रिपेरियन सिद्धांत के अनुसार नदियों के पानी पर पंजाब का विशेष अधिकार है: सरदार सुखबीर सिंह बादल

SUKHBIR BADAL
ਪਟਿਆਲਾ ਵਿਖੇ ਵਾਪਰਿਆ ਘਟਨਾਕ੍ਰਮ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਕ ਨਖਿੱਧਪੁਣੇ, ਗ਼ੈਰ-ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰਾਨਾ ਸਿਆਸਤ ਅਤੇ ਮੌਕਾਪ੍ਰਸਤੀ ਦਾ ਨਤੀਜਾ : ਸੁਖਬੀਰ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ
कहा कि भगवंत मान को खटटर के साथ एस.वाई.एल नहर पर बातचीत शुरू करने से बजाय इस पर जोर देना चाहिए था
 
मुख्यमंत्री के ए.जी के बयान कि अगर पंजाब में पानी है तो वह एस.वाई.एल निर्माण पर विचार करेगा को खारिज करते हुए कहा कि सरकार को  इस बयान से खुद को अलग कर अटॉर्नी जनरल की निंदा करनी चाहिए
 
कहा कि सरदार परकाश सिंह बादल ने एस.वाई.एल की जमीन को डी-नोटिफाई कर किसानों को लौटा दिया था , अब उस जमीन पर कोई नहर नही है
 
चंडीगढ़/14अक्टूबर: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज कहा है कि  मुख्यमंत्री  भगवंत मान को हरियाणा  को समान भागीदार का दर्जा देने तथा उनके समकक्ष से एसवाईएल नहर पर बातचीत शुरू करने से पहले उन्हे यह बताना चाहिए  था कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत रिपेरियन सिद्धांत के अनुसार पंजाब का नदी जल पर अविभाज्य और अनन्य अधिकार है।
 
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ यह बेहद निंदनीय है कि श्री भगवंत मान पानी की उपलब्धता की जांच के लिए बातचीत शुरू करके हरियाणा द्वारा बिछाए जाल में फंस गए हैं’’। उन्होने कहा कि ऐसा इस तथ्य के बावजूद किया गया कि हरियाणा को गैर-रिपेरियन राज्य होने के मामले में हरियाणा का पंजाब के पानी पर कोई अधिकार नही है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी ध्यान नही दिया कि यदि पंजाब और हरियाणा में उपलब्धता कम है तो इससे सभी के हिस्से में आनुपातिक कटौती होगी , लेकिन हरियाणा में पानी का बहाव नही रूकेगा’’।
 
पंजाब के मामले को बड़े ही कमजोर तरीके से पेश करने के लिए श्री भगवंत मान की निंदा करते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में पंजाब के ए.जी के इस दावे को खारिज कर दिया कि ‘‘ अगर हमारे पास पानी होगा तो हम एसवाईएल के निर्माण पर विचार करेंगें’’। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार को तुरंत इस रूख से खुद को अलग कर लेना चाहिए और पंजाब विरोधी बयान देने के लिए एजी की निंदा करनी चाहिए।
 
अकाली दल अध्यक्ष ने श्री भगवंत मान की पानी का माप वाली बात को बेतुका बताते हुए कहा , ‘‘ मुख्यमंत्री ने आज अपनी प्रेस कांफ्रेंस में स्वीकार किया कि जिस जमीन पर एसवाईएल नहर खड़ी थी, उसे पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल ने डी-नोटिफाई करके उसे किसानों को वापिस कर दिया था, और अब किसानों द्वारा इसकी जुताई की जा रही है। उन्होने कहा कि जब मुख्यमंत्री को पता था कि जमीन पर कोई नहर नही है तो उन्होने और उनके निजी ए.जी ने पंजाब की ओर से यह वादा क्यों किया कि  नदियों के मौजूदा पानी को नए सिरे से नापा जाएगा फिर राज्य एसवाईएल नहर के निर्माण पर विचार करेगा।
 
सरदार बादल ने पंजाबियों की इच्छा के विरूद्ध जाकर राज्य में आग न लगाने के लिए श्री भगवंत मान को आगाह करते हुए कहा, ‘‘ ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री , आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के दबाव में हैं जो पंजाब की नदी का पानी हरियाणा और दिल्ली को छोड़े जाने पर जोर दे रहे हैं। केजरीवाल ने एसवाईएल मुददे के बारे हरियाणा को यह कहते हुए उम्मीद दी है कि पंजाब की नदियों का पानी उसके साथ साझा किया जाना चाहिए और अब ऐसा लगता है कि श्री भगवंत मान इस स्क्रिप्ट के अनुसार काम कर रहे हैं। उन्होनेे कहा कि एसवाईएल पर पंजाब के स्टैंड को कमजोर करेन के लिए पंजाब के लोग भगवंत मान को  हरगिज माफ नही करेंगें। 
 
पंजाब और हरियाणा द्वारा आपसी विचार-विमर्श के माध्यम से इस मुददे को सुलझाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की सलाह के संदर्भ में श्री भगवंत मान  के संदर्भ का उल्लेख करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि सरदार परकाश सिंह बादल ने एसवाईएल के निर्माण के लिए पंजाब को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुख्यमंत्री के रूप में क्या प्रतिक्रिया दी थी। उन्होने कहा, ‘‘ सरदार बादल ने एसवाईएल के निर्माण पर स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया था और घोषणा की थी कि वह पंजाब के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने के लिए फांसी पर लटकाए जाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि नदी का पानी हमारी जिंदगी है और पंजाब को इसके पानी पर  अपने रिपेरियन अधिकार से अलग करने के लिए मजबूर नही किया जा सकता है’’।
 
सरदार बादल ने कहा कि जब श्री भगवंत मान सत्ता में नही थे, तो वह बड़ी-बड़ी बातें करते थे, कि हरियाणा के साथ पंजाब नदी के मुददे पर चर्चा करने का सवाल ही नही उठता।  उन्होने कहा कि इसीलिए हम यह भी नही कह सकते कि ‘‘ वे निर्दोष हैं और इस मुददे से अनभिज्ञ हैं। उन्होने कहा कि  मुख्यमंत्री ने अब अपनी वसीयत केजरीवाल को सौंप दी है, यही वजह है कि वह मनोहर लाल खटटर से मिलने से इंकार नही कर सके’’।