मुख्यमंत्री पंजाबियों को बताएं कि वह कल हरियाणा के मुख्यमत्री के साथ मीटिंग में एस.वाई.एल नहर पर क्या रूख अपनाएंगें: शिरोमणी अकाली दल

कहा कि एस.वाई.एल पर पंजाब के हितों से समझौता करने के लिए केजरीवाल के दबाव में मुख्यमंत्री: डॉ. दलजीत सिंह चीमा


चंडीगढ़/13अक्टूबर :-
 शिरोमणी अकाली दल ने आज मुख्यमंत्री भगवंत मान से यह बताने के लिए कहा कि वह सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर पर कल हरियाणा के अपने समकक्ष के साथ मीटिंग में क्या रूख अपनांएगें। उन्होने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बात के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि  मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के इशारे पर  पंजाब के हितों के साथ विश्वासघात करेंगें।

यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए पूर्व मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि  तथ्य यह है कि मुख्यमंत्री ने पंजाबियों को अपना रूख स्पष्ट नही किया और न ही इस मुददे पर मजबूती से एक स्टैंड तय करने के लिए सर्वदलीय मीटिंग की, जिससे संकेत मिलता है कि उन पर अरविंद केजरीवाल, आप पार्टी को हरियाणा की राजनीति में लाभ लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं।

इस बारे में अन्य जानकारी देते हुए कि पंजाबी इस तरह के किसी भी समझौते को बर्दाश्त नही करेंगें कहते हुए डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर के साथ मीटिंग में भाग लेने से पहले यह  स्पष्ट करना चाहिए कि एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए  पंजाब के पास देने के लिए न तो पानी की एक भी बूंद है तथा न ही जमीन है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि नदी के पानी पर पंजाब का विशेष अधिकार है और एक गैर रिपेरियन राज्य के रूप में हरियाणा का इस मुददे पर कोई अधिकार नही है।

अकाली नेता ने मुख्यमंत्री से यह बताने को कहा कि यदि इस मुददे पर पंजाब को अदालत में  इसीलिए नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह को पंजाब पुनर्गठन की धारा 78 और 80 को चुनौती देने वाली राज्य की याचिका को वापिस लेने के लिए मजबूर किया था।  उन्होने कहा कि अगर ऐसा न किया गया होता तो पंजाब को बाद में न्यायिक पराजय का सामना नही करना पड़ता। उन्होने कहा कि ‘‘पंजाब ऐतिहासिक रूप से न्यायिक अन्याय का शिकार है। उन्होने कहा कि न्यायिक आदेशों का उपयोग इसे नदी के पानी से वंचित करने के लिए नही किया जाना चाहिए’’।

डॉ. चीमा ने कहा कि हरियाणा के साथ बातचीत करने से पहले एसवाईएल मुददे पर स्पष्ट सार्वजनिक स्टैंड लेना मुख्यमंत्री का दायित्व है, क्योंकि उन्होने अपने मालिक केजरीवाल के सामने खड़े होेने में कमजोरी दिखाई है, जो हरियाणा को पानी देने पर तुले हुए हैं। ‘‘ भगवंत मान ने सार्वजनिक रूप से आप पार्टी के संयोजक के रूख का समर्थन किया है कि  पंजाब से हरियाण के लिए पानी छोड़ा जाना चाहिए।  आप पार्टी पहले ही हरियाणा में इस आशय की घोषणा कर चुकी है और इस संदिग्ध उपलब्धि का श्रेय लेने की प्रक्रिया में है’’।

अकाली नेता ने भगवंत मान से कहा कि वह चंडीेगढ़ में नया विधानसभा भवन के निर्माण के प्रस्ताव पर हरियाणा को पंजाब की आपत्ति से अवगत कराने के लिए कल के अवसर का उपयोग करें, जिसके लिए उसने केंद्र से जमीन आवंटित करने के लिए कहा था। डॉ. चीमा ने कहा, ‘‘ श्री मान को इस मुददे पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए चंडीगढ़ के प्रशासक के साथ साथ गृहमंत्रालय से भी संपर्क करना चाहिए ताकि इस मुददे पर  अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया जा सके’’।

 

और पढ़ें :-  आय से अधिक जायदाद बनाने के दोष अधीन विजीलैंस ब्यूरो द्वारा ई.ओ. गिरिश वर्मा गिरफ़्तार