शिरोमणी अकाली दल ने भारत निर्वाचन आयोग से एस.एस.पीज् और डी.एस.पीज् की पोस्टिंग की समीक्षा करने की अपील की

Maheshinder Singh Grewal
ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਆਪਣੇ ਅਫਸਰਾਂ ਨਾਲ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਾਲੀ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਬਣਾਏ ਮੈਰੀਟੋਰੀਅਸ ਅਤੇ ਆਦਰਸ਼ ਸਕੂਲਾਂ ਦਾ ਦੌਰਾ ਕਰਨ : ਅਕਾਲੀ ਦਲ
 भारत निर्वाचन आयोग से योग्यता के आधार पर नियमित डीजीपी नियुक्त करने का आग्रह किया
 कहा कि करदाताओं के पैसे की कीमत पर फर्जी विज्ञापनों को रोकने के लिए कांग्रेस सरकार को निर्देश जारी किए जाएं

 चंडीगढ़/15दिसंबर 2021

शिरोमणी अकाली दल ने आज भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से राज्य विधानसभा के आम चुनावों को प्रभावित करने के लिए गलत मकसद से किए गए एस.एस.पीज् और डी.एस.पीज् और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की सभी पोस्टिंग और तबादलों की समीक्षा करने का अनुरोध किया है।

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मुख्य चुनाव आयुक्त को यहां सौंपे गए एक मांगपत्र में स.  महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और डॉ. दलजीत सिंह चीमा के दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से राज्य में योग्यता के आधार पर एक नियमित डीजीपी नियुक्त करने का आग्रह किया ताकि मतदान में केंद्रीय बलों को तैनात करके लोगों का विश्वास बढ़ाया जा सके।इसमें करदाताओं के पैसे की कीमत पर भ्रामक और फर्जी विज्ञापनों को रोकने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह करने के अलावा सभी मतदान केंद्रों पर वीडियोग्राफी कराने की बात भी कही गई है।

अकाली प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि जिस तरह से मीडिया मे ंआई खबरों के अनुसार जिस तरह से  पर दैनिक आधार पर तबादले किए जा रहे हैं, उसने आगामी विधानसभा चुनावों के स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संचालन पर सवालिया निशान लगा दिया है।

 इसमें कहा गया है कि यह अजीब बात है कि पिछले तीन महीनों में सरकार नियमित डीजीपी की नियुक्ति नही कर सकी और उसने जानबूझकर एक कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति की थी तथा वरिष्ठ अधिकारियों को  एकतरफा रखा गया है ताकि अकाली दल और उसके शीर्ष लीडरशीप के खिलाफ बदलाखोरी की राजनीति एजेंडे को लागू करने के लिए मजबूर किया जा सके।

अकाली दल के मांगपत्र में इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की एक प्रति भी सलंग्न की, जिसमें बताया गया कि कैसे कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने गृहमंत्री सुखजिंदर रंधावा के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप लगाते हुए कहा कि कि बाद में पोस्टिंग के लिए पुलिस अधिकारियों से दो से पांच करोड़ रूपये के बीच वसूली की जा रही है।इस रिपोर्ट का सरकार द्वारा अभी खंडन किया जाना बाकी है।

अकाली प्रतिनिधिमंडल ने  यह भी बताया गया कि कैसे मुख्यमंत्री, गृहमंत्री , पीसीसी अध्यक्ष और सुखजिंदर रंधावा अपने स्तर पर पुलिस अधिकारियों को अकाली शीर्ष लीडरशीप के खिलाफ मामले दर्ज करने के लिए मजबूर करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि जिन अधिकारियों ने इन गलत कामों मेे साथ देने से इंकार कर दिया , उन्हे जांच ब्यूरों (बीओआई) से एक महीने के अंतराल में श्री अर्पित शुक्ला और वरिंदर कुमार के तबादले के साथ हटा दिया गया। उन्होने कहा कि वर्तमान बी.ओ.आई प्रमुख एस के अस्थाना इतने दबाव में आ गए कि उन्हे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और अभी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

इसमें यह भी बताया गया है कि पीसीसी प्रमुख नवजोत सिद्धू ने अपनी ही सरकार को धमकी दी थी अगर अकाली लीडरशीप के खिलाफ झूठा मामला दर्ज नही किया गया तो वह आमरण अनशन करेंगें।यह भी खुलासा किया गया कि कानून और व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब है कि  रेत और शराब माफिया राज्य सरकार को नियंत्रित कर रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ भी करने के बजाय मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी वोटों को प्रभावित करने के एकमात्र उददेश्य से हर दिन फर्जी घोषणाएं कर रहे हैं।इसमें चुनाव आयोग से झूठे विज्ञापन देकर राज्य के खजाने की लूट पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।