आज से मंडियों में गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है: मनोहर लाल

Haryana Cabinet approved the proposal of Excise and Taxation Department regarding delegation of power of Council of Ministers to the Chief Minister for the next six months under Haryana Goods and Services Tax Act, 2017

आज से मंडियों में गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है: मनोहर लाल

चण्डीगढ़, 1 अप्रैल- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आज से मंडियों में गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में सम्बन्धित जिला उपायुक्त यह सुनिश्चित करें कि जे-फार्म जारी होने के 24 घंटे के अन्दर फसल का उठान हो जाए और 72 घंटे के अन्दर पैसा किसान के खाते में पहुंच जाए।

          मुख्यमंत्री आज यहां हरियाणा लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट, स्वामित्व योजना और जल जीवन मिशन को लेकर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। गौरतलब है कि हर सप्ताह वीरवार के दिन सभी जिला उपायुक्तों के साथ संवाद के मकसद से इस तरह की बैठक शुरू की गई है और इस कड़ी में आज दूसरी बैठक थी।

          श्री मनोहर लाल ने उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने की हिदायत दी कि मंडियों में अनाज लेकर आने वाले किसानों को किसी तरह की दिक्कत न आए। वहां पर गेट पास, कम्प्यूटर, पेयजल और शौचालय की समुचित व्यवस्था हो। साथ ही, यह भी देखा जाना चाहिए कि मंडियों में पर्याप्त संख्या में मजदूर उपलब्ध हों, बारदाने और ढुलाई की पूरी व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि इस समय भुगतान में किसी तरह का विलम्ब होने पर सरकार द्वारा किसानों को 9 प्रतिशत ब्याज देने का निर्णय लिया गया है लेकिन इस कार्य में अधिकारियों या कर्मचारियों के स्तर पर किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

          बैठक में बताया गया कि जल-जीवन मिशन के क्रियान्वयन में हरियाणा का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है और इस मामले में हम देश में तीसरे स्थान पर हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा बीआईएस मानकों के अनुरूप प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के माध्यम से प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर पेयजल मुहैया करवाने के मकसद से शुरू किया गया एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। केंद्र सरकार द्वारा इस कार्यक्रम को वर्ष 2024 तक पूरा करने की समय-सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन हरियाणा में इसका 87 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो चुका है और वर्ष 2022 में ही इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा।

          मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि लोगों को पेयजल मुहैया करवाना जितना जरूरी है, इसका निपटान करना भी उतना ही जरूरी है। इसलिए ग्रे वाटर मैनेजमेंट पर पूरा फोकस किया जाना चाहिए क्योंकि इसका सही प्रबंधन न होने से कई तरह की बीमारियां पनपती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पानी के उचित प्रबंधन के लिए द्विवार्षिक योजना बनाई है जिसका मकसद हर बूंद पानी का उपयोग और पुन:उपयोग सुनिश्चित करना है।

          मुख्यमंत्री ने उपायुक्तों को यह भी निर्देश दिए कि स्कूलों में पानी की समुचित व्यवस्था हो। चारदीवारी, शौचालय, सफाई, रंग-रोगन और पौधारोपण जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि वहां का वातावरण अच्छा रहे। उन्होंने विकास एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी बारिश के मौसम से पहले रूफटॉप के पानी की रिचार्जिंग के भी समुचित प्रबंध किए जाएं।

          मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह जरूरी है कि पेयजल आपूर्ति योजनाओं के संचालन और रख-रखाव का काम संबंधित ग्राम पंचायतों को सौंपा जाए। विभाग के जल एवं स्वच्छता सहायता संगठन (वाटर एंड सेनिटेशन स्पोर्ट ऑर्गेनाइजेशन) ने 500 से अधिक ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव लेकर ग्राम पंचायतों को इस काम के लिए प्रेरित किया है। ये ग्राम पंचायतें अपने गांवों के जल संसाधनों के संचालन और रख-रखाव का दायित्व लेने के लिए तैयार हैं।

          बैठक में बताया गया कि वार्षिक कार्य योजना 2020-21 के अनुसार सभी 22 जिला प्रयोगशालाओं को एनएबीएल (राष्टï्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड) से मान्यता दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इनमें से 13 जिला प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता मिल चुकी है जबकि 4 और प्रयोगशालाओं के लिए इसकी सिफारिश की गई है। इस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन प्रयोगशालाओं में पानी के साथ-साथ फूड आइटम की भी जांच की जानी चाहिए। इसके लिए इन प्रयोगशालाओं में जरूरी उपकरण भी मुहैया करवाए जाएं। उन्होंने कहा कि इस कार्य में स्कूल-कॉलेजों के साइंस स्ट्रीम के विद्यार्थियों को शामिल किया जा सकता है। यह भी बताया गया कि विभाग द्वारा नागरिकों को जिला जनस्वास्थ्य प्रयोगशालाओं में मामूली दरों पर पेयजल नमूनों की जांच की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।

          इस दौरान यह भी बताया गया कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में शत-प्रतिशत पेयजल कनेक्शन दिए गए हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्कूलों में पानी का कनेक्शन देना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि स्कूल समय के दौरान वहां पानी उपलब्ध हो। इसके लिए बाकायदा सर्वे करवाया जाए और जिन स्कूलों में स्टोरेज की सुविधा नहीं है वहां इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए।

          बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती धीरा खंडेलवाल, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह, खान एवं भू-विज्ञान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टी.सी. गुप्ता, स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री महावीर सिंह, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के प्रधान सचिव श्री अशोक खेमका, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव श्री विजयेंद्र कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के प्रधान सचिव श्री वी.उमाशंकर, अतिरिक्त प्रधान सचिव श्रीमती आशिमा बराड़, विकास एवं पंचायत विभाग के महानिदेशक श्री आर. सी. बिढ़ान समेत विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में सभी जिलों के उपायुक्त तथा योजना से जुड़े अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।