शिरोमणी अकाली दल ने सर्वदलीय मीटिंग में पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार को खारिज करने के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की वकालत की

PAREMSINGH CHANDUMAJRA
ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਨੇ ਸਰਬ ਪਾਰਟੀ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਬੀ ਐਸ ਐਫ ਦਾ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਵਧਾਉਣ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਰੱਦ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਇਜਲਾਸ ਸੱਦਣ ਦੀ ਕੀਤੀ ਮੰਗ
2017 में अमरिंदर सरकार द्वारा कृषि कानूनों और एपीएमसी अधिनियमों में किए गए संशोधनों को अलग करने की अपील की
कहा कि सीएम चन्नी  मीटिंग में यह समझाने में विफल रहे कि उन्होने पंजाब में केंद्रीय अधिकार क्षेत्र के विस्तार की अनुमति देने के लिए केंद्र के साथ मिलीभगत नही की। घटनाओं के क्रम से साबित होता है कि चन्नी ने राज्य के हितों कों केंद्र को बेच दियाः प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा

चंडीगढ़/25अक्टूबर 2021

शिरोमणी अकाली दल ने आज राज्य के दस जिलों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के केंद्र के फैसले को अस्वीकार करने के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का आहवाहन किया, उन्होने मांग की कि विधानसभा में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली सरकार ने एपीएमसी अधिनियम में किए गए तीनो कृषि कानूनों के साथ एपीएमसी अधिनियम में किए गए संशोधनों को भी अलग रखा।

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प्रेम सिंह चंदूमाजरा और डॉ. दलजीत सिंह चीमा सहित अकाली दल प्रतिनिधिमंडल ने भी कांग्रेस सरकार से कहा कि अपना घर व्यवस्थित रखे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार का समर्थन किया  ‘‘ ऐसा ही अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला और मंत्री राणा गुरजीत सिंह  ने किया’’।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बारे में स्पष्टीकरण देने को भी कहा क्योंकि पंजाबियों के मन में आशंकाए हैं कि वे कदम के लिए क्यों सहमत हो गए। ‘‘ यह भी बताया कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी मुख्यमंत्री पर पंजाब के आधे हिस्से को केंद्र को सौंपने का  आरोप लगाया। प्रो. चंदूमाजरा ने कहा कि मुख्यमंत्री इस मीटिंग को यह समझाने में नाकाम रहे हैं कि उन्होने केंद्र के साथ मिलीभगत नही की है और पंजाब में केंद्रीय क्षेत्राधिकार के विस्तार पर सहमति जताई है। ‘‘ घटनाओं के पूरे अनुक्रम से यह स्पष्ट होता है कि चन्नी ने राज्य के हितों को केंद्र को बेच दिया है’’।

प्रो. चंदूमाजरा ने संघीय व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत पर कदम उठाने के लिए सभी दलों की सराहना की। उन्होने कहा कि अकाली  दल है, जिसने हमेशा देश के संघीय चरित्र को संविधान में मजबूत बनाए रखने के लिए संघर्ष किया है। ‘‘ हम भी पूरी प्रणाली से लड़ेगेुं तथा इस मांग को उठाना जारी रखेगें। आज हमारी मांग सभी दलों के साथ एक ही मुददा उठाने की है। केंद्र रिपेरियन सिद्धांत से समझौता करके  , पंजाब को अपनी राजधानी और पंजाबी भाषा क्षेत्रों से नकारकर , सीधे कृषि क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहा है, तथा जो कि राज्य का विषय है’’।

प्रो. चंदूमाजरा ने सभी दलों से राज्य मामलों में केंद्र के हस्तक्षेप के खिलाफ एकजुट होने की बात कहते हुए पंजाब को अर्धसैनिक बलों को अपनी पुलिस सौंपकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के प्रयास जारी हैं। उन्होने कहा कि इन मंसूबों को टालने के लिए सभी दल एकजुट होकर अन्य राज्यों से संपर्क करना चाहिए और उनसे किसी भी कमद को जबरदस्ती अस्वीकार करने के लिए कहना चाहिए , जो तीनों कृषि विधेयकों जैसे उनके अधिकारों के साथ साथ सीमाओं के साथ केंद्रीय क्षेत्राधिकार के विस्तार में बाधा डालता है।

डॉ. दलजीत चीमा ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय सीमा से पचास किलोमीटर तक बढ़ाने के कदम के पीछे के औचित्य पर भी सवाल उठाए। उन्होने कहा कि बीएसएफ को सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए और उसे सीमाओं से पचास किलोमीटर दूर पुलिस की गतिविधियों में शामिल नही होना चाहिए। डॉ. चीमा  ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा के उस टवीट का मुददा भी उठाया, जिसमें दावा किया गया था कि मुख्यमंत्री के रूप में कैप्टन अमरिंदर के कार्यकाल में आईएसआई का एक एजेंट गृहमंत्रालय चला रहा था। उन्होने कहा कि वर्तमान गृहमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने भी इसे हटाने से पहले इस आशय का टवीट किया था। डॉ. चीमा ने मुख्यमंत्री से कहा कि अगर केंद्र से राज्य स्थिति के बारे में पूछा जाए तो यह राज्य के लिए शर्म की बात होगी, जब यह अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है।