प्रवासी मजदूरों को काम के लिए पंजाब वापस लौटने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पासवान को पत्र लिखा
चंडीगढ़, 11 जूनः
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों और राज्य के गरीब नाॅन-एन.एफ.एस.ए. (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट) नागरिकों को बाँटने के लिए 2 माह के लिए अतिरिक्त 14144 मीट्रिक टन गेहूँ और 1414 मीट्रिक टन दालों की माँग की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम औद्योगिक गतिविधियों को पूरी तरह बहाल करने के अलावा मजदूरों को अपनी रोजी-रोटी के लिए काम पर लौटने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए और ज्यादा सहायक सिद्ध होगा।
केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि केंद्र की तरफ से यह प्रयास किया जाना बहुत जरूरी था क्योंकि पिछले कुछ महीनों से वेतन / मजदूरी के हुए नुक्सान के कारण प्रवासियों और गरीब नाॅन-एनएफएसए नागरिकों को बुरी तरह चोट पहुंची है।
काबिलेगौर है कि भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत प्रवासियों और नाॅन-एनएफएसए लाभार्थीयों को बाँटने के लिए 14,144 मीट्रिक टन गेहूँ और 1015 मीट्रिक टन दालें रखी थीं। राज्य में इन स्टाॅकों का वितरण जारी है और अगले 10-15 दिनों में पूरा होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार की तरफ से प्रवासी मजदूरों और नाॅन-एनएफएसए लाभार्थीयों को अब तक 10 किलो आटा, 2 किलो दाल और 2 किलो चीनी वाले 14 लाख से अधिक सूखे राशन के पैकेट बाँटे जा चुके हैं।
भारत सरकार ने प्रति व्यक्ति सिर्फ 10 किलो गेहूँ और लगभग 500 ग्राम दाल दी थी। इसके बाद, राज्य सरकार ने गरीब प्रवासियों द्वारा आसानी से उपभोग के लिए इस गेहूँ को आटे में बदलने का फैसला किया था। इसके अलावा, दाल की मात्रा जो काफी कम थी, को 500 ग्राम से बढ़ाकर 2 किलो किया गया और चीनी की मात्रा में वृद्धि की गई।
कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि प्रवासी मजदूर चल रहे खरीफ सीज़न के दौरान खेत मजदूरी के काम के लिए फिर पंजाब लौट रहे हैं। इसके अलावा, औद्योगिक गतिविधियों की स्थिति भी काफी हद तक सामान्य हो गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य में स्थित 2.60 लाख औद्योगिक इकाईयों में से 2.32 लाख से अधिक ने अपना काम फिर से शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन ईकाईयों में लगभग 13.5 लाख कामगार काम कर रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर प्रवासी मजदूर हैं।

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