अकाली-भाजपा विधायकों ने जहरीली शराब कांड मामले में कांग्रेस विधायकों और डिस्टिलरी के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार की विफलता पर चर्चा करने के लिए प्रस्ताव पेश किया

SAD legislative wing leader Sharanjit Singh Dhillon

प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाबियों को मजिस्ट्रियल जांच पर कोई विश्वास नही है और सीबीआई यां हाईकोर्ट से जांच करवाई जानी चाहिए

चंडीगढ़/27अगस्त: शिरोमणी अकाली दल तथा भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने कल पंजाब सरकार द्वारा कांग्रेस विधायकों और डिस्टिलरी के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहने पर आपात चर्चा का प्रस्ताव पेश किया है, जिसके कारण शराब माफिया के साथ मिलीभगत के कारण 135 लोगों की मौत हुई है।

यहां अकाली दल विधायक दल के नेता सरदार शरनजीत सिंह ढ़िल्लों ने कहा कि कार्यवाही और व्यापार के संचालन के नियम 77 के तहत कल विधानसभा सचिवालय में प्रस्ताव पेश किया गया है। इसमे शराब के पूरे अवैध कारोबार पर विशेष बहस करने जिसके कारण आबकारी राजस्व में 5600 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाब में अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन जिले में जहरीली शराब कांड से दो दिनों में 130 मौतें हुई हैं तथा 5 मौतें कुछ दिनों बाद तरनतारन और भोलथ में हुई हैं। इसमें कहा गया है कि जहां पहले राजपुरा और खन्ना में अवैध डिस्टिलरी कम बॉटलिंग प्लांट चलने का पता चला था, वही माझा क्षेत्र में मौतें हुई थी और अब भोलथ में जहरीली शराब पीने के बाद तीन लोगों के शिकार होने के बाद यह दोआबा क्षेत्र में भी पहंुच गई है।

अकाली भाजपा विधायकों ने कहा है कि पंजाबियों को इस बात का दुख है कि राज्य सरकार ने शराब माफिया चलाने वाले कांग्रेस विधायकों, माफिया को स्प्रिट की आपूर्ति करने वाली डिस्टिलरी का इस्तेमाल करने वाले बॉटलिंग प्लांटस के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की है। उन्होने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी मानवता के खिलाफ इस भयावह अपराध के दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के इच्छुक हैं, इसीलिए यही उचित था कि दोषियों पर नकेल कसने के लिए स्वतंत्र जांच की सिफारिश करने की भी व्यापक चर्चा की जानी चाहिए। उन्होने यह भी मांग की कि राजपुरा और खन्ना डिस्टिलरी बरामदगी की सभी केस फाइलें प्रवर्तन निदेशालय को सौंपी जानी चाहिए।

प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस के कई विधायकों के नाम राजपुरा और खन्ना अवैध डिस्टिलरी मामलों के साथ साथ जहरीली शराब त्रासदी के संबध में भी सामने आए थे। इसमें कहा गया है कि विभिन्न रिपोर्टों में यह सुझाव दिया गया है कि कांग्रेस के दो विधायक मदल लाल जलालपुर और हरदयाल कंबोज राजपुरा डिस्टिलरी में संलिप्त थे जबकि कांग्रेस का एक अन्य विधायक गुरकीरत कोटली ने खन्ना में अवैध डिस्टिलरी का संरक्षण दिया है। इसमें कहा गया है कि इसी तरह जहरीली शराब त्रासदी पीड़ित परिवारों ने भी खडूर साहिब के विधायक रमनजीत सिंह सिक्की पर नकली शराब बांटने का आरोप लगाया था। इसमें कहा गया है कि इन सभी खुलासों की व्यापक जांच के आदेश दिए जाने चाहिए।

प्रस्ताव में कहा गया है कि व्यापक आरोप लगाए गए थे कि मुख्यमंत्री के धार्मिक सलाहकार परमजीत सिंह सरना और कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत सिंह के परिवार के स्वामित्व वाली दो डिस्टिलरी ने शराब माफिया को स्प्रिट सप्लाई की थी, जिसके कारण जहरीली शराब त्रासदी हुई है। इसमें कहा गया है कि इन डिस्टिलरी के खिलाफ कोई जांच नही की गई है। इसमें कहा गया है कि यह जांच तुरंत करवाई जानी चाहिए और यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो उनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया जाना चाहिए।

प्रस्ताव में कहा गया है कि इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार सिविल और पुलिस तंत्र के खिलाफ भी उचित कार्रवाई की जाए। इसमें कहा गया है कि तरनतारन के मामलें में नागरिकों ने स्पष्ट दावे किए थे कि उन्होने तत्कालीन एसएसपी ध्रुव दहिया को शराब माफिया की कार्यप्रणाली के बारे में सूचित किया था और यहां तक कि उन्हे माफिया द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के लाइसेंस नंबर भी दिए थे। इसमें कहा गया है कि दहिया और ऐसे सभी अधिकारियों को उचित सजा दी जानी चाहिए।

प्रस्ताव में यह भी बताया गया है कि पंजाबियों को जहरीली शराब त्रासदी में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश पर कोई विश्वास नही था क्योंकि इससे पहले मजिस्ट्रेट ने दशहरा ट्रेन त्रासदी और बटाला बम धमाकों की जांच के आदेश्ज्ञ दिए थे और बटाला बम धमाकों में असली दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहे थे। इसमें कहा गया है कि चूंकि इस मामले में कांग्रेस विधायकों का नाम सामने आया था, इसीलिए केवल सीबीआई जांच यां उच्च न्यायालय की जांच से ही इस मामले की सच्चाई सामने आ सकती है। इसमें आग्रह किया गया है कि सभी जहरीली शराब त्रासदी पीडित परिवारों को 25 लाख रूपये मुआवजा दिया जाए।