कहा कि बढ़ोतरी को तत्काल वापिस लिया जाए, मैडीकल शिक्षा को सब्सिडी देना समय की मांग है: डॉ. दलजीत सिंह चीमा
चंडीगढ़/08सिंतबर: शिरेामणी अकाली दल ने आज कांग्रेस सरकार की निंदा करते हुए कहा है कि सरकारी मैडीकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठयक्रमों की फीस में इस महामारी के दौरान 75 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है और इस बढ़ोतरी को तुरंत वापिस लेने की मांग की गई है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए पूर्व मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार ने कोेविड-19 महामारी से कोई सबक नही सीखा है। ‘अब यह समय की मांग है कि एमबीबीएस की फीस कम की जाए ताकि साधारण पृष्ठभूमि के छात्र डॉक्टर बन सकें। ये छात्र ही ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य की सेवा के लिए तैयार होंगे। इन नीति का पालन करने और चिकित्सा शिक्षा को आम आदमी की पहुंच में लाने के लिए सब्सिडी देने की बजाय कांग्रेस सरकार ने सरकारी और निजी दोनो मैडीकल कॉलेजों की फीसें बढ़ा दी हैं।
इस बारे में अन्य जानकारी देते हुए डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि प्रदेश के सरकारी मैडीकल कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले छात्रों को अब तक 4.4 लाख रूपये की जगह 7.80 लाख रूपये फीस देनी होगी। उन्होने कहा कि निजी मैडीकल कॉलेजों के मामले में फीस 13.4 लाख रूपये से बढ़ाकर 18 लाख रूपये कर दी गई है। उन्होने कहा कि इसी तरह निजी मैडीकल कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटे के तहत फीस बढ़ाकर 48 लाख रूपये कर दी गई और एन आर आई कोटे के तहत 81 लाख रूपये हो गई थी। ‘माता पिता, जिन्हे बोर्डिंग और पुस्तकों पर अतिरिक्त छह से सात लाख रूपये खर्च करनें होंगे, एक ऐसे समय के दौरान इस भारी खर्चे का सामना नही कर सकते जब अर्थव्यवस्था में इतनी भारी मंदी आई हुई है।
अकाली नेता ने कहा कि अगर सरकार ने इस अनुचित बढ़ोतरी को वापिस नही लिया तो राज्य में डॉक्टरों की कमी बढ़ जाएगी। ‘हमें चिकित्सा शिक्षा में करियर शुरू करने से प्रभावशाली दिमाग वाले बच्चों को हतोत्साहित नही करना चाहिए। सरकार को मैडीकल कॉलेजों को अनुदान देना जारी करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे एमबीबीएस के साथ स्नातकोतर पाठयक्रमों की फीस में बढ़ोतरी न करें।
डॉ. चीमा ने कांग्रेस सरकार की एक तरफा नीतियों की भी निंदा की। उन्होने कहा कि एक तरफ सरकार ने चिकित्सा शुल्क में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की है। दूसरी तरफ यह डॉक्टरों को 50 हजार रूपये प्रति महीने का वेतन दे रही है। यह सरासर शोषण है यदि तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई नही की जाती है तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

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