
चंडीगढ़,03जनवरी 2022
शिरोमणी अकाली दल ने आज पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित से अनुरोध किया है कि वह मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ 36000 से अधिक ठेके पर रखे कर्मचारियों को धोखा देने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दे, यह दावा करते हुए कि राज्यपाल ने वह फाईल रखी , जिसमें उनकी सेवाओं को नियमित करने की सिफारिश की थी, जबकि वह फाइल वास्तव में मुख्यमंत्री कार्यालय में थी।
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पूर्व मंत्री डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि मुख्यमंत्री ने ठेके पर रखे कर्मचारियों को नियमित करने के मामले में झूठ बोला था। ‘‘ मुख्यमंत्री यह झूठा दावा कर रहे हैं कि वह राज्यपाल द्वारा सभी ठेके पर रखे कर्मचारियों को नियमित करने की सिफारिश करने वाली फाइल को प्राप्त करने के लिए वह धरने की अगुवाई करेंगें, जबकि सच्चाई यह है कि यह फाइल उनके कार्यालय में पड़ी है और वह उस पर कार्रवाई नही कर रहे हैं। ऐसा इस तथ्य के बावजूद किया जा रहा है कि कांग्रेस सरकार अच्छी तरह जानती है कि अगले कुछ दिनों में आचार संहिता लागू हो सकता है’’।
यह कहते हुए कि ये तथ्य पहले से ही राज्यपाल की जानकारी में हैं कहते हुए डाॅ.चीमा ने कहा कि गर्वनर को मुख्यमंत्री के खिलाफ ठेके पर रखे कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी करने पर मुख्यमंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। ‘‘ यह संवैधानिक मानदंडों के उल्लंघन का स्पष्ट मामला है, क्योंकि राज्यपाल द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरणों से पता चलता है कि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के समक्ष किए गए उसी मुददे पर पारित पूर्व विधेयक को वापिस नही लिया है। इसका मतलब यह है कि मुख्यमंत्री को पता था कि वह एक और बिल पास करवाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं, जबकि पिछला बिल वापिस नही लिया गया था।
अकाली नेता ने यह भी मांग की कि ठेके पर रखे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए झूठे विज्ञापन जारी करने के लिए मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। उन्होने कहा कि इन झूठे विज्ञापनों पर खर्च किए गए करोड़ों रूपए मुख्यमंत्री के साथ साथ कांग्रेस पार्टी से भी वसूल किए जाने चाहिए।
डाॅ. चीमा ने श्री चरणजीत चन्नी को नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की। उन्होने यह भी मांग की कि मुख्यमंत्री ठेके पर रखे कर्मचारियों को धोखा देने के लिए उनसे माफी मांगें कि उनके मामले को तब मंजूरी दी गई थी जबकि वास्तव में राज्यपाल द्वारा स्पष्टीकरण के लिए फाइल उन्हे वापिस भेज दी गई थी।

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