नई छपी किताब ‘‘रिवर वॉटरज़ ऑन फायर-खालिस्तान स्ट्रग्ल’’

Documentary evidence exposes role of  SAD
दस्तावेज़ी सुबूतों ने एस.वाई.एल. नहर बनाने में अकाली दल की भूमिका को नंगा किया-तृप्त बाजवा
चंडीगढ़, 27 अगस्त:
पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने आज यहाँ कहा है कि सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने से सम्बन्धित सामने आए नए दस्तावेज़ी सुबूतों ने शिरोमणी अकाली दल ख़ासकर प्रकाश सिंह बादल की भूमिका को नंगा कर दिया है। उन्होंने कहा कि इन दस्तावेज़ों ने स्पष्ट कर दिया है यह विवादित नहर अकाली सरकारों के समय ही बनती रही है।
श्री बाजवा ने यह टिप्पणी आज वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह की नई छपी किताब ‘‘रिवर वॉटरज़ ऑन फायर-खालिस्तान स्ट्रग्ल’’ रिलीज़ करते समय किया।
पंचायत मंत्री ने कहा कि सामने आए नए दस्तावेज़ पंजाब और हरियाणा सरकारों के साथ-साथ हरियाणा विधान सभा के रिकॉर्ड पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल ने हरियाणा विधान सभा में यह जानकारी दी थी कि इस नहर के लिए भुमि अधिग्रहण करने के लिए नोटिफिकेशन 1978 में बादल सरकार द्वारा जारी किए गए थे।
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात तो यह है कि यह नोटिफिकेशन जारी करते समय अकाली सरकार ने सम्बन्धित कानून में से एमरजैंसी क्लॉस भी जोड़ दिया, जिसमें दर्ज है, ‘‘इस कानून के अंतर्गत मिली शक्तियां, शक्तियों का प्रयोग करते हुए पंजाब के राज्यपाल यह निर्देश देने में ख़ुशी महसूस करते हैं कि इस केस में उपरोक्त कानून की धारा 17 के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी और अत्यंत ज़रूरी होने और धारा 5 (ए) की व्यवस्थाएं यह ज़मीन अधिग्रहण करने के लिए लागू नहीं होंगीं।’’ बादल सरकार द्वारा यह दो नोटिफिकेशन को ११३/५/स्ङ्घरु और १२१/५/स्ङ्घरु, 20 फरवरी, 1978 को जारी किए गए थे।
श्री बाजवा ने कहा कि अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल का लगातार यह कहना भी सरासर गलत है कि उनकी सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा 1976 में नदियों के पानी के वितरण सम्बन्धी सुनाए गए अवॉर्ड को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि सही तथ्य यह है कि पहले हरियाणा सरकार इस अवॉर्ड को लागू कराने के लिए 30 अप्रैल, 1979 को सुप्रीम कोर्ट में की गई थी और उसके बाद 31 जुलाई, 1979 को पंजाब सरकार इस केस में पार्टी बनी थी।
पंचायत मंत्री ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार ने 2004 में नदी के पानी से सम्बन्धित पंजाब पर थोपे गए सभी समझौतों और अवॉर्डों को उस समय रद्द करने के लिए पंजाब विधान सभा में कानून पास करवाया, जब इस नहर को बनाने के लिए पंजाब सरकार पर तलवार लटक रही थी।
श्री बाजवा ने कहा कि इस किताब में पंजाब के काले दौर के घटनाकर्मों में से छूआ गया केवल एक मामला है। उन्होंने कहा इस किताब में तथ्यों के आधार पर यह भी सिद्ध किया गया है कि संत जर्नैल सिंह भिंडरावाले को उभारने में कांग्रेस का नहीं बल्कि शिरोमणी अकाली दल का बड़ा रोल था।