाये भें प्रदशिित कपल्भ िा अवरोिन किमा। इस सवुवचारयत प्रमास िे शरए
भैं याज्मऩार श्रीभती आनन्दीफेन ऩटेर, भख्ुमभूंत्री श्री मोगी आददममनाथ, उऩभख्ुमभूंत्री श्री िेिव
प्रसाद भौमि औय श्री ददनेि िभाि , सूंस्िृतत भूंत्री डॉक्टय नीरिूंठ ततवायी तथा अन्म सबी
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सहमोगगमों िो साधुवाद देता ह ूं। भैंचाह ूंगा कि महाूं प्रस्ताववत िोध िेंद्र फाफासाहफ िी गरयभा
िे अनरूुऩ उच्च स्तयीम िोध िामि िये औय िोध जगत भें अऩनी वविेष ऩहचान फनाए।
फाफासाहफ डॉक्टय बीभयाव आूंफेडिय िे फहु-आमाभी व्मस्क्तमव औय याषर-तनभािण भें उनिे
फहुभ ल्म मोगदान से उनिी असाधायण ऺभता व मोग्मता िा ऩरयचम शभरता है। वे एि
शिऺाववद, अथि-िास्त्री, ववगधवेमता, याजनीततऻ, ऩत्रिाय, सभाज-िास्त्री व सभाज सधु ायि तो थे
ही, उन्होंने सूंस्िृतत , धभि औय अध्मामभ िे ऺेत्रों भें बी अऩना अभ ल्म मोगदान ददमा है।
बायतीम सूंववधान िे शिल्ऩिाय होने िे अरावा, हभाये फकैंिूंग, इरयगेिन, इरेस्क्रशसटी शसस्टभ,
रेफय भैनेजभेंट शसस्टभ, येवेन्म िेमरयूंग शसस्टभ , शिऺा व्मवस्था आदद सबी ऺेत्रों ऩय डॉक्टय
आूंफेडिय िे मोगदान िी छाऩ है।
फाफासाहफ िे ‘ववजन’ भें चाय फातें सफसे भहमवऩ णि यहीूं हैं। मे चाय फातें हैं – ‘नैततिता’,
‘सभता’, ‘आमभ-सम्भान’ औय ‘बायतीमता’। इन चायों आदिों तथा जीवन भ ल्मों िी झरि
फाफासाहफ िे गचूंतन एवूं िामों भें ददखाई देती है।फाफासाहफ िी साूंस्िृतति सोच भ रत् सभता
औय सभयसता ऩय आधारयत थी। अद्भुत प्रततबा , भानव भात्र िे प्रतत िरुणा औय अदहूंसा ऩय
आधारयत उनिी जीवन मात्रा व उऩरस्ब्धमों िो ववश्व सभदुाम ने भान्मता दी है। सन 2016 भें
सौ से बी अगधि देिों िे प्रतततनगधमों ने सूंमक्ुत याषर सूंघ भें आमोस्जत फाफासाहफ िी 125वीूं
जमूंती सभायोह भें बागीदायी ियते हुए भानवता िे सभग्र वविास भें उनिे फहुभ ल्म मोगदान
िो सयाहा था।
देववमो औय सज्जनो,
बगवान फद्धु िे ववचायों िा बायत िी धयती ऩय इतना गहया प्रबाव है कि बायतीम सूंस्िृतत िे
भहमव िो न सभझने वारे साम्राज्मवादी रोगों िो बी भहामभा फद्धु से जुड़े साूंस्िृतति आमाभों
िो अऩनाना ऩड़ा। याषरऩतत बवन िे बव्म गूंफुद िी फनावट फौद्ध धभि से जुड़ी वस्ैश्वि ववयासत
साूंची स्त ऩ ऩय आधारयत है। उसी गूंफुद ऩय हभाया याषरीम ध्वज रहयाता है। हभाये याषर ध्वज
िे िेंद्र भें सायनाथ िे धभिचक्र ऩय आधारयत अिोि चक्र अूंकित है। याषरऩतत बवन , सूंसद
बवन तथा याजधानी नई ददल्री िे अनेि भहमवऩ णि स्थरों ऩय बगवान फद्धु से जुड़े प्राचीन
बायतीम प्रतीि व स्थाऩमम िे उदाहयण भौज द हैं। िामद आऩ सफिो भार भ हो कि हभाये देि
िे जनप्रतततनगधमों िी सफसे फड़ी सबा मातन रोिसबा भें अध्मऺ िी िुसी िे ऩीछे ‘धभिचक्र
प्रवतिनाम’ िा सूंदेि अूंकित है स्जसिा आह्वान गौतभ फद्धु ने अऩने प्रथभ प्रवचन भें किमा
था। डॉक्टय बीभयाव आूंफेडिय ने बगवान फद्धु िे ववचायों िो प्रसारयत किमा। उनिे इस प्रमास
िे भ र भें िरुणा , फूंधुता, अदहूंसा , सभता औय ऩायस्ऩरयि सम्भान जैसे बायतीम भ ल्मों िो
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जन-जन ति ऩहूंुचाने िा औय साभास्जि न्माम िे आदिि िो िामिरूऩ देने िा उनिा उद्देश्म
ऩरयरक्षऺत होता है।
नवूंफय 2017 भें, भैंने फोधगमा भें स्स्थत भहाफोगध ऩीऩर िा एि ऩौधा भूंगवामा औय उसे
याषरऩतत बवन िे फगीचे भें रगामा । उस अवसय ऩय सबी धभों िे प्रतततनगधमों औय हरयजन
सेवि सूंघ िे सदस्मों िो आभूंत्रत्रत किमा गमा था । भेयी दृस्षट भें वह ऩौधा फद्धु िी व्माऩि
औय िरुणाभम ववश्वदृस्षट िा प्रतीि है। छह इूंच िा वह छोटा सा ऩौधा अफ रगबग छह पुट
ऊूं चा हो गमा है। वह ऩौधा , बगवान फद्धु िी आध्मास्मभि व साूंस्िृतति ववयासत िे साथ
याषरऩतत बवन िो जोड़ने िे एि जीवूंत सेतुिे रूऩ भें ववद्मभान यहेगा।
देववमो औय सज्जनो,
अऩने जीवन िे अूंततभ वषों िे दौयान फाफासाहफ ने आध्मास्मभि औय साूंस्िृतति ऩहरओु ूं ऩय
फहुत भहमवऩ णि िामि किए। 6 ददसूंफय , 1956 िो भहाऩरयतनवािण िे दो ददन ऩहरे ही उन्होंने
फद्धु औय धम्भ ऩय अऩनी अममूंत भहमवऩ णि ऩस्ुति िी प्रस्तावना िो अूंततभ रूऩ ददमा।
बगवान फद्धु िे िरुणा औय सौहादि िे सूंदेि िो उन्होंने अऩने जीवन औय याजनीतत िा आधाय
फनामा। अक्त फय, 1956 िो नागऩयु भें अऩने एि सूंक्षऺप्त बाषण भेंउन्होंने सभाज िी एिता
ऩय फर देते हुए िहा कि “भैंबूंडाया िे उऩचुनाव भें ऩयास्जत हुआ, भझु ेमह फयुा नहीूं रगता
है। इस चुनाव भें भेये ऩऺ भें फहुत अगधि भतदान हुआ। अऩने वगि िे भतों िो छोड़ ददमा
जाए तो सभाज िे द सये रोगों ने बी भेये ऩऺ भें भतदान किमा , इस फात िा भझु े सूंतोष है।
भैं हाया अथवा जीता, मह प्रश्न भेये शरए भहमवऩ णि नहीूं है।“ इस प्रिाय फाफासाहफ ने नैततिता
औय सौहादि िे साूंस्िृतति भ ल्मों ऩय आधारयत याजनीतत िी आवश्मिता ऩय फर ददमा। हभाये
स्वाधीनता सूंग्राभ िे दौयान फाफासाहफ िे अनेि सभिारीन देिवासी मह िहा ियते थे कि
सफसे ऩहरे हभ बायतीम हैंउसिे फाद ही हभ दहन्द , भसु रभान, शसख मा ईसाई हैं। ऩयन्तु
बायतीमता िे फाये भें फाफासाहफ िी सोच िहीूं अगधि व्माऩि औय भजफ त थी। वे िहा
ियते थे कि वे ‘ऩहरे बी बायतीम हैं, फाद भें बी बायतीम हैं औय अूंत भें बी बायतीम हैं।’
फाफासाहफ, आधुतनि बायत िे तनभािण भें भदहराओूं िी भहमवऩ णि ब शभिा िे ऩऺधय थे। वे
भदहराओूं िो सभान अगधिाय ददराने िे शरए सदैव सकक्रम यहे। फाफासाहफ द्वाया यगचत हभाये
सूंववधान भें आयूंब से ही भतागधिाय सभेत प्रममेि ऺेत्र भें भदहराओूं िो सभान अगधिाय प्रदान
किए गए हैं। ववश्व िे अन्म प्रभखु रोितास्न्त्रि देिों भें मह सभानता भदहराओूं िो रूंफे सभम
िे फाद ही शभर ऩाई थी। बायत िे सूंववधान भें भदहराओूं िो बी ऩरुुषों िे फयाफय ह, सभानता ी
िा भ र अगधिाय ददमा गमा है। फाफासाहफ चाहते थे कि सभानता िे इस भ र अगधिाय िो
सूंऩस्मत िे उमतयागधिाय तथा वववाह एवूं जीवन िे अन्म ऩऺों से जुड़े भद्दुों ऩय बी एि अरग
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ववधेमि द्वाया स्ऩषट िान नी आधाय दे ददमा जाए। इस फदराव िो तेज गतत िे साथ राग
ियने िे ववषम ऩय उनिा अनेि प्रभखु जनसेविों िे साथ भतबेद बी यहा। रेकिन आज
भदहराओूं िे सूंऩस्मत ऩय उमतयागधिाय जैसे अनेि ववषमों ऩय उनिे द्वाया सझु ाए गए भागि ऩय
ही हभायी ववगध-व्मवस्था आगे फढ़ यही है। इससे मह स्ऩषट होता है कि फाफासाहफ िी द यदिी
सोच अऩने सभम से फहुत आगे थी।
देववमो औय सज्जनो,
भेयी िबु िाभना है कि इस साूंस्िृतति िेंद्र िा तनभािण िामि सचु ारु रूऩ से औय सभम ऩय
सम्ऩन्न हो। भझु ेववश्वास है कि मह साूंस्िृतति िेंद्र सबी देिवाशसमों ि,ो वविेषिय मवुा ऩीढ़ी
िो, फाफासाहफ िे आदिों एवूं उद्देश्मों से ऩरयगचत ियाने भें प्रबावी ब शभिा तनबाएगा। साथ ह,ी
भैंइस फात ऩय वविेष फर देना चाह ूंगा कि फाफासाहफ िे जीवन-भ ल्मों औय आदिों िे अनरूुऩ
सभाज व याषर िा तनभािण ियने भें ही हभायी वास्तववि सपरता है। इस ददिा भें हभने
प्रगतत अवश्म िी हैरेकिन अबी हभें औय आगे जाना है। भझु ेऩ या ववश्वास है कि आज िे
इस िामिक्रभ से जुड़े आदिों ऩय चरते हुए हभ बायत िे रोग सभता , सभयसता औय
साभास्जि न्माम ऩय आधारयत सिक्त व सभद्धृ बायत िा तनभािण ियने भें सपर होंगे।

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