बेअदबी मामलों में दोषियों को सख़्त सज़ाएं देने के लिए उप मुख्यमंत्री रंधावा ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा

RANDHAWA DEMANDS NOD TO PUNJAB GOVERNMENT BILLS FOR ENSURING STRINGENT PUNISHMENT TO SACRILEGE PERPETRATORS
RANDHAWA DEMANDS NOD TO PUNJAB GOVERNMENT BILLS FOR ENSURING STRINGENT PUNISHMENT TO SACRILEGE PERPETRATORS
पंजाब विधान सभा द्वारा पास इंडियन पीनल कोड (पंजाब संशोधन) बिल, 2018 और दी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) बिल 2018 को मंज़ूरी देने की की मांग
चंडीगढ़, 20 दिसंबर 2021
पवित्र धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामलों में दोषियों को सख़्त सज़ाएं देने के लिए पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर माँग की है कि पंजाब विधान सभा द्वारा पास किये बिलों को मंज़ूरी दी जाये।

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केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में स. रंधावा ने लिखा, ‘मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि पंजाब में पवित्र ग्रंथों की बेअदबी एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिखों की तरफ से एक जीवित गुरू माना जाता है, न कि कोई वस्तु। सिख मर्यादा अनुसार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सम्मान किया जाता है। इस संदर्भ में यह महसूस किया गया कि भारतीय दंड संहिता-1860 की धारा 295 और 295 -ए की मौजूदा धाराएं जिसमें तीन साल तक की सजा की व्यवस्था है, इस स्थिति से निपटने के लिए काफ़ी नहीं हैं।’
स. रंधावा जिनके पास गृह विभाग भी है, ने पत्र में आगे लिखा है कि पंजाब विधान सभा ने ‘इंडियन पीनल कोड (पंजाब संशोधन) बिल, 2018 और दी कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) बिल 2018 पास किया, जिसमें लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से श्री गुरु ग्रंथ साहिब, श्रीमद भागवत गीता, पवित्र कुरान और पवित्र बाइबल की बेअदबी, किसी को चोट या नुक्सान पहुँचाने वाले के लिये उम्र कैद तक की व्यवस्था की गई है। इन बिलों को पंजाब के राज्यपाल की तरफ से 12 अगस्त, 2018 को मंज़ूरी दी गई थी। हालाँकि यह बिल मंज़ूरी के लिए भारत के राष्ट्रपति के पास अक्तूबर, 2018 से लम्बित हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरहदी राज्य होने के कारण यहां भाईचारक सांझ बनाये रखना बेहद ज़रूरी है, इसलिए बेअदबी की घटनाओं को अंजाम देकर सांप्रदायिक सदभावना को भंग करने की कोशिश करने वालों के लिए सख़्त सजा लाज़िमी है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री से अपील की कि उक्त बिलों के लिए राष्ट्रपति की सहमति जल्द से जल्द प्राप्त की जाये और राज्य सरकार को सौंप दी जाये।