कांग्रेस सरकार द्वारा कोविड महामारी से सही तरीके से न निपटने के बारे बहस करवाने के लिए अकाली-भाजपा ने प्रस्ताव पेश किया

SAD legislative wing leader Sharanjit Singh Dhillon

कहा कि सरकार से कोविड मामलों में मिशन फतेह और कोविड केसों में बढ़ोतरी की विफलता के साथ साथ उच्चतम मृत्यु दर के बारे में जवाब चाहते हैं

चंडीगढ़/26अगस्त: शिरोमणी अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी के विधायक दलों ने आगामी विधानसभा सत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा कोविड-19महामारी के कुप्रबंधन के कारण होने वाली भारी संख्या में मौतों के साथ साथ कोविड मामलों में बढ़ोतरी पर तत्काल चर्चा के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है।

आज यहां इसका खुलासाा करते हुए अकाली दल के विधायक दल के नेता शरनजीत सिंह ढ़िल्लों ने कहा कि यह प्रस्ताव इसीलिए पेश किया गया है क्योंकि कांग्रेस सरकार द्वारा कोविड से निपटने के लिए शुरू की गई मिशन फतेह में विफलता मिली थी। उन्होने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह असहाय लग रहे थे और उन्होने स्वयं स्वीकार किया कि अगल महीने कोविड मामले बढ़कर एक लाख हो जाएंगे, इसीलिए महामारी से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि कांग्रेस सरकार की लापरवाही के कारण लोगों को मरने के लिए नही छोड़ा जा सकता है।

विधानसभा में नियम 77 के तहत विधानसभा सचिवालय में प्रस्तुत प्रस्ताव में अकाली-भाजपा विधायकों ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए एक नई रणनीति तैयार करने के अलावा सरकार को यह बताना चाहिए कि मिशन फतेह क्यों विफल रहा और कोई सुधार करने की बजाय राज्य ने कोविड महामारी की बिगड़ती स्थिति को देख रही है। इसमें कहा गया है कि पंजाब में इस समय राष्ट्रीय औसत 1.6 फीसदी की दर के मुकाबले राज्य की 2.5 फीसदी की उच्चतम मृत्यु दर है। उन्होने कहा कि राज्य के टैस्टों की गति बढ़ने की बजाय गिरती जा रही है तथा प्लाजमा उपचार सफलतापूर्वक शुरू करने में विफल रहा है।

विधायकों ने कहा कि यह स्थिति इसीलिए पैदा हुई थी क्योंकि कांग्रेस सरकार ने बुनियादी स्तर पर जरूरी कदम उठाने की बजाय विज्ञापनों पर करोड़ों रूपया प्रचार पर खर्च करने पर ध्यान केंद्रित किया था। उन्होने कहा कि सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त बुनियादी ढ़ांचा नही बनाया गया था जिसके कारण मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ा था। उन्होने यह भी खुलासा किया कि सरकार कई अस्पतालों द्वारा स्पष्ट रूप से अधिक पैसे वसूलने के मामलों के साथ प्राईवेट अस्पतालों के कामकाज को नियमित करने में विफल रही है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि सप्ताहांत के दौरान सभी व्यवसायों को बंद करके कांग्रेस सरकार के प्रयासों ने लाखों दुकानदारों, व्यापारियों और कुशल कामगारों के लिए आपात स्थिति बना दी है। इसमें कहा गया है कि इसके बाद के दिनों में बाजारों में भीड़ बढ़ रही है जिससे बंद के उद्देश्य को असफलता मिली है। इसमें कहा गया है कि पंजाबियों की मांग थी कि अगर सरकार को इस तरह के कठोर कदम उठाने हैं तो उसे प्रभावित लोगों को वित्तीय पैकेज की पेशकश करनी चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार ने सप्ताहांत लॉकडाउन का आदेश देकर एकतरफा कार्रवाई की है जो कोविड महामारी के खिलाफ बचाव की जगह ज्यादा कठिनांए पैदा कर रही है।

विधायकों ने कहा कि कांग्रेस सरकार डॉक्टरों और स्वास्थय कर्मचारियों सहित अग्रिम पक्ंित के यौद्धाओं के प्रति भी उन्हे वेतन न देकर उनके साथ गलत व्यवहार कर रही है, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया था। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने यह दावा करके लोगों को धोखा दिया है कि उसने कोविड से लड़ने के लिए 300 करोड़ रूपये खर्च किए थे, यद्यपि उसने आपदा राहत कोष यां यहां तक कि मुख्यमंत्री राहत कोष का भी पूरा उपयोग नही किया।